ओम प्रकाश पाण्डेय की रिपोर्ट
बलिया । सागरपाली गांव मे पारसनाथ पाण्डेय के आवास पर चल रही श्रीमद्भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ के प़थम दिवस पर श्रद्धालुओं को कथा का रसपान कराते हुये कथाव्यास डाक्टर श्री प्रकाश मिश्र जी ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा अनादिकाल से है इसके श्रवण से चारों पुरुषार्थों ( धर्म अर्थ काम मोक्ष ) की प्राप्ति हो जाती है । कारण यह कोई साधारण पुस्तक नही है जब भगवान श्रीकृष्ण इस धराधाम को छोडकर गोलोक वासी होने को चले तो उद्धव जी ने श्रीकृष्ण से पूछा कि प्रभु आप अपने भक्तों का कार्य पूर्ण करके जा रहे हैं आने वाले जो भक्त होंगे उनका उद्धार कैसे होगा तब भगवान श्रीकृष्ण के शरीर में से एक तेज निकला जो भागवत मे समा गया इसी लिये इनको भागवत भगवान कहते है़ । इस कथा को सबसे पहले श्रीमन्नारायण ने ब़ह्माजी को सुनाई थी ब्रम्हाजी जी ने नारद जी को नारद जी ने व्यास जी को चतु:श्लोकी भागवत दिया व्यास जी ने चार श्लोकों के आधार पर अठ्ठारह हजार श्लोकों की रचना करके अपने अवधूत पुत्र श्री शुकदेव जी को पढाया श्रीशुकदेव जी ने जब राजा परिक्षित को श्राप लगा कि आजके सातवें दिन तक्षक नाग के डंसने से मृत्यु हो जायेगी यह सुनकर राजा के पास जाकर श्रीमद्भागवत महापुराण कथा सुनाकर सप्ताहांत मुक्ति दिलाई थी ।इस कथा के रसपान से सारी मनोकामनायें पूर्ण होकर अंत में वैकुंठ लोक की प्राप्ति कराता है।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."