आत्माराम त्रिपाठी की रिपोर्ट
पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणामों के आने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि केंद्र की भाजपा सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम जारी रखेगी। राजस्थान और छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार के खिलाफ भाजपा ने भ्रष्टाचार को प्रमुख मुद्दा बनाया था। ऐसे में अब इस बात की प्रबल संभावना है कि इन दोनों राज्यों की भ्रष्टाचार निरोधी एजेंसी और केंद्र की एजेंसियों से कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का बचना मुश्किल है। कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और भूपेश बघेल सहित इनके मंत्रियों पर कानूनी शिकंजा कसने के आसार बढ़ गए हैं। दरअसल कांग्रेस ने राजस्थान और छत्तीसगढ़ में इस बात के प्रयास ही नहीं किए कि भ्रष्टाचार के मामलों से सख्ती स निपटा जाए। कांग्रेस ने मतदाताओं में यह संदेश देने का प्रयास ही नहीं किया कि भ्रष्टाचार के मामलों में जीरो टोलरेंस की नीति है। इसके विपरीत भ्रष्टाचार के मामलों का खुलासा होने पर दोनों राज्यों में कांग्रेस की सरकारों ने दबाने-छिपाने का प्रयास किया। भाजपा ने इसे प्रमुख चुनावी मुद्दा बना लिया। राजस्थान और छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित अन्य नेताओं ने चुनावी प्रचार के दौरान जम कर हमला बोला। बीकानेर में पीएम नरेंद्र मोदी ने जिन मुद्दों पर प्रदेश की गहलोत सरकार को घेरा था, उनमें भ्रष्टाचार भी प्रमुख था। पीएम मोदी ने गहलोत सरकार के करप्शन पर निशाना साधते हुए कहा था कि गहलोत सरकार ने भ्रष्टाचार में भी रिकॉर्ड बनाया है। वह चाहे 17 बड़ी परीक्षाओं के पेपर लीक के मामले हों या सरकार में भ्रष्टाचार हो, अगर भ्रष्टाचार की रैंकिंग होती तो राजस्थान उसमें भी नम्बर-1 आता। भाजपा के राज्यसभा सदस्य किरोड़ी लाल मीणा ने राजस्थान में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार पर खदान घोटाले सहित हजारों करोड़ रुपये के घोटालों में शामिल होने का आरोप लगाया था। ईडी इन आरोपों की जांच कर रही है।
अब इनमें कार्रवाई होने की प्रबल संभावना है। भाजपा सांसद का आरोप था कि अशोक गहलोत सरकार ने 66 हजार करोड़ से ज्यादा के घोटाले किए हैं। इनमें 27 हजार करोड़ रुपये का खदान घोटाला और 20 हजार करोड़ रुपये का बजरी घोटाला शामिल है। मीणा ने जल जीवन मिशन घोटाले सहित कई घोटालों में राज्य के मंत्रियों, नौकरशाहों और विधायकों की संलिप्तता का आरोप लगाया। मीणा ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री गहलोत और उनके मंत्री और नौकरशाह शायद राजस्थान के इतिहास में सबसे भ्रष्ट हैं। भ्रष्टाचार के मामलों में गहलोत सरकार अपनी ही पार्टी के लोगों का भी निशाना बनी। पार्टी से निकाले गए पूर्व मंत्री राजेन्द्र सिंह गुढ़ा ने आरोप लगाया था कि गहलोत सरकार भ्रष्टाचार के मामले में कर्नाटक की 40 प्रतिशत कमीशन वाली भाजपा सरकार से आगे निकल गई है। पूर्व सैनिक कल्याण मंत्री गुढ़ा ने अपने कैबिनेट सहयोगी शांति धारीवाल पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके कार्यालय से कोई भी फाइल बिना भ्रष्टाचार के मंजूर नहीं होती। गहलोत के मुखर विरोधी रहे पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने भी चुनाव से पहले भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों पर कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया था। पायलट ने पेपर लीक और भ्रष्टाचार के मामलों में पदयात्रा तक की। राजस्थान की गहलोत सरकार की तरह छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार को भ्रष्टाचार के मुद्दों पर घेरने में भाजपा पीछे नहीं रही। पिछले पांच वर्षों के शासन के दौरान छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार और मुख्यमंत्री रहे भूपेश बघेल पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे। बैटिंग ऐप प्रकरण में भाजपा ने भूपेश बघेल पर आरोपी से पांच सौ करोड़ रुपए लेने का आरोप लगाया। ईडी ने महादेव सट्टेबाजी ऐप के प्रवर्तक की ओर से पूर्व सीएम भूपेश बघेल को 508 करोड़ रुपये के भुगतान का दावा किया था। पूर्व सीएम बघेल को लेकर किए गए ईडी के इस दावे के बाद प्रदेश के पूर्व सीएम रमन सिंह ने मुख्यमंत्री पर हमला बोला। पूर्व सीएम रमन सिंह ने कहा कि अब तो स्पष्ट हो गया है कि महादेव एप घोटाले के 508 करोड़ रुपये सीएम भूपेश बघेल के पास आए हैं। इस प्रकरण में असीम दास को गिरफ्तार किया गया और उसकी कार से 5.37 करोड़ रुपये जब्त हुए थे। असीम दास ने सीएम भूपेश बघेल के नाम से पैसे देने की बात कही थी।
