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कानपुर

मौसम की नाराज़गी किसानों की लील रही है जिंदगी ; बेमौत मर रहे हैं लोग

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दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट 

यूपी में लगातार हो रही बेमौसम की बारिश और बाढ़ ने किसानों की लाखों हेक्टेयर की फसल बर्बाद कर दी है। 24 जिलाें में नदियां उफान पर हैं। मौसम की इस मार से हताश 4 किसानों ने 8 दिनों में सुसाइड कर लिया।

फिरोजाबाद का रहने वाला 27 साल का घनश्याम। दो महीने पहले उसने 70 हजार रुपए का कर्ज लेकर 4-5 बीघे जमीन बटाई पर ली थी। इस जमीन पर उसने धान और बाजरे की फसल लगाई थी। धीरे-धीरे फसल बढ़ने लगी। सब कुछ सही चल रहा था। फिर कुछ दिन पहले शुरू हुई बारिश घनश्याम के माथे पर चिंता की लकीरें ले आईं।

बारिश ज्यादा होने से उसकी फसल झुक गई। धीरे-धीरे खेत में पानी भर गया। पानी इतना ज्यादा हो गया कि बाजरे की फसल गिरकर डूब गई और धीरे-धीरे सड़ने लगी। उसकी आंखों के सामने उसकी मेहनत, उसके अरमान, सपने सब खत्म हो गए। घनश्याम इतने बड़े दर्द को झेल नहीं पाया। कर्ज और भविष्य की चिंता में उसने करवा चौथ पर 13 अक्टूबर की देर रात अपने घर के आंगन में फांसी लगाकर जान दे दी।

घनश्याम के परिवार में अब पत्नी के अलावा 2 बेटियां और 9 महीने का बेटा रह गया है। उसकी पत्नी सोवा सीना पीट-पीटकर रो रही है। गांव की महिलाएं उसको घेर कर बैठी हुई हैं। उसके हाथ पर चूड़ी टूटने के घाव बने हुए हैं। सोवा रो-रोकर बोल रही है, हमको साथ क्यों नहीं ले गए। अब हम लोग तुम्हारे बिना क्या करेंगे।

घनश्याम की 65 साल की मां चारपाई पर 9 महीने के पोते को दुलारते हुए अपने आंसू पोछ रही है। घनश्याम का घर ईंट का बना हुआ है। किचन में रखे डिब्बों में अधिकाशं खाली हो चुके हैं। परिवार के पास 15 दिन से भी कम का राशन बचा है। घनश्याम की 3 साल की बेटी सलोनी और 5 साल की मौसम भी मां को देखकर रो रही हैं।

पत्नी सोवा का कहना है, “जिस दिन से बारिश शुरू हुई थी, उसी दिन से मेरे पति परेशान थे। वो पागलों की तरह बार-बार खेत देखने जाते थे। रात रात भर उनको नींद नहीं आती थी। वो किसी भी तरह अपनी फसल को बचाना चाहते थे। जब खेत में पानी भरा तो उसे निकलवाने का भी प्रयास किया। लेकिन बारिश पूरा दिन होती रही, इससे पानी भरता ही चला गया। इसके बाद उनको तेज बुखार भी आ गया।”

खुद को संभालते हुए सोवा बोली, “गुरुवार को रात में वो घर वापस आए तो खेत पर रखा अपना सामान उठा लाए थे। मैंने उनसे पूछा, ये सामान क्यों उठा लाए हो। जिस पर उन्होंने कहा अब इसकी वहां पर जरूरत नहीं है। अगर लगेगी तो फिर ले जाएंगे। उसके बाद वो कमरे में चले गए। थोड़ी देर वो लल्ला के साथ खेले भी। अपनी बेटियों से भी बात की। फिर मां के साथ चाय पी। उसके बाद उठकर आंगन में चले गए। वहीं पड़ी खटिया पर लेट गए। खाना भी नहीं खाया। मैंने पूछा तो बोले, बाद में खा लेंगे खाना।

हम लोग भी अंदर कमरे में सो गए। सुबह जब मैं बाहर आई तो देखा मेरे पति कुंडी से लटक रहे थे। उनके गले में उनका गमछा बंधा हुआ था। जिस रात मैंने अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखा था, दूसरी सुबह उसी पति को खो दिया। मेरे पति के जाने के साथ हमारी जिंदगी भी खत्म हो गई है।”

मामले में SDM विवेक राजपूत का कहना है, किसान घनश्याम के पास कोई जमीन नहीं है। जमीन के पैसे देकर उसने खेती शुरू की थी। बारिश में फसल डूबने के बाद वो परेशान था। उसी के बाद उसने ये कदम उठाया है। हम लोग परिवार की हर संभव मदद करेंगे। मुआवजा राशि दी जाएगी।

