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18 January 2025 11:55 pm

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अभी मौजूद है इस गांव की मिट्टी में ख़ुद्दारी, अभी बेवा की ग़ैरत से महाजन हार जाता है….

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जीशान मेंहदी की रिपोर्ट

शायर मुनव्वर राणा तो उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार दोबारा बनने पर पलायन की घोषणा कर चुके हैं। अब उनकी बेटी उरुशा उन्नाव के पुरवा से चुनावी मैदान में है। ये वही उरुशा हैं, जो लखनऊ में सीएए आंदोलन के वक्त सुर्खियों में आईं थीं।

यूपी चुनाव में कुछ अप्रत्याशित करने की कोशिश में जुटी कांग्रेस ने उरुशा को महिला प्रत्याशियों में शामिल किया है। खास ये भी है कि उरुशा ने टिकट नहीं मिलने पर शनिवार को ही उन्नाव सदर सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन कराया था।

अब अगर ज्योतिष की निगाह से उरुशा के आने वाले कल को देखें, तो मशहूर ज्योतिषाचार्य नस्तूर बेजान दारुवाला कहते हैं कि चुनाव जीतने का 50% चांस है। वह अल्पसंख्यकों की आवाज बनती रहेंगी। समाजसेवा करते हुए वो आने वाले 20 साल में महिला प्रकोष्ठ की प्रभारी हो सकती हैं। उनका गुरु और शुक्र मजबूत है। हालांकि, बुध नीच का है। इसलिए विवादों से बचकर रहना चाहिए। अपनी वाणी पर कंट्रोल रखना चाहिए।

शायर मुनव्वर राणा की बेटी उरुसा इमरान राणा ने मुनव्वर राणा के BJP सरकार बनने पर पलायन वाले बयान पर इसे अपने पिता का व्यक्तिगत बयान बताकर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

मुनव्वर राणा की बेटी उरुसा इमरान राणा ने कहा कि देखे वो मेरे पापा हैं। वो खुद में एक बहुत बड़ी शख्सियत हैं। उनके बारे में मैं कोई टिप्पणी नहीं करूंगी। मैं पॉलिटिक्स में हूं वो नॉन पॉलिटिकल आदमी है। उनको पूरी आजादी है, क्योंकि वो कवि आदमी हैं। वह खुद में बहुत बड़ी ताकत रखते हैं। कवि की ताकत हमेशा उनकी कलम होती है। उन्होंने कहा कि मोदी योगी से डरकर भागना होता तो, बहुत पहले भाग जाती।अब योगी भागेंगे।

मुनव्वर राणा ने यूपी में होने वाले चुनाव को लेकर शायराना अंदाज में मीडिया से बात की। साथ ही अपनी सबसे छोटी बेटी को टिकट मिलने पर मुन्नवर ने कहा कि, मीडिया के जरिए पता चला है कि मेरी बेटी को टिकट मिल गया है। हमारी सभी बेटियों की शादी हो गई है। वह उनका फैसला है कि वह किस पार्टी में जाती हैं। सियासत में जाना उनका शौक है, कोई किसी पार्टी में है, तो कोई किसी पार्टी में। मेरी कोई जिम्मेदारी नहीं है कि मैं कुछ भी बोलूं, क्योंकि सियासत में मेरी कोई भी जिम्मेदारी कभी नहीं रही है।

शायर ने कहा, सियासत में जो कुछ भी हो रहा है, वह मेरी इजाजत के बगैर हो रहा है। इन दिनों इलेक्शन का समय है, तो एक शायर और शहरी की हैसियत से मैं यही कहना चाहता हूं कि जो जीतकर आते हैं, खुदा उनको तौफीक दे। मोहब्बत के बीच कितने भी नफरत की हवा वहां से गुजरे तो वह खुशबूदार हो जाए। नफरतों से न डरे, गरीबी, भुखमरी जो लोगों का मुकद्दर बन गया है यह सब चीजें खत्म हो जाएं।

चुनाव में कौन-सी पार्टी बाजी मारेगी? के जवाब में मुनव्वर राणा ने कहा कि यह वही बता सकते हैं जो राजनीति करते हैं, हम तो एक शायर हैं, मेरा काम मोहब्बत का पैगाम देना है, मुझे कोई यह नहीं कह सकता कि मैं किसी नेता की दरबारी में सलामी करने गया। मुनव्वर ने आगे कहा, मैं जिंदगी के उस मोड़ पर हूं कि कोई सुबह मेरी आखिरी सुबह हो सकती है और कोई शाम मेरी आखिरी शाम हो सकती है.” मैं इस वक्त यही चाहता हूं कि मैं लोगों से अपने लिए दुआएं बटोरूं।

यूपी की सियासत के लिए हमारा एक बहुत ही पुराना गजल और शेर है कि,”आखिर शरीफ इंसान इलेक्शन क्यों हार जाता है, कहानी में तो यह लिखा था कि रावण हार जाता है, अभी मौजूद है इस गांव की मिट्टी में ख़ुद्दारी, अभी बेवा की ग़ैरत से महाजन हार जाता है। ‘

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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