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November 26, 2024 5:29 am

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‘तेवर’ ऐसा कि बडे़ बडो़ की पैंट गीली कर देता और ‘रुतबा’ ऐसा कि हर अपराध इसके कदम चूमते… . ‘अकड़’ भी कम नहीं… हो गया दुखद अंत

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दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट

पूर्वांचल और अपराध की बात हो तो सबसे पहले जिस नाम का जिक्र आएगा, वो है मुख्तार अंसारी। पिछले काफी दिनों से जेल में बंद मुख्तार के अपराधी बनने और फिर इसी दम पर राजनीति में उतरने की कहानी फिल्मी है, लेकिन इसका अंत मुख्तार के लिए काफी दुखद साबित हुआ।

जेल में बंद गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी की गुरुवार को उत्तर प्रदेश के बांदा जिले की जेल में दिल का दौरा पड़ा। उसे अस्पताल ले जाया गया, लेकिन मौत हो गई। 

मऊ निर्वाचन क्षेत्र से पांच बार विधायक रहे अंसारी अपनी आपराधिक पृष्ठभूमि के बावजूद यूपी की राजनीति में एक प्रमुख व्यक्ति था। उसकी मृत्यु एक विवादास्पद और प्रभावशाली राजनीतिक करियर के अंत का प्रतीक है। Mukhtar Ansari कैसे बना पूर्वांचल का मोस्ट वांडेट डॉन? मुख्तार के क्राइम चैप्टर का आरंभ से अंत तक की आपको पूरी डिटेल बताते हैं।

बेटे उमर अंसारी ने लगाया जहर देने का आरोप

मुख्तार अंसारी के बेटे उमर अंसारी ने कहा कि धीमा जहर देने के आरोप लगाया है। उमर अंसारी ने कहा कि उनका पोस्टमार्टम होगा। पोस्टमार्टम के लिए डॉक्टरों का पैनल बनाया गया है। मुख्तार अंसारी के शव को बांदा के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है।

कौन था मुख्तार अंसारी?

वो खुद गुनाह की दुनिया का बादशाह था। दिलचस्प बात ये है कि इस किस्से में गुलाम भी उसकी मर्जी के थे। कभी जिसके सहारे के बगैर पूर्वांचल में शिलान्यास की एक पट्टी नहीं रखी जाती, जिसके सहारे के बगैर कोई ठेका-पट्टा नहीं पड़ता था। मुख्तार अंसारी उत्तर प्रदेश का राजनेता और अपराधी था। अंसारी मऊ निर्वाचन क्षेत्र से विधान सभा के सदस्य के रूप में रिकॉर्ड पांच बार विधायक चुना गया था। वह अन्य अपराधों सहित कृष्णानंद राय हत्या के मामले में मुख्य आरोपी था। 

अंसारी ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के उम्मीदवार के रूप में अपना पहला विधानसभा चुनाव जीता। बसपा ने 2010 में आपराधिक गतिविधियों के कारण उसे पार्टी से निष्कासित कर दिया था बाद में उसने अपने भाइयों के साथ अपनी पार्टी कौमी एकता दल का गठन किया।

पूर्वांचल में था मुख्तार अंसारी का गुंडाराज

मुख्तार अंसारी का गुंडाराज पूर्वांचल में खूब चलता था। उसे गोली बंदूक तमंचे रायफल से खेलने का जबरदस्त शौक चढ़ा था। अपनी धाक जमाने के लिए डर और आतंक फैलाने का शौकीन था। मुख्तार अंसारी जब चलता था तो साथ पर चलते थे बंदूकें लहराते हुए उसके गुर्गे। उसके आने की खबर हवाओं को पहले लग जाती थी। हाइवे पर टोल के रास्ते खुद-ब-खुद निकल जाते थे, जैसे उसका इस्तकबाल हो रहा हो। उसके काफिले को रोकने की हिम्मत किसी में नहीं होती थी। 

मुख्तार का आतंक कुछ इस कदर था कि गुंडा टैक्स वसूली हफ्ता देने से मना करने वालों को मौत की सजा दी जाती थी। शराब के ठेकों से लेकर लगभग हर सरकारी ठेके तक सिर्फ उसी की हुकूमत का सिक्का चलता था। उसके चरम के दौर में उत्तर प्रदेश में हत्या, लूट, अपहरण, फिरौती जैसे संगीन अपराधों में लगे क्रिमिनल्स की तूती बोलने लगी थी। बनारस से बलिया तथा गाजीपुर से जौनपुर तक मऊ से कानपुर तक मुख्तार अंसारी का सिक्का चलता था।

