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रपटराजनीति

बढ़ती दूरियां आ गई है अलगाव के मोड़ पर; अपने नए ठिकानों की तलाश में “राजभर”

ज़ीशान मेहदी की रिपोर्ट 

लखनऊ,  उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव सम्पन्न होने से पहले यूपी में अखिलेश यादव-जयंत चौधरी- ओम प्रकाश राजभर के गठबंधन की गूंज सुनाई दे रही थी। इस गठबंधन में कुछ और छोटे दल भी शामिल थे जिसमें महान दल भी था। यूपी में चुनाव बीतने के कुछ दिनों बाद ही महान दल के नेता केशव देव मौर्य ने अखिलेश से अलग होने की घोषणा कर दी थी। विधानसभा चुनाव के बाद हुए लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी की जीत ने गठबंधन को कमजोर करने का काम किया। इसके बाद ओम प्रकाश राजभर ने अखिलेश को एसी कमरे से बाहर निकलकर राजनीति करने की सलाह दी थी। इसके बाद से ही अखिलेश-राजभर के बीच दूरियां बढ़ गईं थीं। इसके बाद से ही राजभर अपने नए ठिकाने की तलाश में जुटे हुए हैं।

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यूपी विधानसभा का चुनाव सम्पन्न होने के बाद अब अखिलेश को अपना गठबंधन बचाना भी भारी पड़ रहा है। बीजेपी लगातार यह आरोप लगा रही है कि अखिलेश अपने सहयोगियों को संभाल नहीं पा रहे हैं। एसबीएसपी के चीफ ओम प्रकाश राजभर ने राष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार को समर्थन देने का ऐलान कर दिया लेकिन अखिलेश के साथ चल रहे गठबंधन पर वह चुप्पी साधे रहे। बताया जा रहा है कि ओम प्रकाश राजभर अखिलेश से अलग होने की पटकथा लिखने में जुटे हुए हैं और वह सही मौका देखकर ही चौका लगाएंगे।

अमित शाह से मिलने वाले राजभर अखिलेश से क्यों नहीं मिल पा रहे ?

राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रोपदी मुर्मू को समर्थन देने का ऐलान करने वाले राजभर की माने तो वह उनकी शाह से मुलाकात भी हुई और फोन भी आया था। लेकिन वह लखनऊ में रह रहे अखिलेश से मिल नहीं पा रहे हैं। राजभर का आरोप है कि अखिलेश उन्हें मिलने का मौका नहीं दे रहे हैं जबकि समाजवादी पार्टी कह रही है कि उन्होंने कभी मिलने का समय ही नहीं मांगा। यानी दोनों तरफ से मामला लगभग बिगड़ चुका है। दोनों इस बात के इंतजार में हैं कि पहले कौन कदम उठाता है। राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो राजभर चाहते हैं कि अखिलेश उन्हें गठबंधन से बाहर कर दें और अखिलेश चाहते हैं कि राजभर खुद ही गठबंधन छोड़ दें तो बेहतर है।

एसी कमरे से बाहर निकलने की सलाह से अखिलेश नाराज

विधानसभा चुनाव के बाद यूपी में हुए राज्यसभा चुनाव के दौरान ही अखिलेश और राजभर के रिश्तों के बीच दरार पड़ गई थी। रही सही कसर रामपुर और आजमगढ़ में हुए दो सीटों पर लोकसभा उपचुनाव ने पूरा कर दिया। उपचुनाव में मिली हार के बाद राजभर ने कहा था कि अखिलेश को एसी कमरे में रहने की आदत हो गई है। उन्हें एसी कमरे से बाहर निकलकर राजनीति करनी चाहिए। सपा के सूत्रों की माने तो राजभर के इस बयान के बाद से ही अखिलेश काफी भड़क गए थे। इसी गुस्से का आलम है कि वह राजभर को मिलने का समय तक नहीं दे रहे हैं।

यूपी विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत हासिल करने वाली बीजेपी ने एक तरफ जहां आम चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी है वहीं यूपी के सबसे मजबूत गठबंधन को बिखेरने का प्लान भी तैयार कर लिया है। बीजेपी आम चुनाव से पहले अखिलेश के कुनबे को बिखेरना चाहती है। चाहे आजम खान हों या शिवपाल या फिर ओम प्रकाश राजभर। इन सबका इस्तेमाल अखिलेश को कमजोर करने के लिए हो रहा है। बीजेपी को पता है कि ओम प्रकाश राजभर की आम चुनाव में बेहद जरूरत है। राजभर के साथ न होने का परिणाम पूर्वांचल में बीजेपी विधानसभा चुनाव में भुगत चुकी है लिहाजा वह मोदी को तीसरी बार पीएम बनाने के लिए यूपी में राजभर को हर कीमत पर साथ लाना चाहती है।

ओम प्रकाश राजभर ने हालांकि अभी अखिलेश के साथ गठबंधन से अलग होने का फैसला नहीं लिया है लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि जल्द ही वह इसको लेकर कोई बड़ा ऐलान कर सकते हैं। राजभर के अलग होने के बाद रालोद के चीफ जयंत चौधरी ही गठबंधन के एकलौते साथी के तौर पर अखिलेश के साथ रहेंगे। इसमें भी अखिलेश ने उन्हें राज्यसभा भेजा है तो इतनी जल्दी जयंत कोई कदम भी नहीं उठाएंगें। जयंत तब तक अखिलेश के साथ बने रहेंगे जब तक यूपी में मुस्लिमों का जुड़ाव उनके साथ रहेगा क्योंकि इसी में जयंत का फायदा भी है।

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