दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
कानपुर: मध्य प्रदेश में 2017 में हुए ट्रेन ब्लास्ट में सात दोषियों को फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद आतंक का खौफनाक रूप फिर याद आ गया। सूत्रों के अनुसार केस से जुड़े सभी लड़के 2017 के पहले लगातार इंटरनेट पर इस्लामिक स्टेट की वेबसाइट और कट्टरपंथ से जुड़ी सामग्री सर्च कर पढ़ते थे। सुरक्षा एजेंसियों ने इन्हें रेडार पर लिया। मध्य प्रदेश में ट्रेन में धमाके बाद ये युवक अपने घरों पर नहीं थे। इसके बाद शक पुख्ता हुआ और सभी गिरफ्तार हुए। सूत्रों ने बताया कि कानपुर से जिन लड़कों की गिरफ्तारी हुई थी, उनमें आतिफ मुजफ्फर सबसे खतरनाक विचारधारा का निकला। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में पढ़ा आतिफ फर्राटेदार अंग्रेजी बोलता है। वह इंटरनेट और अन्य साधनों के जरिए खुद ही कट्टरपंथ की ओर मुड़ गया।
आतिफ का परिवार बरेलवी मसलक का है, लेकिन आतिफ वहाबी विचारधारा को मानने लगा था। वह अपने घर में तो रहता था, लेकिन परिवार के लोगों से कम ही बातचीत करता था। आतिफ इंटरनेट पर आईएस की मैगजीन खूब पढ़ता था। इससे प्रभावित होकर उसने अपनी एक ई-मैगजीन शुरू की। बेहद करीने से तैयार ई-बुक पर ब्रेनवॉश करने वाली सामग्री होती थी। उसके ग्रुप में शामिल होने वाले लड़कों को ये ई-बुक पढ़ने के लिए दी जाती थी।
आतिफ इतना शातिर है कि सुरक्षा एजेंसियों के हर सवाल का जवाब वह बेहद आसानी से दे देता था। उसके विचार एकदम साफ थे। लेकिन क्रॉस क्वेश्चिंग में वह फंस जाता था। जब एजेंसियों ने सभी लड़कों के लैपटॉप, कंप्यूटर और मोबाइल तलाशे थे तो इनमें हैरान कर देने वाली जानकारियां मिली थीं। डिजिटल डिटेल ने अपराधियों को अंजाम तक पहुंचाने में मदद की थी। सूत्रों का कहना है कि इस स्वप्रेरित ग्रुप का थिंकटैंक रिटायर्ड एयरफोर्स कर्मचारी गौस मोहम्मद था, जबकि सारी योजनाओं को अंजाम तक पहुंचाने का काम आतिफ के हवाले था।
परिवारों से बोला था झूठ
आतिफ, गौस और अन्य ने जम्मू-कश्मीर के रास्ते बॉर्डर पारकर जाने की कोशिश की। वहां नाकाम होने पर जैसलमेर भी गए। इसके बाद सुंदरबन के रास्ते बांग्लादेश जाने का प्रयास किया, लेकिन सारी कोशिशें फेल हो गईं। इस दौरान सभी लोग अपने घर में बताकर गए थे कि वे मुंबई जा रहे हैं। लेकिन इसके बाद ये अपनी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए कानपुर-लखनऊ के बीच यात्रा करते थे।
कानपुर से गए थे एमपी
सूत्रों के अनुसार, एजेंसियों को शुरुआती जांच में ही पता चल गया था कि कानपुर से ही सारे लड़के बम लगाने के लिए मध्य प्रदेश गए थे। कानपुर से पकड़े गए ज्यादातर लड़के आपस में रिश्तेदार हैं।
अपने बच्चों को छोड़ दिया
एयरफोर्स से रिटायर्ड गौस मोहम्मद का जाजमऊ में टीले पर घर है। वह भारत में रहकर देसी संसाधनों से जेहाद करना चाहता था। लड़कों का ब्रेनवॉश करने में गौस का भी बड़ा हाथ था। गौस के भी बच्चे थे, लेकिन उसने उनको कट्टरपंथ की तरफ नहीं मोड़ा था। एजेंसियों ने जब गौस से इस बारे में सवाल पूछा तो उसका जवाब था कि हर किसी की किस्मत में ये सौभाग्य नहीं होता।
Author: samachar
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