google.com, pub-2721071185451024, DIRECT, f08c47fec0942fa0
कविता

कविता ; मीठे किस्से रूठ गये

IMG-20250425-WA1484(1)
IMG-20250425-WA0826
IMG-20250502-WA0000
Light Blue Modern Hospital Brochure_20250505_010416_0000
IMG_COM_202505222101103700

प्रमोद दीक्षित मलय

महुआ कैथा जामुन से रिश्ते टूट गये।
नानी-दादी के मीठे किस्से रूठ गये।
भूल गये अमराई में सावन के झूले,
अपनी सोंधी माटी के हिस्से छूट गये।।

समता ममता की मधुरिम बातें भूल गये।
नील गगन स्वच्छ चांदनी रातें भूल गये
शहर समझता केवल धन की भाषा बोली,
निर्मल मन के प्रिय रिश्ते-नाते भूल गये।।

पगडंडी का अपनापन राजमार्ग में नहीं मिला।
शहर स्वार्थी में बस मन-देह का अंग छिला।
प्रीति धूप, सरस जल, मलय पवन मधु खाद बिन,
सुरभित नेह का सुमन गमलों में नहीं खिला।
•••

शिक्षक, बांदा (उ.प्र.)
89 पाठकों ने अब तक पढा
samachardarpan24
Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

[embedyt] https://www.youtube.com/embed?listType=playlist&list=UU7V4PbrEu9I94AdP4JOd2ug&layout=gallery[/embedyt]
Tags

samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की
Check Also
Close
Back to top button
Close
Close