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November 22, 2024 7:16 pm

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खौफनाक मौतों की दर्दनाक कहानी जिसके राज से नहीं उठा पर्दा 

13 पाठकों ने अब तक पढा

दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट 

आपने क्राइम थ्रिलर फिल्मों में देखा होगा कि कैसे शातिर अपराधी गंभीर क्राइम करने के बाद भी पुलिस की गिरफ्त से बच जाते हैं, तमाम कोशिशों के बाद भी अपराधी आजाद घूमते रहते हैं। ऐसा केवल फिल्मों में ही नहीं बल्कि असल जिंदगी में भी होता है। देश में ऐसे कई मर्डर मिस्ट्री हैं, जिनकी गुत्थी अब तक उलझी है। पुलिस, सीबीआई, सीआईडी जैसी जांच एजेंसियों की मशक्कत के बाद भी अपराधी पकड़ में नहीं आए। ये केस न्यूज में खूब चर्चा में रही। आज हम आपको ऐसी ही 5 मर्डर मिस्ट्री के बारे में बता रहे हैं, जो आज तक अनसुलझी है।

आरुषि मर्डर केस: इतिहास की सबसे सहस्यमय हत्या

16 मई 2008, सुबह का वक्त… नोएडा की एक सोसाइडी में 14 साल की आरुषि तलवार का शव उसके कमरे में बेड पर मिला। बराबर वाले कमरे में माता-पिता सोए थे। शुरुआत में पुलिस का शक नौकर हेमराज पर गया, क्योंकि वो गायब था। दो दिन तक पुलिस हेमराज को खोजती रही। इस केस में मोड़ तब आया जब दो दिन बाद हेमराज की डेडबॉडी छत पर मिली। अब ये एक नहीं दो मर्डर का मामला हो गया।

नोएडा पुलिस पर आरोप लगे कि उन्होंने सबूतों को गंभीरता ने नहीं लिया। नोएडा पुलिस ने दावा किया कि केस सॉल्व हो गया है और उन्होंने आरुषि के पिता डॉक्टर राजेश तलवार को आरोपी बताया। पुलिस ने राजेश को बेटी की हत्या के आरोप में 23 मई 2008 को गिरफ्तार भी कर लिया। लेकिन मीडिया में ये मामला काफी हाइलाइट हो चुका था। सारे न्यूज चैनलों-अखबारों में आरुषि का हत्यारा कौन? क्या बाप ने की बेटी की हत्या? पुलिस की लापरवाही से सबूत मिटे? जैसे सवाल छापे जा रहे थे।

इधर सरकार पर दवाब बना तो उन्होंने इस केस की जांच सीबीआई को सौंप दी। 31 मई 2008 से सीबीआई ने केस हैंडओवर कर लिया और नए सिरे से जांच शुरू की। फिर से मर्डर सीन रीक्रिएट किया गया, गवाहों के बयान फिर रेकॉर्ड हुए। एक-एक पहलू पर ध्यान दिया गया। राजेश तलवार का नार्को टेस्ट हुआ। केस चकरघिन्नी की तरह घूमता चला जा रहा था और वक्त रेत की तरह निकल रहा था।

सीबीआई की जांच में केस में शक की तलवार परिवार से हटकर नौकरों और कंपाउडरों तक पहुंच गई। सीबीआई ने राजेश के करीबी दुर्रानी परिवार के नौकर राजकुमार को गिरफ्तार किया। इधर राजेश 50 दिन जेल में गुजार चुके थे। हालांकि उन्हें जमानत मिली। दो साल बाद 2010 में सीबीआई ने अदालत में रिपोर्ट पेश की। सुनवाई चलती रही और गाजियाबाद कोर्ट माता-पिता को सबूत मिटाने का दोषी माना। 2012 में आरुषि की मां ने सरेंडर किया और जेल गईं। 2013 में अदालत ने माता-पिता को ही अपराधी माना और उम्र कैद की सजा सुना दी। बाद में वो दोनों जेल से छूट भी गए। लेकिन आज भी इस केस को अनसुलझा ही माना जाता है।

अमर सिंह चमकीला हत्याकांड

संगीत के एक शानदार कलाकार और बेहतरीन स्टेज आर्टिस्ट अमर सिंह चमकीला उनकी पत्नी अमरजोत और एक अन्य साथी कलाकार कि 8 मार्च 1988 को दिन दहाड़े बाइक सवारों ने गोली मारकर हत्या कर दिया… तीनों की घटनास्थल पर मौत हो गई…. उस वक्त चमकीला की पत्नी गर्भवती थी।

चमकीला की हत्या किसने करवाई और किसने उनपर हमला किया, इस गुत्थी से आज तक पर्दा नहीं उठ पाया। चमकीला को अक्सर खालिस्तानी आंतकियों से धमकी मिलती रहती थी। चमकीला के करीबियों का दावा है कि उनकी हत्या उनके ही किसी सहयोगी ने कराई, जो उनकी कामयाबी घृणा करते थे। आज तक चमकीला की मर्डर मिस्ट्री एक रहस्य बनी हुई है।

