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कैसे लूटा गया भारत का कोहिनूर हीरा और कौन था इसका जिम्मेदार?

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सर्वेश द्विवेदी की रिपोर्ट

कोहिनूर हीरा दुनिया के सबसे बेशकीमती हीरों में से एक है। यह ऐतिहासिक रूप से भारत से जुड़ा रहा है, लेकिन समय के साथ यह विदेशी शासकों के हाथों में चला गया। हाल ही में ब्रिटेन के किंग चार्ल्स III के राज्याभिषेक के दौरान, उनके मुकुट में यही प्रसिद्ध हीरा जड़ा हुआ था। यह हीरा 1849 से ब्रिटिश शाही परिवार के कब्जे में है। आइए, जानते हैं कि कोहिनूर का इतिहास क्या है और यह भारत से विदेश तक कैसे पहुंचा।

कोहिनूर हीरे का इतिहास: कहां से आया यह अनमोल रत्न?

कोहिनूर हीरे की खोज भारत में हुई थी, और बाद में अंग्रेजों ने इस पर कब्जा कर लिया। इसके विभिन्न दावेदारों में अलाउद्दीन खिलजी, बाबर, अकबर और महाराजा रणजीत सिंह का नाम शामिल है। ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार, इस हीरे को करीब 800 साल पहले आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले की गोलकोंडा खदान से निकाला गया था।

उस समय यह दुनिया का सबसे बड़ा हीरा माना जाता था, जिसका वजन 186 कैरेट था। हालांकि, इसे कई बार तराशा गया और अब इसका वजन 105.6 कैरेट रह गया है। वर्तमान में, इसे दुनिया के सबसे कीमती हीरों में से एक माना जाता है।

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कोहिनूर का पहला मालिक कौन था?

जब यह हीरा पहली बार खदान से निकला, तो इसके पहले मालिक काकतिय राजवंश थे। काकतिय राजाओं ने इसे अपनी कुलदेवी भद्रकाली की मूर्ति की बाईं आंख में जड़वा दिया था।

यह रही एक सांकेतिक डिजिटल पेंटिंग, जो कोहिनूर हीरे की भारत से ब्रिटेन तक की यात्रा को दर्शाती है। इसमें हीरे को एक प्राचीन भारतीय महल से ब्रिटिश मुकुट की ओर जाते हुए दिखाया गया है, साथ ही ऐतिहासिक छवियों की हल्की झलक भी शामिल है।

14वीं शताब्दी में, दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने आक्रमण कर इसे काकतिय राजवंश से छीन लिया। इसके बाद, जब बाबर ने पानीपत की पहली लड़ाई (1526) में इब्राहिम लोदी को हराया और दिल्ली तथा आगरा का किला अपने कब्जे में लिया, तब यह हीरा भी मुगलों के खजाने का हिस्सा बन गया।

कैसे भारत से बाहर गया कोहिनूर?

1738 में, ईरानी शासक नादिर शाह ने मुगलों पर हमला किया और दिल्ली को लूट लिया। उसने 13वें मुगल शासक अहमद शाह से यह हीरा छीन लिया और इसे मयूर तख्त (पीकॉक थ्रोन) में जड़वा दिया।

हालांकि, नादिर शाह की हत्या के बाद, यह हीरा उनके पोते शाहरुख मिर्जा के पास चला गया। बाद में, अफगान शासक अहमद शाह दुर्रानी ने उसे अपनी सैन्य मदद देने के बदले में यह अनमोल हीरा तोहफे में प्राप्त किया।

कैसे पहुंचा कोहिनूर अंग्रेजों के हाथों?

1813 में, महाराजा रणजीत सिंह ने अफगानिस्तान के शासक शूजा शाह को हराकर कोहिनूर को वापस भारत लाया। हालांकि, इसके बदले में उन्होंने शूजा शाह को 1.25 लाख रुपये भी दिए थे।

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1849 में, सिखों और अंग्रेजों के बीच युद्ध हुआ, जिसमें सिख साम्राज्य का अंत हो गया। अंग्रेजों ने महाराजा रणजीत सिंह की बाकी संपत्ति के साथ कोहिनूर हीरे को भी अपने कब्जे में ले लिया। इसके बाद, इसे ब्रिटिश क्वीन विक्टोरिया को सौंप दिया गया और बाद में यह बकिंघम पैलेस से होते हुए ब्रिटिश ताज का हिस्सा बन गया।

आज कहां है कोहिनूर हीरा?

वर्तमान में, कोहिनूर हीरा ब्रिटिश क्राउन ज्वेल्स (शाही गहनों) का हिस्सा है और इसे लंदन के टॉवर ऑफ लंदन में सुरक्षित रखा गया है। भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान इस अनमोल हीरे पर अपना दावा कर चुके हैं, लेकिन यह अब भी ब्रिटिश राजपरिवार के कब्जे में है।

कोहिनूर सिर्फ एक हीरा नहीं, बल्कि भारत की ऐतिहासिक विरासत का प्रतीक है। यह सदियों तक भारतीय शासकों के हाथ में रहा, लेकिन समय के साथ यह विदेशी आक्रांताओं के कब्जे में चला गया। आज भी यह सवाल उठता है कि क्या कोहिनूर को भारत वापस लाया जा सकता है? हालांकि, इतिहास गवाह है कि यह हीरा सदियों से सत्ता, संघर्ष और लूट का केंद्र रहा है।

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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