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आज का मुद्दा

लोगों की आस्था से अपनी इच्छा पूरी करनेवाले इस इच्छाधारी बाबा का काला सच आखिर कब तक डराएगा भोले भाले लोगों को ?

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दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट 

दौलत, शौहरत, ऐशो आराम और अय्याशी ये सब था उसकी जिंदगी का मकसद और इसे पाने के लिए उसने रास्ता चुना लोगों को धोखा देने का, लोगों की भावनाओं और उनके विश्वास के साथ खेलने का। भक्ति की आड़ में एक ऐसा जाल बुना कि लोग उस जाल में फंसते ही चले गए। सालों तक भक्ति की आड़ में वो अय्याशी में डूबा रहा, लेकिन फिर वो वक्त भी आया जब उसकी काली हकीकत दुनिया के सामने आई।

इसे कोई इच्छाधारी बाबा कहता, तो कोई स्वामी भीमानंद चित्रकूट वाले, तो कोई राजीव, तो कोई शिवमूरत द्विवेदी। इसके जितने नाम है, उतनी ही बड़ी काले कारनामों की लिस्ट है। पिछले कई वर्षों से लोग इसका नाम भूल चुके थे। क्योंकि कई बार जेल की हवा खाने के बाद इसने शायद अपनी काली करतूतों की रफ्तार को थाम लिया था। लेकिन कहते हैं ना कि पुराने कुकर्म भी भविष्य में सामने आ ही जाते हैं। इसके साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है। एक शख्स के साथ गुंडागर्दी करने, जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करने और धोखाधड़ी के आरोप में इसके खिलाफ केस दर्ज हुआ था। इस मामले में उत्तर प्रदेश के चित्रकूट की जिला अदालत सुनवाई चल रही थी। अदालत ने इस मामले में उसे 50-50 हजार रुपए के निजी मुचलके पर सशर्त जमानत दे दी है। हालांकि, इससे पहले उसे कई घंटे तक पुलिस हिरासत में रखा गया था।

दरअसल, कुछ वर्ष पहले कथित इच्छाधारी बाबा भीमानंद ने चित्रकूट के मानिकपुर के सकरौंहा गांव में एक धर्मशाला का निर्माण कराया था। इसकी छत की ढलाई के लिए शटरिंग का ठेका इसने एक स्थानीय ठेकेदार को दिया था। काम हो जाने के बाद ठेकेदार ने अपना पूरा पैसा मांगा, तो उसने कुछ पैसे देकर बाकी बाद में देने का वायदा किया। कुछ दिनों बाद ठेकेदार ने जब अपना बकाया मांगा तो भीमानंद ने देने से इंकार कर दिया। इतना ही नहीं गाली-गलौच करते हुए उसे जान से मारने की धमकी तक दे डाली। उसका भाई भी ठेकेदार को धमकाने लगा। पीड़ित राजेश कुमार की शिकायत पर भीमानंद को आईपीसी की धारा 504, 506 और एससी एसटी एक्ट के तहत आरोपी बनाया गया था। इस मामले में चित्रकूट कोर्ट में बहस चल रही थी। पीड़ित पक्ष ने उसके पुराने कुकृत्यों का हवाला दिया, लेकिन कोर्ट ने चेतावनी देते हुए उसे जमानत दे दी है।

इच्छाधारी बाबा भीमानंद की क्राइम कुंडली

ये कहानी है खुद को इच्छाधारी बाबा बताने वाली राजीव रंजन उर्फ शिव मूर्ति की जिसने सिक्योरिटी गार्ड से लेकर इच्छाधारी बाबा बनने का सफर लोगों को विश्वास को रौंदकर पूरा किया। दिन में आश्रम में भक्ति का चोला और रात को क्लब, डिस्को में अय्याशी। खुद को बाबा भीमानंद बोलने वाला शिव मूर्ति साल 1988 में दिल्ली के एक फाइव स्टार होटल में गार्ड की नौकरी करता था। फाइव स्टार में आने वाले रईस लोगों को देखकर वो भी उनकी तरह जिंदगी जीना चाहता था। बस इसके लिए इसके दिमाग में एक आइडिया ने जन्म लिया।

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सिक्योरिटी गार्ड से बाबा बना था शिव मूर्ति

