परवेज़ अंसारी की रिपोर्ट
दिल्ली की राजनीति में आम आदमी पार्टी (AAP) को सत्ता में आए हुए 10 साल से अधिक हो गए हैं। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि यह पार्टी विपक्ष की भूमिका में अधिक सहज नजर आती है। सत्ता में रहते हुए भी AAP अक्सर विपक्ष की भाषा बोलती रही है, और अब जब उसे वास्तविक रूप से विपक्ष में बैठने का अवसर मिला है, तो यह भूमिका उसे और भी ज्यादा स्वाभाविक लग रही है।
विपक्ष की भूमिका में ज्यादा सहज आतिशी?
नई बनी दिल्ली सरकार के खिलाफ AAP नेता और पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी ने पहले दिन से ही आक्रामक रुख अपना लिया है। उनकी सक्रियता और सरकार पर तीखे हमले यह संकेत दे रहे हैं कि वह इस नई भूमिका के लिए पूरी तरह तैयार हैं। हालांकि यह कहना जल्दबाजी होगी कि जनता उन्हें स्थायी विपक्षी नेता के रूप में देख रही है, लेकिन उनकी रणनीति और तेवरों से यह साफ झलकता है कि वह भाजपा सरकार को कड़ी टक्कर देने के मूड में हैं।
सत्ता के खिलाफ मुखर विपक्ष
जब सीएजी (CAG) की रिपोर्ट सदन में पेश की गई, तो यह माना जा रहा था कि आम आदमी पार्टी बैकफुट पर चली जाएगी। लेकिन हुआ इसके ठीक उलट। आतिशी ने न केवल पार्टी का बचाव किया, बल्कि भाजपा को ही कठघरे में खड़ा कर दिया।
CAG रिपोर्ट पर आतिशी का आक्रामक रुख
आतिशी ने दावा किया कि 2017 से 2021 तक की आबकारी नीति में गड़बड़ियां थीं, और इसलिए नई शराब नीति लाई गई थी। उनका कहना है कि पुरानी नीति से दिल्ली सरकार को भारी नुकसान हो रहा था, और कालाबाजारी जोरों पर थी। उन्होंने इस पर जोर दिया कि नई नीति पारदर्शी थी और इससे राजस्व में बढ़ोतरी हो सकती थी।
उन्होंने यह भी तर्क दिया कि जब यही नीति पंजाब में लागू हुई, तो वहां 65% आबकारी राजस्व में वृद्धि हुई। दिल्ली में इसे लागू नहीं होने देने के लिए उन्होंने सीधे एलजी, सीबीआई और ईडी को जिम्मेदार ठहराया और मांग की कि इस मामले की जांच होनी चाहिए।
अंबेडकर की तस्वीर हटाने पर जोरदार हमला
हाल ही में मुख्यमंत्री कार्यालय में अंबेडकर की फोटो हटाने का मुद्दा चर्चा में रहा। आतिशी ने इसे लेकर भाजपा सरकार पर जबरदस्त हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा दलित विरोधी और सिख विरोधी मानसिकता रखती है और यह फैसला उसी का एक उदाहरण है।
उन्होंने भाजपा से तीखा सवाल किया
“क्या भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को डॉ. भीमराव अंबेडकर और भगत सिंह से बड़ा मानती है?”
यह मुद्दा उन्होंने इतनी प्रभावी तरीके से उठाया कि भाजपा को जवाब देने में मुश्किल होने लगी।
महिलाओं के 2500 रुपये के वादे पर सवाल
दिल्ली चुनाव से पहले भाजपा ने महिलाओं को हर महीने 2500 रुपये देने का वादा किया था। लेकिन नई सरकार बनने के बाद यह वादा अब तक अधूरा है। इस मुद्दे को उठाने के लिए आतिशी तख्ती लेकर मुख्यमंत्री आवास पहुंचीं और विरोध प्रदर्शन किया।
AAP नेताओं ने विधानसभा के अंदर भी इस मुद्दे को उठाया और भाजपा सरकार से पूछा:
“दिल्ली की महिलाओं को 2500 रुपये कब मिलेंगे?”
क्या आतिशी अरविंद केजरीवाल के लिए खतरा बन सकती हैं?
अरविंद केजरीवाल की छवि हाल के दिनों में भ्रष्टाचार के आरोपों और भाजपा के हमलों के कारण कमजोर हुई है। दूसरी ओर, आतिशी लगातार संघर्ष कर रही हैं और दिल्ली में एक मजबूत विपक्ष के रूप में उभर रही हैं।
राजनीति के जानकारों का मानना है कि केजरीवाल ने भले ही आतिशी को अपनी सबसे भरोसेमंद नेता मानकर मुख्यमंत्री बनाया था, लेकिन भारतीय राजनीति में अक्सर सबसे करीबी ही सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी बन जाते हैं।
क्या बगावत कर सकती हैं आतिशी?
राजनीति में ऐसा कई बार देखा गया है कि जब किसी नेता को ज्यादा ताकत मिलती है, तो वह पार्टी नेतृत्व को चुनौती देने लगता है। बिहार में जीतन राम मांझी और तमिलनाडु में पनीरसेल्वम इसके उदाहरण हैं।
अगर आतिशी इसी तरह भाजपा के खिलाफ मजबूत विपक्ष बनी रहीं और जनता के बीच लोकप्रिय होती रहीं, तो भविष्य में AAP के अंदर सत्ता संघर्ष हो सकता है।
आतिशी ने विपक्ष की भूमिका में आते ही तेजतर्रार और आक्रामक रणनीति अपनाई है। उन्होंने भाजपा सरकार को कई बड़े मुद्दों पर घेरा है, और उनकी राजनीतिक क्षमता लगातार बढ़ती दिख रही है।
भविष्य में आतिशी के लिए दो संभावनाएं खुली हैं:
1. अगर अरविंद केजरीवाल कमजोर होते हैं, तो वह AAP की नई नेता बन सकती हैं।
2. अगर पार्टी नेतृत्व से उनका टकराव बढ़ा, तो वह अलग राह भी अपना सकती हैं।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या आतिशी आम आदमी पार्टी की नई पहचान बनेंगी, या वे केवल एक अस्थायी विपक्षी नेता बनकर रह जाएंगी?
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Author: जगदंबा उपाध्याय, मुख्य व्यवसाय प्रभारी
जिद है दुनिया जीतने की