Explore

Search

November 1, 2024 1:55 pm

एहसान चुकाने की आई बारी ; भाजपा नवाब खानदान पर लगा सकती है दांव, प्रदेश में बड़ा संदेश देने क कोशिश

1 Views

सर्वेश द्विवेदी की रिपोर्ट 

रामपुर: उत्तर प्रदेश के रामपुर में एक बार फिर चुनावी माहौल गरमा गया है। एक साल के भीतर चौथी बार जिले में चुनावी बिगुल फूंका जा रहा है। यूपी चुनाव 2022 के चुनाव के बाद रामपुर लोकसभा सीट से सांसद रहे आजम खान ने सीट खाली की। वे दसवीं बार रामपुर शहर विधानसभा सीट से विधायक चुने गए थे। रामपुर लोकसभा सीट की खाली की। जून 2022 में हुए चुनाव में भाजपा के घनश्याम लोधी ने आजम खान के उम्मीदवार मोहम्मद आसिम रजा को 42 हजार वोटों से अधिक के अंतर से मात दी। इसके बाद हेट स्पीच केस में आजम खान को सजा हो गई। तीन साल की सजा के बाद विधायिकी गई।

रामपुर शहर विधानसभा सीट पर उप चुनाव हुआ और भाजपा के आकाश सक्सेना ने आजम के उम्मीदवार आसिम रजा को एक बार फिर मात दी। फरवरी- मार्च 2022 में हुए विधानसभा उप चुनाव को लेकर जिले में चौथा चुनाव स्वार विधानसभा सीट पर हो रहा है। यहां से विधायक आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम की सदस्यता 15 साल पुराने केस में दो साल की सजा के बाद छिन गई है। इलेक्शन कमीशन की ओर से चुनावी बिगुल फूंके जाने के बाद अब क्षेत्र में उम्मीदवारों के नामों पर चर्चा शुरू हो गई है। इसमें भाजपा या एनडीए की ओर से नवाब खानदान पर दांव लगाए जाने की बात कही जा रही है।

उम्मीदवारों की तलाश में दल

स्वार विधानसभा सीट पर चुनावी बिगुल फूंके जाने के बाद उम्मीदवारों के नामों पर कयासबाजी शुरू हो गई है। चुनाव आयोग की ओर से अधिसूचना जारी हो चुकी है। 10 मई को चुनाव एवं 13 मई को वोटों गिनती होनी है। इस घोषणा के बाद राजनीतिक दल भी चुनावी तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुट गए हैं। अपने-अपने उम्मीदवारों की तलाश शुरू हो गई है। नजर आजम खान की ओर से घोषित होने वाले उम्मीदवार पर होगी। लेकिन, दिलचस्पी भाजपा की ओर से घोषित होने वाले उम्मीदवार भी टिक गई है।

यूपी चुनाव 2022 में भारतीय जनता पार्टी ने 2014 के बाद पहली बार स्वार विधानसभा सीट एक अल्पसंख्यक उम्मीदवार को दी थी। दरअसल, गठबंधन के तहत यह सीट अपना दल (एस) के खाते में गई थी। अपना दल (एस) ने यहां से नवाब परिवार के सदस्य नवाब हैदर अली खान उर्फ हमजा अली को उम्मीदवार बनाया था। हालांकि, समाजवादी पार्टी ने यहां से रामपुर के कद्दावर नेता आजम खान के बेटे और पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम पर दांव लगाया।

अब्दुल्ला आजम ने स्वार सीट पर 2017 में भी कब्जा जमाया था। हालांकि, फर्जीआयु प्रमाण पत्र मामले में दोषी पाए जाने के बाद उनकी सदस्यता छिन गई थी। लेकिन, कोर्ट में केस चलने के कारण यहां उप चुनाव नहीं हुए। सपा ने एक बार फिर 2022 के चुनाव में अब्दुल्ला आजम पर भरोसा जताया। उम्मीदवार बनाया और अब्दुल्लाह आजम इस उम्मीदवारी पर खड़े उतरे। उन्होंने स्वार विधानसभा सीट पर एनडीए उम्मीदवार हमजा अली को भारी मतों से शिकस्त दी। हालांकि, एक साल से भी कम समय में पिता आजम के बाद अब्दुल्ला आजम भी अपनी विधायिकी गंवा बैठे हैं।

स्वार विधानसभा सीट पर एक बार फिर उप चुनाव हो रहा है। ऐसे में भाजपा की कोशिश इस सीट पर कब्जा करने की है। रामपुर लोकसभा और रामपुर शहर विधानसभा सीट को कब्जाने के बाद भाजपा की नजर आजम खान के मजबूत किले स्वार विधानसभा सीट पर टिक गई है। वहीं, आजम खान इस विधानसभा सीट पर अपने कब्जे के जरिए क्षेत्र में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश करते दिख रहे हैं। हालांकि, उनकी बीमारी और रामपुर शहर सीट पर हार के बाद से उनकी सक्रियता में कमी का खामियाजा स्वार सीट पर भुगतना पड़ सकता है।