राजनेता से लेकर सजायाफ्ता गैंगस्टर तक: पूरी कहानी

इकोनॉमिक्स टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश के एक सजायाफ्ता गैंगस्टर और राजनेता , मुख्तार अंसारी मऊ निर्वाचन क्षेत्र से पांच बार विधायक चुने गए थे, जिसमें दो बार बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के उम्मीदवार के रूप में भी शामिल थे। वह पूर्व उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी के रिश्तेदार थे। अप्रैल 2023 में, एमपी एमएलए अदालत ने मुख्तार अंसारी को भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के लिए दोषी ठहराया और 10 साल कैद की सजा सुनाई। फर्जी हथियार लाइसेंस मामले में उन्हें 13 मार्च, 2024 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।

राजनीतिक कैरियर

गैंगस्टर से नेता बने यह व्यक्ति कभी उत्तर प्रदेश के राजनीतिक क्षेत्र में एक दिग्गज नेता थे। 60 वर्षीय अंसारी मऊ सदर सीट से पांच बार पूर्व विधायक हैं और 2005 से यूपी और पंजाब में सलाखों के पीछे अपना जीवन काटा और अब उनकी मौत हो गई है। मुख्तार अंसारी ने 1990 के दशक की शुरुआत में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में एक छात्र संघ नेता के रूप में अपना राजनीतिक करियर शुरू किया था। 1996 में मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के टिकट पर मऊ निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा चुनाव जीतकर पहली बार उत्तर प्रदेश विधानसभा में प्रवेश किया। उन्होंने 1996 से 2022 तक मऊ सीट से रिकॉर्ड पांच बार जीत हासिल की।

1995 में मिली राजनीति में एंट्री

1995 आते-आते मुख्तार मोस्ट वॉन्टेड बन चुका था। वह समझ चुका था कि अगर बाहुबली और मोस्ट वॉन्टेड होकर भी पुलिस और कानून से बचना है ,उनसे आंख मिचौली करनी है तो सियासत की शरण में जाना होगा। लेकिन कहते हैं न कि राजनीति खून मांगती है और जिसके हाथ खून से सने होते हैं, वह सियासत की सबसे बड़ी जरूरत बन जाता है।इसीलिए 1995 में उसे राजनीति में एंट्री मिल गई ।1996 में मुख्तार ने बहुजन समाज पार्टी के टिकट से चुनाव लड़ा और विधायक बन गया। 1996 में मुख्तार ने तत्कालीन एसपी उदय शंकर पर जानलेवा हमला किया। इसी साल उससे कोयला व्यापारी रूंगटा का अपहरण कर लिया था। 2002 आते-आते पूर्वांचल से बृजेश सिंह का साम्राज्य खत्म सा हो गया था और अकेला मुख्तार पूरे पूर्वांचल पर हुकूमत करने लगा था।

विरासत और विवाद

कुछ लोगों के लिए, मुख्तार अंसारी रॉबिन हुड की तरह थे। ठेकों, खनन, स्क्रैप, शराब और रेलवे ठेकों पर उनका नियंत्रण था। अपनी शक्ति से अपना शासन स्थापित कर लिया था। लेकिन ये रॉबि हुड अगर अमीरों को लूटता था तो गरीबों में भी बांट देता था। मऊ में मुख्तार अंसारी की न सिर्फ दबंग छवि थी, बल्कि उन्होंने विधायक रहते हुए अपने क्षेत्र में काफी काम भी किया था।

कानूनी लड़ाई और सरकारी शिकंजे

योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश में मुख्तार अंसारी पर शिकंजा कस दिया था।उन पर 52 मुकदमे चल रहे थे। यूपी सरकार की कोशिश मुख्तार को 15 मामलों में जल्द सजा दिलाने की थी। योगी सरकार अब तक मुख्तार और उसके गैंग की करोड़ों की संपत्ति या तो नष्ट कर चुकी है या जब्त कर चुकी है। मुख्तार गैंग की अवैध और बेनामी संपत्तियों को लगातार चिन्हित किया जा रहा था। मुख्तार अंसारी गिरोह के करीब 100 आरोपियों को अब तक गिरफ्तार किया जा चुका है, साथ ही 75 मामलों में गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की गई है।

मुख्तार अंसारी की मृत्यु एक विवादास्पद और प्रभावशाली राजनीतिक करियर के अंत का प्रतीक है जो आपराधिक गतिविधियों और कानूनी लड़ाइयों से प्रभावित था।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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