नौशाद अली की रिपोर्ट
बलरामपुर : खेती महंगी हो गई या फिर सस्ती उसे करने के लिए लोगों के पास पूंजी नहीं है। कारण कुछ भी हो, लेकिन जिले में 55 हजार लोग ऐसे हैं, जो खेत होते हुए भी महानगरों में नौकरी व मजदूरी कर रहे हैं। यह राजफाश हाल ही में कृषि विभाग के चलाए ई-केवाईसी अभियान में हुआ है।
सम्मान निधि ले रहे 28,2,985 किसानों से संपर्क साधने की मुहिम चला रहा कृषि विभाग गांव-गांव किसानों से संपर्क कर रहा है। विभाग में पंचायतवार नियुक्त कृषि प्राविधिक सहायक अब तक 18,2,198 किसानों से मिलकर उनकी ई-केवाईसी करा चुके हैं, जबकि एक लाख 788 लोगों से संपर्क नहीं हो पाया है। गांवों में पहुंचे कृषि प्राविधिक सहायकों को 55 हजार किसानों के बारे में उसी गांव के लोगों से यह जानकारी भी मिली कि खेती छोड़कर नौकरी या मजदूरी करने शहर चले गए हैं। किसी के पास खेती करने के लिए पूंजी तक नहीं थी तो किसी के परिवार वालों ने बताया कि खेती से बच्चों की पढ़ाई समेत अन्य खर्च नहीं पूरे हो पा रहे हैं। इसलिए खेत से परिवार का गुजारा नहीं चल पाने के कारण परदेस चले गए।
बढ़ी मजदूरी ने किया परेशान
बाढ़, सूखा की आपदा के साथ फसलों पर रोगों के प्रकोप ने भी किसानों का मोहभंग किया है। फसलों के सबसे बड़े दुश्मन टिड्डा व बेसहारा जानवर हैं, जो उन्हें क्षणभर में तबाह कर रहे हैं। साथ ही महंगी खाद, बीज व दवाओं के साथ ही बढ़ी मजदूरी ने किसानों को दूसरा विकल्प चुनने को विवश कर दिया है। गंगापुर-अमरहवा के किसान राजेंद्र पांडेय का कहना है कि महंगाई के चलते छोटे किसान खेती छोड़कर परदेश भाग रहे हैं। कृषि उप निदेशक डा. प्रभाकर सिंह ने अब तक एक लाख 788 किसानों की ई-केवाईसी नहीं हो पाई है। इनमें से आधे से अधिक लोग परदेस चले गए हैं जिससे इनकी ई-केवाईसी नहीं हो पा रही है।
Author: samachar
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