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अलीगढ़उत्तर प्रदेश

नेताजी अब जीत गए, अब कौन पहचानता है पब्लिक को…व्हाटसप ग्रुप से हटे और चौपाल से हुए नौ दो ग्यारह

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दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट

हम चर्चा करने जा रहे हैं अलीगढ़ की। हार जीत किसी भी रण के दो पहलू होते हैं। किसके नसीब में क्या आ जाए कोई पता नहीं चलता? लेकिन, परिणाम आने के बाद अपनों से ही दूरी बना ली जाए ये नीति नहीं है। भविष्य के लिए भी ठीक नहीं। विधानसभा चुनाव के जारी हुए परिणाम के बाद कुछ ऐसा ही कार्यकर्ताओं को देखने को मिला। कुछ नेताओं ने जीत का प्रमाण पत्र हासिल करने के कुछ घंटे बाद ही अपने को उन वाट्सएप ग्रुप से अलग कर लिया जिन पर वोट देने की अपील किया करते थे। सुबह से शाम तक ग्रुप से जुड़े लोगों के बीच अपनत्व दिखाया करते थे। एक के बाद एक ग्रुप छोड़ने से सभी हैरान रह गए। चर्चा शुरु हो गई कि नेताजी को क्या अब कोई काम नहीं पड़ेगा? क्या ये उनका आखिरी चुनाव है? नेताजी को इसका आभास हुआ हो या नहीं, लेकिन कार्यकर्ता ठगा सा महसूस कर रहे हैं।

विधानसभा का सफर पुन: तय करने साइकिल पर सवार हुए बुजुर्ग नेताजी के अरमान पूरा करने के लिए समर्थकों ने कसरत तो खूब की, मगर करामात न कर सके। दाढ़ी वालों की जोड़ी ने तो रात-दिन एक कर दिए थे। विधायकी का ताज पहनाने का नेताजी को भरोसा जो दिलाया था। बीमारी से उठते ही नेताजी को पब्लिक के सामने ले आए। जातीय समीकरण बैठाकर सदर में जीत का परचम लहराने का तानाबाना बुन लिया गया। मगर, इनकी लगन और मेहनत राजा के किला को ढहाने में नाकाम रही। हालांकि, एक बार तो लगा कि किला ढह जाएगा। वोटों का ग्राफ गिरने लगा था, लेकिन अंतिम दौर में खुले वोटों ने तय कर दिया कि किला खड़ा रहेगा। कोल में तो और बुरे हालात बन गए थे। सीट निकालना भारी पड़ गया। भाजपा के लिए ये सीट, ‘तूफान से कश्ती निकालने’ जैसी साबित हुई। पर, अंत भला तो सब भला। 

अतिक्रमण का दंश झेल रहे भदेशी रोड पर नाला निर्माण कार्य रोक चुके अफसर अब निर्णय नहीं ले पा रहे कि करना क्या है। अवैध कब्जे वैध करके निर्माण कार्य कराना है, या फिर अतिक्रमण हटाने के लिए कार्रवाई की जानी है। 20 दिन बीत चुके हैं, विभागीय अफसर कोई रणनीति नहीं बना सके। उधर, नाले के लिए खोदे गए गड्ढे मुसीबत बने हुए हैं। स्थानीय लोग परेशान हैं, राहगीरों के सामने भी दिक्कतें आ रही हैं। लोगों का कहना है कि अफसर जब तक तय नहीं कर लेते कि करना क्या है, तब तक गड्ढे ही पाट दिए जाएं, जिससे आवागमन में परेशानी न हो। जिस फर्म को निर्माण का ठेका मिला है, उसे भी फैसले का इंतजार है। कुछ हिस्से में निर्माण हो चुका है, कुछ जगह गड्ढे खोदकर सरिया बिछा दी गईं। अतिक्रमण हटे तो ये रोड अलग ही नजर आएगा। इसे हटाना इतना आसान नहीं है।

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samachardarpan24
Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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