भाजपा का भी है पूरा जोर

स्वार विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी पूरा जोर लगा रही है। भाजपा की कोशिश रामपुर से आजम खान के वर्चस्व को पूरी तरह समाप्त करने का है। स्वार विधानसभा सीट पार्टी के लिए काफी महत्वपूर्ण हो गया है। पार्टी इस सीट को कब्जाने के लिए अलग प्रकार का दांव खेल सकती है। देखना यह दिलचस्प होगा कि भाजपा इस सीट पर विधानसभा चुनाव के गठबंधन को बरकरार रखेगी या फिर पार्टी अपने उम्मीदवार को चुनावी मैदान में उतारेगी। अगर भाजपा ने अपना दल (एस) को यह सीट दी तो फिर यह तय माना जा रहा है कि अनुप्रिया पटेल यहां से नवाब परिवार के सदस्य मियां को यहां से उम्मीदवार बना सकती है। हालांकि, कयासबाजी यह भी है कि हमजा अली के पिता नवाब काजिम अली खान को भारतीय जनता पार्टी अपना उम्मीदवार बना सकती है।

नवाब काजिम अली कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे हैं। उनकी आजम खान से अदावत काफी पुरानी है। पिछले दिनों रामपुर लोकसभा और रामपुर शहर विधानसभा सीट पर हुए उप चुनाव में वे खुलकर भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में दिखे। भाजपा के पक्ष में मुसलमान वोटों को गोलबंद करने में उनकी भूमिका अहम मानी जा रही है। उनकी गतिविधियों के देखते हुए कांग्रेस ने उन पर एक्शन लिया है। ऐसे में भाजपा करीब 9 साल बाद यूपी की राजनीति में एक अल्पसंख्यक उम्मीदवार को चुनावी मैदान में उतार सकती है। लोकसभा चुनाव से पहले यह बड़ा संदेश देने की भी कोशिश होगी।

चुनौती तो आजम के सामने है

आजम खान के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती अपने जिले में वर्चस्व को बचाए रखने की है। रामपुर जिले को आजम का गढ़ माना जाता रहा है, लेकिन पिछले दो चुनावों में उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा। रामपुर लोकसभा सीट पर पहले भारतीय जनता पार्टी ने कब्जा जमाया। लोकसभा उप चुनाव 2022 में पार्टी ने यहां से घनश्याम लोधी को उम्मीदवार बनाया। घनश्याम लोधी कभी आजम खान के करीबी माने जाते थे। उन्होंने आजम के उम्मीदवार आसिम रजा को उनके ही गढ़ में करारी शिकस्त दे दी। लोकसभा उपचुनाव में हार के बाद आजम खान को सबसे बड़ा झटका विधानसभा उपचुनाव में लगा। 2019 के हेट स्पीच केस में सदस्यता गंवाने के बाद रामपुर विधानसभा सीट पर उप चुनाव हुए। इसमें आजम के सबसे बड़े दुश्मन माने जाने वाले आकाश सक्सेना हनी ने उनके उम्मीदवार आसिम रजा को हराकर बड़ा उलटफेर कर दिया।

रामपुर शहर सीट की हार ने आजम को बड़ी चोट दी है। रामपुर लोकसभा और रामपुर विधानसभा सीट पर हार के बाद आजम के सामने बेटे अब्दुल्ला आजम की विधानसभा सीट स्वार पर कब्जा जमाए रखने का है। वहीं, भारतीय जनता पार्टी स्वार विधानसभा सीट को जीत कर पूरे जिले में कब्जा स्थापित करने की कोशिश करती दिख रही है।

भाजपा के लिए अहम नवाब परिवार

भाजपा के लिए अपनी रणनीति को अंजाम देने के लिए नवाब परिवार अहम हो गया है। नवाब परिवार को अपने पाले में कर पार्टी इस पूरे इलाके में दबदबा बनाने की कोशिश कर सकती है। ऐसे में पार्टी स्वार विधानसभा उप चुनाव के लिए अपना उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतार दे तो अधिक आश्चर्य नहीं होना चाहिए। हाल के समय में भाजपा स्थापित किलों को ध्वस्त करने वाली राजनीति करती दिखी है। आजमगढ़ में अखिलेश यादव का किला ठहाया गया। वहीं, रामपुर में आजम खान के किले को ध्वस्त करने में पार्टी को कामयाबी मिली। हालांकि, मैनपुरी लोकसभा उप चुनाव में मुलायम सिंह यादव के किले को ध्वस्त करने में पार्टी कामयाब नहीं हुई। मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद खाली हुई इस सीट पर उनकी बहू और अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव ने जीत दर्ज की।

मैनपुरी में जीत के बाद से सपा का मनोबल काफी बढ़ा हुआ है। ऐसे में भाजपा स्वार विधानसभा सीट को जीतकर एक बड़ा संदेश देने की कोशिश करती दिख रही है। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले पार्टी की रणनीति उप चुनाव में जीत दर्ज कर बड़ा संदेश देने की है। सबसे बड़ा संदेश यह कि पार्टी के लिए कोई अछूत नहीं है। नवाब परिवार को साधकर पार्टी कुछ इसी प्रकार का खेल कर सकती है।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."