अस्थाई गौशाला में लापरवाही के कारण मरणासन्न गोवंश, प्रशासन उदासीन

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सुशील कुमार मिश्रा की रिपोर्ट

बांदा जिले के बिसंडा ब्लॉक के अंतर्गत ग्राम सिंहपुर में स्थित अस्थाई गौशाला में लापरवाही और प्रशासनिक उदासीनता के चलते गोवंशों की दुर्दशा की भयावह तस्वीर सामने आई है। यहां संचालित गौशाला में बुनियादी सुविधाओं और उचित देखभाल के अभाव में कई गोवंश मरणासन्न अवस्था में पहुंच गए हैं।

गोवंश की दुर्दशा: सूखी पराली और ठंड के कहर का शिकार

गौशाला में पशुओं को दिए जाने वाले आहार की स्थिति चिंताजनक है। उन्हें केवल सूखी पराली (पयार) पर निर्भर रखा गया है, जिससे वे गंभीर रूप से कुपोषित हो रहे हैं। पौष्टिक आहार के अभाव में ये गोवंश धीरे-धीरे अपनी ताकत खो रहे हैं और ठंड के प्रकोप से भीषण संकट का सामना कर रहे हैं। ठंड से बचने के लिए कोई भी समुचित व्यवस्था नहीं की गई है, जिससे पशु विभिन्न बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं।

इलाज और देखभाल में भारी लापरवाही

स्थानीय पशु चिकित्सा अधिकारी और गौशाला संचालक की लापरवाही साफ दिखाई दे रही है। इलाज की कमी के कारण गोवंशों की स्थिति दिन-प्रतिदिन बदतर होती जा रही है। बीमार गोवंशों को न तो समय पर इलाज मिल रहा है और न ही उनके ठंड से बचाव के लिए आवश्यक प्रबंध किए गए हैं।

गौरक्षक संगठन की मांगें अनसुनी

वर्षों से गौवंशों की देखभाल को लेकर विश्व हिंदू महासंघ गौरक्षा समिति और अन्य संगठनों द्वारा बार-बार मांग की जा रही है कि गौशालाओं में पौष्टिक आहार की व्यवस्था की जाए। इसके साथ ही ठंड से बचाने के लिए समुचित संसाधन जैसे तिरपाल, चारा, और पानी की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। लेकिन प्रशासनिक स्तर पर इन मांगों को अनसुना किया जा रहा है, जिसका खामियाजा निरीह गोवंश भुगत रहे हैं।

अव्यवस्थाओं की भयावहता

गौशाला में निरीक्षण के दौरान यह पाया गया कि अधिकतर गोवंश गंभीर रूप से कमजोर हैं। कुछ गोवंश ठंड और बीमारियों के कारण जमीन पर मरणासन्न अवस्था में पड़े हुए हैं। यह स्थिति न केवल पशु कल्याण पर सवाल उठाती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि प्रशासन इन अस्थायी गौशालाओं की निगरानी में पूरी तरह विफल रहा है।

प्रशासन की उदासीनता पर सवाल

सरकार द्वारा अस्थायी गौशालाओं के संचालन के लिए भारी अनुदान दिया जाता है, लेकिन जमीन पर स्थिति बिल्कुल विपरीत है। गौशालाओं में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है, और इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार अधिकारी मौन बने हुए हैं।

समाधान की जरूरत

गौशालाओं की इस दुर्दशा को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है। पशुओं के लिए पौष्टिक आहार, ठंड से बचाने के लिए सुरक्षित आश्रय, और नियमित चिकित्सा देखभाल की व्यवस्था करना अत्यंत आवश्यक है। साथ ही, जिम्मेदार अधिकारियों और संचालकों पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

गौवंशों की यह स्थिति हमारी सामूहिक जिम्मेदारी और नैतिकता पर सवाल खड़ा करती है। यह समय है कि प्रशासन और समाज इस गंभीर समस्या को प्राथमिकता देकर हल करें और इन निरीह प्राणियों को जीने का अधिकार प्रदान करें।

samachardarpan24
Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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