सुनंदा पुष्कर मर्डर की गुत्थी

17 जनवरी 2014… दिल्ली का 5 स्टार होटल का कमरा नंबर 345, जहां कांग्रेस सांसद और पूर्व मंत्री शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर की लाश मिली। आज तक सुनंदा पुष्कर की मौत भी आज तक रहस्य बनी हुई है। उन दिनों सारे न्यूज चैनल और अखबार सुनंदा पुष्कर की हत्या की खबरों से ही भरे पड़े थे। चूंकि ये केस हाईप्रोफाइल था और इससे सीधे शशि थरूर का नाम जुड़ा हुआ था।

मौत से एक दिन पहले सुनंदा पुष्कर ने सिलसिलेवार कई ट्वीट किए, जिसमें उनके और थरूर के रिश्ते में चल रही खटास का जिक्र था। ट्वीट के बाद जब पुष्कर की रहस्यमय तरीके से मौत हुई, तो अटकलों का बाजार गर्म हो गया। हर गली-मुहल्ले में चाय की टपरी पर इसकी चर्चा हो रही थी।

ये सब चल ही रहा था कि पुष्कर की बॉडी का पोस्टमार्टम करने वाले एम्स के डॉक्टर सुधीर गुप्ता के एक खुलासे से मामले ने और तूल पकड़ ली। उन्होंने दावा किया कि सुनंदा की मौत को नेचुरल बताने का उनपर दवाब बनाया गया। शक के घेरे में शशि थरूर थे। थरूर बार-बार ये कह रहे थे कि जांच पूरी हो और सच्चाई सामने आए।

इसके बाद पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने सबको चौंका दिया, जिसमें खुलासा हुआ कि सुनंदा की मौत अचानक और अननेचुरल वजहों से हुई। कई सालों तक ये मामला अदालत में चलता रहा। मौत के एक साल बाद जांच कर रही मेडिकल टीम ने खुलासा किया कि सुनंदा की मौत जहर देने से हुई। आज भी इस केस की सच्चाई सामने नहीं आ पाई है।

शीना बोरा हत्याकांड

जून 2015… मुंबई के बांद्रा इलाके में कार्टर रोड पर एक कार ने रेड लाइट क्रॉस की। ट्रैफिक पुलिस ने कार को लाल बत्ती जंप करने के आरोप में पकड़ा… कार चला रहा ड्राइवर श्यामबर राय कुछ घबराया सा लग रहा था। पुलिस को उस पर शक हुआ तो कार की तलाशी ली गई। गाड़ी में एक देसी तमंचा बरामद हुई। पुलिस ने राय को हिरासत में लिया और कड़ाई से पूछताछ की। ड्राइवर ने बताया कि उसने कुछ लोगों के साथ मिलकर तीन साल पहले एक लड़की का मर्डर किया और उसकी लाश को जंगल में फेंक दिया।

ड्राइवर के बयान के बाद मुंबई पुलिस में खलबली मच गई। पुलिस ने तुरंत जंगल में टीम भेजी, जहां उन्हें एक लाश के अधजले हिस्से मिले। पुलिस अधिकारियों की असली टेंशन तब बढ़ी जब उन्हें पता चला कि ये लाश जानी-मानी सेलिब्रिटी और कई चैनलों की मालकिन इंद्राणी मुखर्जी की बहन शीना बोरा की है। बाद में पता चला कि शीना इंद्राणी मुखर्जी की छोटी बहन नहीं बल्कि सगी बेटी है। राय ने पुलिस को बताया कि शीला की हत्या इंद्राणी मुखर्जी ने गला घोटकर की, इस दौरान उसका पति पीटर मुखर्जी मौजूद था। इंद्राणी मुखर्जी और पीटर मुखर्जी को जेल भी जाना पड़ा। हालांकि इस केस से आज तक पूरी तरह पर्दा नहीं उठ पाया।

गुड़गांव के स्कूल में बच्चे का मर्डर

सितंबर 2017… गुड़गांव के एक निजी स्कूल का बाथरूम, जहां स्कूल के दूसरी क्लास में पढ़ने वाले बच्चे का शव बाथरूम में मिला। बच्चे का गला कटा हुआ था। शुरुआत में पुलिस का शक बस कंडक्टर पर गया। पहले कहा गया कि बच्चे के साथ यौन उत्पीड़न हुआ, फिर उसका मर्डर कर दिया गया। पुलिस ने बस कंडक्टर को गिरफ्तार कर लिया। इस मामले की गुत्थी सुलझाने की जिम्मेदारी सीबीआई को सौंपी गई।

कुछ दिनों बाद एक और रिपोर्ट सामने आई, जिसमें कह गया कि बच्चे की हत्या ड्राइवर ने नहीं बल्कि स्कूल में पढ़ने वाले 11वीं के ही एक छात्र ने की। इस मामले में नाबालिग छात्र पर आरोप लगे। कहा गया कि आरोपी ने परीक्षा टालने के लिए बच्चे की हत्या कर दी थी। आरोपी को हिरासत में लेकर बाल सुधार गृह भेज दिया। हालांकि पांच साल बाद उसे जमानत मिल गई। लेकिन आज तक इस मर्डर मिस्ट्री से जुड़े कई सवाल हैं। जब मर्डर एक छात्र ने किया तो ड्राइवर को क्यों गिरफ्तार किया गया? और बच्चे के साथ यौन उत्पीड़न की बात में कितनी सच्चाई थी।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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