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यूपी उपचुनाव में सपा-कांग्रेस गठबंधन की परीक्षा, विधानसभा चुनाव 2027: सपा-कांग्रेस गठबंधन की राहें, सबकी हैं निगाहें

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अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के बाद होने वाले उपचुनाव में सपा-कांग्रेस गठबंधन की असली परीक्षा होगी। इन उपचुनावों में प्रमुख रूप से फूलपुर, खैर, गाजियाबाद, मझावन, मीरापुर, अयोध्या, करहल, कटेहरी, और कुंदरकी जैसी विधानसभा सीटें शामिल हैं। इन सीटों पर अब तक भाजपा और सपा के ही उम्मीदवार जीते हैं, जिससे दोनों दलों के बीच मोलभाव और सहमति की जरूरत होगी। 

हाल ही में, कानपुर के विधायक को सजा होने के बाद वहां भी उपचुनाव की संभावना बन गई है। भाजपा ने लोकसभा चुनाव में आठ विधायकों को मैदान में उतारा था, जबकि सपा ने छह विधायकों को। 

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, कांग्रेस ने लोकसभा में छह सीटों पर जीत हासिल की है, जिससे पार्टी को नई ऊर्जा मिली है और वह उपचुनावों में कुछ सीटों की मांग कर सकती है। हालांकि, ज्यादातर सीटें सपा के प्रभाव वाले क्षेत्रों की हैं, जिससे यह देखना होगा कि कांग्रेस सपा के साथ कितना समझौता कर पाती है। 

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महत्वपूर्ण होगा यह देखना कि लोकसभा चुनाव में सपा के साथ मिलकर चलने वाली कांग्रेस, उपचुनावों में सपा प्रत्याशियों को जिताने के लिए अपने कार्यकर्ताओं को कितना सक्रिय करती है। यह गठबंधन की मजबूती और आगे की रणनीति के लिए अहम साबित होगा।

उत्तर प्रदेश में होने वाले उपचुनाव और आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सपा और कांग्रेस दोनों दलों की नजरें इन चुनावों पर टिकी हैं। ताजा चुनाव परिणाम से उत्साहित कांग्रेस और सपा के लिए यह उपचुनाव आपसी रिश्तों और प्रदर्शन के लिहाज से महत्वपूर्ण साबित होंगे। कांग्रेस के लिए अपने जनाधार को बचाए रखना एक बड़ी चुनौती है।

कांग्रेस संगठन के महासचिव अनिल यादव ने बताया कि सपा के साथ उनका गठबंधन है और उपचुनाव के संबंध में बड़े नेता बातचीत करेंगे। इस पर एक कमेटी बनाई गई है, लेकिन अभी उपचुनाव की तिथि नहीं आई है।

सपा प्रवक्ता सुनील साजन ने भी गठबंधन की पुष्टि करते हुए कहा कि उपचुनाव मिलकर लड़ने या अकेले लड़ने का फैसला राष्ट्रीय अध्यक्ष करेंगे। उन्होंने कहा कि जहां सपा की सीट है, वहां कांग्रेस क्यों लड़ेगी, और उपचुनाव की सभी सीटें सपा जीतने का लक्ष्य रखेगी। 

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2017 के चुनाव में सपा-कांग्रेस गठबंधन ज्यादा सफल नहीं हुआ था, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में यह गठबंधन दोनों के लिए फायदेमंद साबित हुआ। अब तक के चुनाव परिणामों से यह साफ है कि दोनों दलों ने मिलकर अच्छी बढ़त बनाई है। 

गठबंधन को 2027 तक चलाने के लिए दोनों दलों को एक-दूसरे के साथ गिव एंड टेक की रणनीति अपनानी होगी। मतदाताओं ने इस गठबंधन को स्वीकार किया है, जिससे यह संभावना बढ़ गई है कि यह गठबंधन आगे भी कायम रहेगा।

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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