चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
उसके हाथ में काले-काले धब्बे थे, शरीर में जगह-जगह पर चोट के निशान थे। आंखों से आंसू बह रहे थे, जुंबा बहुत कुछ कहना चाहती थी, लेकिन किससे कहती। कौन उसकी सुनता, माता-पिता ने शादी करके पति के हवाले कर दिया और पति ने ऐसे जुल्म किए कि उसकी आंह घर की चारदीवारी में ही कैद होकर रह गई। वो तड़पती, रोती, चिल्लाती, लेकिन उसकी आवाज घर से बाहर न निकल पाती। वो दर्द किसी कमरे की दहलीज से बाहर न आ पाता। बाहर आती तो उसकी वो तस्वीर जो उसके पति ने दूसरों के सामने पेश की। कभी पत्नी चारदीवार के अंदर अत्याचार सहती है, कभी बेटी, कभी मां, कभी बहू।
घर की चारदीवारी में महिलाओं पर सबसे ज्यादा जुल्म
आप ये जानकर हैरान रह जाएंगे कि बाहर नहीं, घर के अंदर होता है महिलाओं पर सबसे ज्यादा जुल्म और अत्याचार। खुद उनके अपने उन्हें ऐसा दर्द देते हैं जो बाहर वाले भी न दे सकें। कभी पति से, कभी पिता से, कभी भाई से तो कभी सास ससुर या दूसरे रिश्तेदारों से चोट खाती हैं महिलाएं। दिल्ली में एनसीआरबी के साल 2022 के डाटा के मुताबिक दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ सबसे ज्यादा अपराध होते हैं। पिछले साल महिलाओं के खिलाफ हुए अपराधों में 48755 मामले दर्ज हुए, लेकिन इन अपराधों में सबसे ज्यादा संख्या थी घरेलू हिंसा की। कुल अपराधों के 32 फीसदी मामलों में यानी 4847 केस डोमेस्टिक वॉयलेंस के दर्ज हुए। इसके अलावा दहेज उत्पीड़न में भी 129 महिलाओं की दिल्ली में हत्या हुई।
महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों पर शर्मिंदा है देश!
ये आंकड़े शर्मिंदा करने वाले हैं। बहन बेटियों के खिलाफ घर चारदीवारी के अंदर होने वाले जुल्म खौफनाक है। घरेलू हिंसा को लेकर देश के कानूनी सख्त है, लेकिन बावजूद इसके देश की राजधानी दिल्ली की तस्वीर इतनी खतरनाक है। सोचिए पढ़े लिखे लोग घरों के अंदर महिलाओं पर जुल्म करते हैं। ये वो मामले हैं जो महिलाओं ने दर्ज करवाए हैं घरेलू हिंसा कानून के तहत, कई बार ऐसा भी होता है जब महिलाएं उनके साथ होने वाले अत्याचारों के खिलाफ सामने नहीं आ पाती।
घरेलू हिंसा का कानून?
खैर सबसे पहले जान लीजिए घरेलू हिंसा कानून है क्या? इस कानून के तहत किसी भी बालिग पुरुष के खिलाफ शिकायत की जा सकती है, जिसके साथ महिला का घरेलू संबंध रहा है।चाहे वो पिता हो, पति हो, भाई हो या कोई भी रिश्तेदार। इस कानून में सिर्फ महिला ही शिकायत करवा सकती या फिर महिला के बिहाफ पर कोई उसका सगा संबंधी।
कानून का मकसद है महिलाओं को जुल्म से बचाना
साल 2005 में ये कानून लाया गया था। इस कानून का मकसद था घर की चारदीवारी के अंदर महिला को हिंसा से बचाना। इस कानून के दायरे में वो सभी महिलाएं आतीं हैं। मां, बहन, पत्नी, बेटी या विधवा। यहां तक कि लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाली महिलाओं को भी इसमें शामिल किया गया है। ये सारी महिलाएं इस कानून के तहत घरेलू हिंसा का केस दर्ज करवा सकती हैं। महिलाएं वो बता सकती है जो जुल्म उनके ऊपर चारदीवारी के अंदर किए जाते हैं।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."