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November 2, 2024 8:58 am

कमरा बंद कर पति को बेदम होने तक डंडे से पीटा इस बेरहम पत्नी ने, पढ़िए क्या है मामला

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दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट

झांसी में एक दिल दहलाने वाला मामला सामने आया है। यहां पति के शराब पीने की आदत से परेशान पत्नी ने कमरा बंद कर पति पर 10 मिनट तक लाठियां बरसाती रही। इस दौरान उसने यह भी नहीं देखा कि पति के शरीर पर लाठी की चोट कहां-कहां लग रही है।

पति के चिल्लाने की आवाज सुनकर परिवार वाले दरवाजा पीटने लगे। बावजूद महिला ने दरवाजा नहीं खोला। पड़ोसियों की मदद से दरवाजा तोड़ा गया। लेकिन तब तक पति मरणासन्न हो चुका था। लोग महिला के चंगुल से युवक को छुड़ाकर मेडिकल कॉलेज ले गए, जहां गुरुवार को उसकी मौत हो गई। पुलिस ने पत्नी को हिरासत में ले लिया है। उससे पूछताछ की जा रही है।

झांसी के पूंछ थाना क्षेत्र के बाबई गांव में पुष्पेंद्र अहिरवार (26) पुत्र बृजलाल अहिरवार रहता था। करीब 5 साल पहले उसकी शादी जालौन के मरगाय गांव निवासी रमाकांति से हुई थी। छोटे भाई राघवेंद्र सागर ने बताया कि पुष्पेंद्र शराब पीता था। भाभी इसे बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी।

इसको लेकर पति-पत्नी के साथ आए दिन झगड़ा होता था। बुधवार रात करीब 8 बजे पुष्पेंद्र शराब पीकर घर आया था। इस बात को लेकर पति-पत्नी में फिर झगड़ा हो गया। राघवेंद्र ने बताया कि वह गांव में गया था और उसकी पत्नी रितु घर पर थी। तभी यह घटना हुई।

कमरे की कुंडी बंद करके पीटा

राघवेंद्र सागर ने बताया कि भाई-भाभी के बीच झगड़ा कुछ ज्यादा ही बढ़ गया। इसी के चलते भाभी रमाकांति ने कमरे की कुंडी बंद करके पुष्पेंद्र पर लाठी से ताबड़तोड़ वार करना शुरू कर दिया। आवाज सुनकर रितु ने गेट खोलने को कहा, लेकिन भाभी ने खोला। तब सूचना पर वह घर पहुंचा। आवाज सुनकर आस-पास के लोग भी आ गए। करीब 10 मिनट बाद दरवाजा तोड़ा गया, तो पुष्पेंद्र मरणासन्न अवस्था में पड़ा था।

बीएड की पढ़ाई कर रहा था पुष्पेंद्र

पुष्पेंद्र बीएड की पढ़ाई कर रहा था, जबकि रमाकांति बीए पास है। पुष्पेंद्र के पिता मैनपुर में सरकारी टीचर हैं। मां रामकली की करीब 7 साल पहले मौत हो चुकी है। पुष्पेंद्र की 3 बहनें भी हैं, जो शादीशुदा हैं। दोनों भाई और उनकी पत्नी गांव में रहते थे। पति की मौत के बाद अब पत्नी रो रही है। पुष्पेंद्र की 4 साल की एक बेटी काव्या भी है।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."