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‘हंसुआ के बिआह में खुरपी के गीत’…बिहार कांग्रेस के सपनों पर ‘नीतीश’ ने फेरा पानी

BJP और RSS को रोकने का प्लान तैयार, Tejashwi Yadav ने 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति को लेकर कही ये बात

दिप्ती मिश्र की रिपोर्ट 

पटना : बताइए भला ऐसा कहीं होता है जी। ‘हंसुआ के बिआह में खुरपी के गीत’। बिहार कांग्रेस को दिख नहीं रहा है। लालू यादव अभी-अभी अस्पताल के बिस्तर से उठे के थोड़ा खड़े हुए हैं। नीतीश जी समाधान यात्रा में व्यस्त हैं। तेजस्वी पिता की सेवा के अलावा बिहार के अन्य मुद्दों पर काम कर रहे हैं। इस बीच में कैबिनेट विस्तार की बात कोई सुनेगा जी। उपरोक्त बातें कुछ लोगों की बातचीत का अंश है। राजधानी पटना के सचिवालय कैंपस की चाय दुकान पर हो रही इस चर्चा को आप गौर से सुनिए। चाय दुकान पर बैठे एक बुजुर्ग नेता जैसे दिखने वाले व्यक्ति कहते हैं। बिहार कांग्रेस का लोग सब पगला गया है। ई भला समय है कैबिनेट विस्तार का। अभी तो महागठबंधन अपनी ताकत जुटाने में लगा है। पूर्णिया के रंगभूमि मैदान में रैली होने वाली है। इस बीच में ई लोग ‘हंसुआ के बिआह में खुरपी के गीत’ गा रहा है। आपको बता दें कि कुछ दिन पहले ही बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का बयान आया था। उन्होंने कहा कि उनकी मुलाकात मुख्यमंत्री से हुई है। बहुत जल्द बिहार कैबिनेट में कांग्रेस को उसका हिस्सा मिलेगा।

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कैबिनेट विस्तार में फंसा पेंच

अखिलेश प्रसाद सिंह के बयान के दो दिन बाद तेजस्वी यादव का बयान आया। तेजस्वी पत्रकारों के पूछे जाने पर आश्चर्य जताते हुए कहा कि कैसा कैबिनेट और कौन सा विस्तार। अब समझ गये होंगे कि बिहार प्रदेश कांग्रेस की महागठबंधन में हैसियत क्या है? जी हां, ये हम नहीं कह रहे हैं। बिहार के सियासी गलियारों में यही चर्चा है। जानकार मानते हैं कि कांग्रेस को लालच तो दोनों हाथों में लड्डू देने का दिया गया। प्राप्त आज तक कुछ नहीं हुआ। अब कैबिनेट विस्तार को लेकर मुख्यमंत्री का बयान कांग्रेस को असहज करने वाला है। नीतीश कुमार ने विस्तार की बात पूछे जाने पर कह दिया कि तेजस्वी यादव से पूछिए। तेजस्वी यादव कह रहे हैं कि उन्हें कुछ पता ही नहीं। उधर, बिहार में 14 जनवरी के बाद से ही मंत्रिमंडल विस्तार के कयास लगाए जा रहे हैं। बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद दो मंत्रियों ने इस्तीफा भी दे दिया है। ऐसे में मंत्रिमंडल विस्तार तय माना जा रहा है, लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर पेंच फंसता नजर आ रहा है।

तेजस्वी ने झाड़ा पल्ला

मंत्रिमंडल में काम हिस्सेदारी के बाद कांग्रेस मंत्रिमंडल विस्तार की बाट जोह रही है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह साफ कहते हैं कि जिसका जो हक है उसे मिलना चाहिए। उन्होंने साफ लहजे में कहा कि मंत्रिमंडल विस्तार तो होगा और जिसका जो हक है वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार देंगे। उन्होंने अपनी बात रख दी है आगे नीतीश कुमार जो करें। इधर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तीन दिन पहले इस संबंध में साफ कर दिया है कि उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ही तय करेंगे। दरअसल, मंत्रिमंडल विस्तार में राजद और कांग्रेस कोटे से ही मंत्री बनना है। ऐसे, में पेंच फंसता दिखाई दे रहा है। नीतीश कुमार मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर गेंद भले राजद की ओर डाल दी हो, लेकिन कांग्रेस तेजस्वी को मानने को तैयार नहीं है। अब सवाल उठता है कि क्या नीतीश कुमार जान बूझकर तेजस्वी के पाले में गेंद डाल रहे हैं। सियासी जानकार मानते हैं कि तेजस्वी को ये बताया ही नहीं गया था कि कांग्रेस की भी हिस्सेदारी रहेगी। तेजस्वी को साफ लगता है कि उनकी पार्टी सबसे बड़ी है। इसमें और विस्तार की जरूरत क्या है?

नीतीश को इंटरेस्ट नहीं है!

बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने दिल्ली में मीडिया को बयान दिया था कि जदयू, राजद और कांग्रेस अपना-अपना तय कर ले और फिर इस पर बातचीत हो जाएगी। इससे पहले भी तेजस्वी ने कहा था कि पता नहीं कहां से मंत्रिमंडल विस्तार की बात आ जाती है। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता असितनाथ तिवारी कहते हैं कि पार्टी मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर आशान्वित है और होगा भी। मुख्यमंत्री अभी समाधान यात्रा में व्यस्त हैं। मंत्रिमंडल विस्तार मुख्यमंत्री का विषय है और यह उनका अधिकार क्षेत्र है। जानकारों की मानें, तो कांग्रेस के कई नेता अखिलेश प्रसाद सिंह के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने की फिल्डिंग किये थे। उन्होंने अखिलेश का समर्थन इस शर्त पर किया था कि उन्हें बिहार कैबिनेट में जगह दिलाएं। अखिलेश पर कांग्रेस के विधायकों का दवाब है कि उन्हें जल्द पद मिले। अखिलेश चाहकर भी ये नहीं कर पा रहे हैं। नीतीश कुमार ने इस पूरे मसले से अपने पल्ला झाड़ लिया है। उधर, तेजस्वी बार-बार ये कह रहे हैं कि उन्हें कुछ भी पता नहीं। तेजस्वी का ये कहना कि ये मंत्रिमंडल विस्तार की बात कहां से आ जाती हैं? कुल मिलाकर कांग्रेस की स्थिति यही है कि ‘गाछे कटहल, ओठे तेल’। जानकारों की मानें, तो महागठबंधन के दो बड़े घटक दल यही मान रहे हैं कि कांग्रेस ‘हंसुआ के बिआह में खुरपी के गीत’ गा रही है।

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