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अंतरराष्ट्रीय

यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों में कुछ अपनों के पास आ कर खुश हैं तो अभी भी बहुतों की सांसें अटकी हुई है

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वरिन्दर पंडित की रिपोर्ट

टांडा उड़मुड़, पंजाब । यूक्रेन में रूस के हमले का आज चौथा दिन है, जब हिंसा और तेज हो गई है। रूस ने यूक्रेन के मेलितोपोल शहर पर कब्‍जे का दावा किया है तो यूक्रेन ने भी रूसी विमानों को मार गिराने का दावा किया है। यूक्रेन का कहना है कि रूस के हमले में अब तक 198 लोगों की जान जा चुकी है, जिनमें तीन बच्‍चे भी शाम‍िल हैं। मुश्किलें यहां फंसे भारतीय छात्रों के लिए भी बढ़ रही हैं, जिनका कहना है कि यूक्रेन में किसी भी जगह अब वे सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं।

यहां करीब 16,000 भारतीय स्‍टूडेंट्स/नागरिकों के अब भी फंसे होने का अनुमान है, जिनकी सुरक्षित निकासी के लिए प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में जो वक्‍त लग रहा है, उससे पहले ही मुश्किल हालातों का सामना कर रहे भारतीय छात्रों में असुरक्षा की भावना और घर कर गई है। यूक्रेन से छात्र लगातार रोमानिया व हंगरी की सीमाओं की तरफ बढ़ रहे हैं, जिनमें से कुछ तो मदद पाने में सफल हो रहे हैं, जबकि कुछ अब भी असुरक्षित माहौल में हैं।

घर वापसी का इंतजार कर रहे ऐसे ही एक भारतीय छात्र राशिद रिजवान हैं, जिन्‍होंने यूक्रेन-हंगरी बॉर्डर से अपना एक वीडियो शेयर करते हुए भारत सरकार से मदद की गुहार लगाई है। रिजवान के मुताबिक, हंगरी में प्रवेश के लिए वाहनों का एक काफिला खड़ा है। भारत के कुल 18 छात्र यहां पहुंचे हैं, लेकिन कई घंटों के इंतजार के बाद भी वे हंगरी की सीमा में दाखिल नहीं हो पाए। माइनस 2 डिग्री सेल्सियस में उन्‍हें बाहर ही रात गुजारनी पड़ी।

बुरी तरह हताश र‍िजवान ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा, ‘अब तक हम सीनियर होने के नाते जूनियर स्‍टूडेंट्स को दिलासा दे रहे थे, लेकिन अब खुद हमारी हिम्‍मत जवाब दे रही है। घरवाले पर‍ेशान हो रहे हैं। हम खुद यहां फंसे पड़े हैं। उम्मीदें अब टूट चुकी हैं, शायद हम यहीं मर जाएंगे, इंडिया नहीं जा पाएंगे।’ रिजवान जैसे कई छात्र हैं, जो अब भी घर वापसी की राह देख रहे हैं। इस बीच रोमानिया से एयर इंडिया की एक फ्लाइट 219 छात्रों को लेकर मुंबई के लिए रवाना हो चुकी है।

रूस की तरफ से किए हमलों दरमियान यूक्रेन फंसे हजारों भारतियों में टांडा का भी एक विद्यार्थी है। गांव ढडियाला के साथ संबंधित डाक्टरी की पढ़ाई कर रहे हरमन सिंह पुत्र दलजीत सिंह ने बताया कि उसने अपने साथियों समेत जंग केंद्र खारकीव के भूमिगत मेट्रो स्टेशन में शरण ली है। मोबाइल के द्वारा परिवार के साथ संपर्क में रहते हरमन ने वहां का मंजर बयान करते बताया कि वहां दिन-ब-दिन हालात बिगड़ते जा रहे हैं। हरमन की माता वरिन्दर कौर, चाचा दलवीर सिंह, बहन पल्लवी, सरपंच और अन्य पारिवारिक सदस्यों ने भारत सरकार से हरमन समेत सभी भारतियों की सुरक्षित वापसी की मांग करते कहा कि हरमन पिछले समय से यूक्रेन के परमोहा मेट्रो, ओलेकसेवसका खारकीव में रह रहा है।

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वह तीन सालों से डाक्टरी की पढ़ाई कर रहा है और इस संकट दौरान उसने 28 फरवरी को भारत आने के लिए टिकट बुक की थी परन्तु जंग शुरू होने के कारण वह वहीं फंस गया। उसने बताया कि हरमन ने उनको बताया कि उसने अपने पंजाबी और अन्यों राज्यों के विद्यार्थी के साथ भूमिगत मेट्रो स्टेशन में शरण में है और सिर्फ खाना खाने के लिए बाहर जाते थे परन्तु अब लगातार बमबारी और गोलाबारी कारण वह बाहर निकलने के योग्य नहीं हैं और भोजन की कमी से अन्य स्थिति बिगड़ती जा रही है। हरमन के पिता जनरल रिजर्व इंजीनियर फोर्स में इंजीनियर हैं और मणिपुर में तैनात हैं। हरमन बारे चिंतित परिवार ने भारत सरकार से अपील की है कि उसकी जल्द से जल्द घर वापसी का प्रबंध किया जाए। 

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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