शिव मूर्ति ने भक्ति को अपनी कमाई का जरिया बनाना शुरू कर दिया। वो लोगों को जोड़ने लगा और सत्संग करने लगा। लोगों के बीच वो सांप के साथ करतब भी दिखाता था। धीरे-धीरे चित्रकूट के रहने वाले शिव मूर्ती द्विवेदी की दुकान चल पड़ी थी। वो लोगों की आस्था का फायदा उठाना सीख चुका था। ये लोगों की समस्याएं दूर करने का दावा करता था और इसके लिए उनसे मनचाही रकम वसूलता था। ये लोगों को अपनी भक्ति से नौकरी दिलाने और शादी की इच्छा पूरी करने की बातें करता और खुद को इच्छाधारी बाबा बताता। ऐसे ही इसने कई लोगों से पैसे लूटने शुरू किए। किसी एक लाख, किसी दो लाख तो किसी से दस लाख।

सत्संग की आड़ में सेक्स रैकेट चलाने के लगे थे आरोप

सालों तक ये दिल्ली में इसी तरह लोगों को जोड़ता रहा। इसके भक्त बढ़ने लगे और इसकी इच्छाएं भी। शिव मूर्ति ने दिल्ली के बदरपुर में एक बड़ा आश्रम खरीद लिया, जहां रोज लोगों की भीड़ रहती। अपनी समस्याओं को लेकर लोग इसके पास आने लगे। इस बाबा के भक्तों में कई यंग लड़के-लड़कियां भी शामिल थे। बाबा की दिमाग में कुछ और इच्छाएं जन्म लेने लगी। आरोपों के मुताबिक ये आश्रम आने वाली कुछ लड़कियों से जिस्मफरोशी का धंधा करवाने लगा। भक्ति की आड़ में इसने हाईप्रोफाइल सेक्स रैकेट शुरू कर दिया। ये खुद भी रात होते ही अपना रूप बदल लेता। दिन में भगवा कपड़ों में रहने वाला ये बाबा रात होते ही जींस टीशर्ट में उतर आता।

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600 से ज्यादा लड़किया सेक्स रैकेट में शामिल थीं

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस सेक्स रैकेट में दिल्ली की मॉडल्स, एयर होस्टेस्ट, कॉलेज स्टूडेंट शामिल थीं। 600 से ज्यादा लड़कियां इसके सेक्स रैकेट में इसका साथ दे रही थीं। इसके पास वो सबकुछ था जिसकी चाह इसने कभी की थी। अय्याशी भरी जिंदगी जी रहा था खुद को बाबा बताने वाला भीमानंद, लेकिन इसे नहीं पता था कि जल्द ही काले कारनामों की पोल खुलने वाली है। इस सेक्स रैकेट में शामिल एक लड़की ने पुलिस से इसकी शिकायत की और फिर इस बाबा पूरी हकीकत सामने आई। साल 2009 में दिल्ली पुलिस ने इच्छाधारी बाबा को गिरफ्तार किया। इसके साथ कुछ कॉल गर्ल्स भी गिरफ्तार हुईं।

अब फिर इच्छाधारी बाबा बेल पर बाहर

बाबा भीमानंद का इस घटना के बाद जेल आना जाना लगा ही रहा। कभी एक केस में तो कभी दूसरे केस में। कभी सेक्स रैकेट मामले में तो कभी लोगों को नौकरी दिलाने के नाम पर पैसे लूटने के मामले में। साल 2017 में भी एक बार फिर बाबा भीमानंद गिरफ्तार हुआ, हालांकि बाद में फिर वो बेल पर बाहर आ गया था। जेल जाना और फिर बेल पर बाहर आना बाबा भीमानंद के साथ ये लगा रहा। हां इस जेल जाने की प्रक्रिया ने बाबा का धंधा थोड़ा मंदा जरूर कर दिया। अब करीब पांच साल बाद एक बार फिर बाबा भीमानंद चर्चा में है।

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इस बार फिर ये इच्छाधारी बाबा एक केस में फंस चुका है। मामला चित्रकूट में ही एक शख्स के साथ गुंडागर्दी करने, जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करने और धोखाधड़ी का है। हालांकि इस केस में भी बाबा भीमानंद को अब बेल मिल चुकी है। 

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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