यही असीम दास महादेव ऐप का प्रमोटर भी है। कांग्रेस की गहलोत सरकार की तरह ही भूपेश बघेल सरकार पर लगे आरोपों में शराब घोटाला, ट्रांसफर घोटाला, गोबर घोटाला, ग्राम सभा सदस्य बनाने के नाम पर घोटाला, चावल घोटाला, खदान से जुड़े माल ढुलाई के काम में घोटाला के साथ ही महादेव बेटिंग ऐप जैसे घोटालों की लंबी फेहरिस्त है। कांग्रेस ने भूपेश बघेल को 2.5 साल के लिए मुख्यमंत्री बनाया था। अगले ढाई साल टीएस सिंहदेव मुख्यमंत्री होंगे। हालांकि ऐसा नहीं हुआ। भूपेश बघेल तमाम गतिरोधों के बावजूद पूरे 5 साल मुख्यमंत्री बने रहे। टीएस सिंहदेव को आखिरी कुछ महीनों के लिए उपमुख्यमंत्री बनाकर चुप करा दिया गया। भारतीय जनता पार्टी आरोप लगाती है कि बघेल ने छत्तीसगढ़ को कॉन्ग्रेस पार्टी के लिए तिजोरी के तौर पर इस्तेमाल कराया। जिन चीजों का वादा करके वो सत्ता में आए थे, किया उसके ठीक विपरीत काम, और घोटालों पर घोटालों को अंजाम दिया। कॉन्ग्रेस पार्टी के लिए फंडिंग की और खुद को सत्ता में बनाए रखा। छत्तीसगढ़ में पीसीएस घोटाला चर्चित रहा। छत्तीसगढ़ पब्लिक सर्विस कमीशन में नेताओं और अधिकारियों के बच्चों को सीधे एंट्री मिली और उन्हें बड़े-बड़े पद भी दिए गए। प्रधानमंत्री ने भी इस घोटाले पर सवाल उठाए। मोदी ने आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ के हजारों युवाओं ने दिन-रात पढ़ाई करके, परीक्षा पास की थी, उनको किस फॉर्मूले से बाहर निकाला गया? कॉन्ग्रेस नेताओं के बच्चों को गणित के किस फॉर्मूले से भर्ती किया गया? भूपेश बघेल ने वादा किया था कि कॉन्ग्रेस सत्ता में आएगी तो छत्तीसगढ़ में शराबबंदी करेगी। उल्टा भूपेश बघेल और उनके बेटे पर आरोप लगा कि उन्होंने कमीशनखोरी करके 2161 करोड़ रुपए का घोटाला किया। इस मामले में ईडी चार्जशीट भी दाखिल कर चुकी है। छत्तीसगढ़ की पूर्ववर्ती कॉन्ग्रेस सरकार पर सरकारी राशन के बंटवारे में भी घोटाले का आरोप लगा। पीडीएस व्यवस्था के तहत प्रति व्यक्ति 5 किलो धान देने की व्यवस्था की गई थी, लेकिन कैग रिपोर्ट में आया है कि इसमें 600 करोड़ रुपए की गड़बड़ी की गई है। भूपेश बघेल सरकार पर लगभग 5000 करोड़ रुपये के चावल घोटाले के आरोप लगे। भाजपा ने भूपेश बघेल पर चावल घोटाले का आरोप लगाते हुए इस्तीफा भी मांगा था।
इस मामले में भूपेश बघेल और उनसे जुड़े लोगों ने चुप्पी साधे रखी। केंद्र में भाजपा सरकार के सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बार-बार विपक्ष के नेताओं के भ्रष्टाचार के मुद्दों को उठाया है। चार राज्यों के चुनाव परिणाम आने के बाद भाजपा मुख्यालय पर कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए भी मोदी ने प्रमुखता से कांग्रेस के सत्ता से बाहर होने की वजह भ्रष्टाचार को बताया था। पीएम मोदी ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई रुकेगी नहीं। इससे केंद्र सरकार के तेवरों का अंदाजा लगाया जा सकता है। राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार के गठन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद इस बात की प्रबल संभावना है कि भ्रष्टाचार के मामलों में राज्य और केंद्र की एजेंसियां कांग्रेस के नेताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर सकती हैं। गौरतलब है कि केंद्रीय जांच ब्यूरो और प्रवर्तन निदेशालय पश्चिम बंगाल, बिहार, तमिलनाडु, दिल्ली की राज्य सरकारों के मंत्री-नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करके केंद्र की मंशा का इजहार कर चुके हंै। दरअसल भाजपा ऐसी कार्रवाई को अंजाम देकर आगामी लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस और विपक्षी दलों के नेताओं के खिलाफ चुनाव प्रचार में राजनीतिक फायदा उठाने का पूरा प्रयास करेगी। ऐसे में विपक्षी दलों को गिरफ्तारी के साथ ही चुनाव में भाजपा के आरोपों का सामना करने में मुश्किल आएगी।