google.com, pub-2721071185451024, DIRECT, f08c47fec0942fa0
देवरिया

आपको पता है, पराली जलाने के नुकसान? हम आ रहे हैं आपको बताने, कब, कहाँ? पूरी खबर पढिए

IMG-20250425-WA1484(1)
IMG-20250425-WA0826
IMG-20250502-WA0000
Light Blue Modern Hospital Brochure_20250505_010416_0000
IMG_COM_202505222101103700

सर्वेश द्विवेदी की रिपोर्ट

देवरिया, फसल अवशेष (पराली) जलाने से होने वाले पर्यावरणीय दुष्परिणामों से किसानों को जागरूक करने के उद्देश्य से देवरिया जनपद में एक व्यापक प्रचार-प्रसार अभियान का शुभारंभ किया गया।

इस अभियान की शुरुआत जिलाधिकारी श्रीमती दिव्या मित्तल ने आज अपने कार्यालय से प्रचार-प्रसार वाहन को हरी झंडी दिखाकर की। यह अभियान “प्रमोशन ऑफ एग्रीकल्चर मैकेनाइजेशन फॉर इन-सीटू मैनेजमेंट ऑफ क्रॉप रेजिड्यू” योजना के अंतर्गत चलाया जा रहा है।

इस अवसर पर जिलाधिकारी श्रीमती दिव्या मित्तल ने किसानों से अपील की कि वे फसल कटाई के बाद खेतों में बचे हुए अवशेष, जिसे पराली कहा जाता है, को न जलाएं।

उन्होंने बताया कि पराली जलाने से खेतों की उर्वरकता घटती है और इसके जलने से निकलने वाला धुआं पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंचाता है। इसका सीधा प्रभाव मानव स्वास्थ्य, पशुओं के जीवन और हवा की गुणवत्ता पर पड़ता है।

जिलाधिकारी ने यह भी जानकारी दी कि राज्य सरकार ने पराली जलाने पर अर्थदंड का प्रावधान किया है, जिसके तहत दो एकड़ से कम कृषि भूमि पर पराली जलाने पर ₹2500, दो से पाँच एकड़ के बीच पर ₹5000, और पाँच एकड़ से अधिक पर ₹15000 का जुर्माना लगाया जाएगा।

आप को यह भी पसंद आ सकता है  "साहब बड़ी बदतमीजी करता है कोटेदार का बेटा....न मिलता है राशन न करता है इज्जत की परवाह...."; वीडियो ? देखिए

उप कृषि निदेशक सुभाष मौर्य ने बताया कि इस अभियान के तहत किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के प्रति जागरूक किया जाएगा। इसके लिए एक विशेष प्रचार-प्रसार वाहन के माध्यम से जनपद के विभिन्न विकास खंडों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

प्रचार-प्रसार अभियान की तिथियाँ और स्थल

09 नवंबर: देवरिया सदर, रामपुर कारखाना, तरकुलवा, पथरदेवा

11 नवंबर: देसही देवरिया, बैतालपुर, गौरीबाजार, रुद्रपुर

12 नवंबर: भलुअनी, बरहज, भागलपुर, बनकटा

13 नवंबर: लार, भाटपार रानी, सलेमपुर

इस कार्यक्रम के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में किसानों को पराली जलाने से बचने के लिए प्रेरित किया जाएगा। साथ ही, उन्हें फसल अवशेषों के उचित प्रबंधन के तरीके भी बताए जाएंगे, जिससे न केवल भूमि की उर्वरकता बढ़ेगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान होगा।

जिलाधिकारी ने बताया कि पराली को न जलाने के कई फायदे हैं, जिनमें मिट्टी की संरचना में सुधार, जल संरक्षण और अगली फसल की पैदावार में वृद्धि शामिल है। सरकार इस दिशा में किसानों को जागरूक करने के लिए सतत प्रयासरत है और इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए इस विशेष अभियान का आयोजन किया जा रहा है।

इस जागरूकता अभियान से उम्मीद की जा रही है कि किसान फसल अवशेष जलाने के बजाए उसे खेतों में ही अपघटित करके उर्वरक के रूप में इस्तेमाल करेंगे, जिससे पर्यावरण संरक्षण में मदद मिलेगी और भविष्य में स्वच्छ हवा सुनिश्चित की जा सकेगी।

212 पाठकों ने अब तक पढा
samachardarpan24
Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

आप को यह भी पसंद आ सकता है  आजमगढ़ में "भगवती छिन्नमस्ता चालीसा" का भव्य लोकार्पण, लेखक कुन्दन हुए सम्मानित

[embedyt] https://www.youtube.com/embed?listType=playlist&list=UU7V4PbrEu9I94AdP4JOd2ug&layout=gallery[/embedyt]
Tags

samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Close
Close