कानपुर में एक 60 साल की बुजुर्ग महिला किसान ने फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली। महिला किसान माया की बारिश में 5 बीघा धान की फसल बर्बाद हो गई। महिला के छोटे बेटे शिवप्रसाद ने बताया, कुछ महीने पहले ही उसके पिता की बीमारी के चलते मौत हो गई थी।

पिता के इलाज में भी बहुत पैसा खर्च हुआ था। पिता की मौत के बाद से मां ही घर संभाल रही थीं। मां ने 50 हजार का कर्जा लेकर मामा की शादी भी करवाई थी। वो कहती थी खेती के पैसे से सारा कर्ज उतार देंगे लेकिन मां तो हम सब को छोड़कर चली गईं। अब कौन हम लोगों का ध्यान रखेगा।

मैं और मामा नारेंद्र शहर में मजदूरी करते हैं। मां बहन सीमा के साथ घर में रहती थी। बहन ने ही मां के शव को देखा था। जब मेरी बहन बाहर गई हुई थी मां ने कमरे में फांसी लगाकर जान दे दी। मां की मौत के बाद से बहन भी सदमे में है। इस बारिश ने हमसे हमारी मां को छीन लिया। अब कैसे कर्जा उतरेगा कुछ समझ नहीं आ रहा है।

बाराबंकी के एक किसान की डेढ़ बीघा धान की फसल लगातार हो रही बारिश में डूब गई थी। उसके पूरे खेत में पानी भर गया था। अपनी मेहनत को खराब होता देख किसान ने पत्नी की साड़ी से फंदा बनाकर फांसी लगा ली थी। जब पत्नी घर के आंगन में गई, तो उसको अपना पति फंदे पर झूलता हुआ दिखाई दिया था।

35 साल के किसान घनश्याम वर्मा अपने पीछे अपनी दो मासूम बच्चियों, पत्नी और बूढ़ी मां को छोड़ गए हैं। घर में एक छोटा भाई भी है। वह मजदूरी करता है, लेकिन घर का खर्चा घनश्याम ही चला रहे थे। घर में बैठी किसान की 70 साल की मां अपनी किस्मत पर रोती है।

मां कहती है, ”भगवान ये सब दिखाने के लिए हमको अभी तक बैठाए हुए है। अपने जवान बेटे की लाश देखने से अच्छा था हम मर जाते।” घनश्याम के घर की स्थिति बहुत खराब है। ईंट से बने घर में छप्पर पड़ा हुआ है। जिस साड़ी से घनश्याम ने फांसी लगाई थी, वह भी एक किनारे रखी हुई है। परिवार के लोगों की हालत बहुत खराब है।

घनश्याम की पत्नी पूनम ने बताया, “मेरे पति पर लगभग 50 हजार रुपए का कर्जा था। अब तो न खेती बची न मेरे पति…अब हम लोग क्या करेंगे। दो बेटियां महक और पलक हैं। उन्हें कैसे पालेंगे? उनके ऊपर से भी बाप का साया उठ गया है। घर में कुछ भी नहीं बचा है। हमारी सारी उम्मीदें खत्म हो गई हैं। बारिश के कारण हम लोगों की जिंदगी बर्बाद हो गई।”

मामले में हैदरगढ़ SDM सुरेंद्र पाल विश्वकर्मा का कहना है, “मौके पर लेखपाल को भेजकर जांच के आदेश दिए गए हैं। जैसे ही जांच रिपोर्ट आती है उसके अनुसार मृतक किसान को आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी।”

बरेली में एक किसान ने अपनी 15 बीघा धान की फसल बारिश से बर्बाद होने पर फांसी लगा ली। किसान ने बैंक से भी कर्ज लिया था। पैसों का ब्याज देने के लिए बैंक के कर्मचारी भी उससे बोल रहे थे। इन सब बातों से परेशान होकर किसान मदन पाल सिंह ने यह कदम उठा लिया। मामला मीरगंज थाना क्षेत्र का है।

मदन ने अपने गांव सतुईया पट्टी में घर के पास बने खपरैल में आत्महत्या की है। मदन की पत्नी का कहना है, “मेरे पति ने अपने अंगोछे का फंदा लगाकर जान दे दी। पति पर बैंक मैनेजर पैसे अदा करने का दबाव बना रहे थे। वहीं सूदखोर पैसा न देने पर खेती जब्त करने की धमकी दे रहे थे।”

मामले में DM शिवाकांत द्विवेदी का कहना है, “ये घटना बहुत दुखद है। इस गांव में कई किसानों की फसल बर्बाद हुई है। मदन के घरवालों को हर संभव मदद दी जाएगी। गांव के सभी किसानों की मदद की जाएगी।”

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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