बलरामपुर : इतिहास की गौरवशाली विरासत और आधुनिक विकास की नई उड़ान

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अब्दुल मोबीन सिद्दीकी की रिपोर्ट

बलरामपुर जिले का इतिहास गौरवशाली और समृद्ध है। यह जिला 1997 में गोंडा से अलग होकर एक स्वतंत्र इकाई बना। जिले में स्थित देवीपाटन मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है, जो न केवल आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण है बल्कि हर साल चैत्र माह में भव्य मेले के आयोजन के कारण सांस्कृतिक रूप से भी प्रतिष्ठित है। यह मेला अब राजकीय मेला घोषित किया जा चुका है।

बलरामपुर नगर की स्थापना लगभग 570 साल पहले जनवार क्षत्रिय राजा माधव सिंह ने की थी। यह क्षेत्र प्राचीन समय में कोसल राज्य और इकौना राज्य का हिस्सा था। मध्यकालीन युग में यह अवध सुबाह का अंग रहा और ब्रिटिश शासनकाल में इसे गोंडा जिले का हिस्सा बनाया गया। 25 मई 1997 को इसे अलग कर स्वतंत्र जिला घोषित किया गया।

राजवंशीय इतिहास के अनुसार, 1268 ई. में गुजरात के जनवाड़ा क्षेत्र से आए राजपूत बरियार शाह ने इकौना में राज्य स्थापित किया और उन्होंने 1269 से 1305 ई. तक शासन किया। इसके बाद उनके वंशजों ने इस क्षेत्र पर अपना प्रभुत्व बनाए रखा। राजा माधव सिंह ने 1439 ई. में गद्दी संभाली और बलरामपुर को एक समृद्ध नगर में परिवर्तित किया।

बलरामपुर के राजाओं ने क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। विद्युत व्यवस्था के लिए 1930-31 में थर्मल पावर प्लांट की स्थापना की गई, जो गोंडा, बहराइच और अन्य क्षेत्रों को बिजली आपूर्ति करता था। रेलवे के विस्तार में भी राजघराने ने अग्रणी भूमिका निभाई। बलरामपुर-गोंडा रेल लाइन का निर्माण उनकी देखरेख में हुआ। जब इस मार्ग पर पहली बार रेल चली, तो तत्कालीन महाराजा भगवती प्रसाद सिंह सिंहासन पर बैठकर बलरामपुर पहुंचे।

स्वास्थ्य सेवाओं की दृष्टि से, महाराजा पाटेश्वरी प्रसाद सिंह ने 1937 में 21 अस्पतालों की स्थापना करवाई। आज भी बलरामपुर अस्पताल और अन्य चिकित्सा संस्थान उसी विरासत का हिस्सा हैं। शिक्षा के क्षेत्र में बलरामपुर को ‘छोटी काशी’ कहा जाता था। महारानी लाल कुंवर महाविद्यालय को ‘तराई का ऑक्सफोर्ड’ कहा जाता है, जिसने देश-विदेश में कई विद्वानों को जन्म दिया।

औद्योगिक विकास में भी राजघराने की महत्वपूर्ण भूमिका रही। 1932-33 में बलरामपुर और तुलसीपुर में चीनी मिलों की स्थापना की गई, जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिला। इसके अतिरिक्त, कृषि को बढ़ावा देने के लिए चकबंदी व्यवस्था लागू की गई और सिंचाई के लिए सैकड़ों नलकूप लगाए गए।

पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी बलरामपुर रियासत अग्रणी रही। 72 हजार हेक्टेयर प्राकृतिक वन और 20 हजार एकड़ आरोपित वन विकसित किए गए। बनकटवा क्षेत्र में उगाए गए शीशम के वृक्षों की पूरे देश में मांग थी।

बलरामपुर रियासत का योगदान केवल भौतिक संरचनाओं तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि सामाजिक सुधारों में भी इसकी अहम भूमिका रही। महाराजा दिग्विजय सिंह ने अवध क्षेत्र में पुत्री वध की कुप्रथा को समाप्त कराया। यही नहीं, समाज में शिक्षा और स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न ट्रस्टों की स्थापना की।

आज बलरामपुर जिले की ऐतिहासिक विरासत को संरक्षित और विकसित करने की आवश्यकता है, ताकि इसकी गौरवशाली परंपरा आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित कर सके।

भौगोलिक स्थिति और प्रशासनिक ढांचा

बलरामपुर जिला उत्तर प्रदेश के देवीपाटन मंडल में स्थित है और नेपाल की सीमा से सटा हुआ है। यह जिला 1997 में गोंडा से अलग होकर अस्तित्व में आया। प्रशासनिक रूप से इसमें तीन तहसीलें—बलरामपुर, तुलसीपुर और उतरौला—शामिल हैं।

आधुनिक बुनियादी ढांचा और विकास

पिछले कुछ वर्षों में बलरामपुर जिले ने बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है। सड़क, बिजली, जल आपूर्ति और स्वच्छता योजनाओं को बढ़ावा दिया गया है। जिले में कई नई सड़कों और राजमार्गों का निर्माण हुआ है, जिससे आवागमन सुगम हुआ है। बलरामपुर-गोंडा रेलवे लाइन को भी विकसित किया गया है, जिससे यातायात सुविधाएं बेहतर हुई हैं।

शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं

बलरामपुर जिले में शिक्षा के क्षेत्र में भी व्यापक सुधार हुए हैं। महारानी लाल कुंवर महाविद्यालय जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के अलावा, सरकारी और निजी विद्यालयों की संख्या बढ़ी है। डिजिटल शिक्षा को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।

स्वास्थ्य सेवाओं में बलरामपुर अस्पताल, जिला महिला अस्पताल और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या बढ़ी है। आयुष्मान भारत योजना के तहत गरीबों को मुफ्त इलाज की सुविधा मिल रही है।

कृषि और औद्योगिक विकास

बलरामपुर की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है। गन्ना प्रमुख फसल है, और यहां की बलरामपुर चीनी मिल एशिया की सबसे बड़ी चीनी मिलों में से एक मानी जाती है। सिंचाई की आधुनिक योजनाओं और नई तकनीकों के कारण किसानों को अधिक उत्पादन के अवसर मिल रहे हैं।

पर्यटन और धार्मिक महत्व

बलरामपुर का देवीपाटन शक्तिपीठ धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण स्थल है, जहां चैत्र नवरात्रि के दौरान विशाल मेला आयोजित किया जाता है। श्रावस्ती, जो भगवान बुद्ध के जीवन से जुड़ा हुआ है, जिले का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है।

सरकारी योजनाएं और भविष्य की योजनाएं

सरकार की विभिन्न योजनाएं, जैसे प्रधानमंत्री आवास योजना, स्वच्छ भारत अभियान, और आत्मनिर्भर भारत योजना, बलरामपुर के विकास में योगदान दे रही हैं। आने वाले वर्षों में जिले को स्मार्ट सिटी योजना के तहत विकसित करने की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं।

बलरामपुर अपने ऐतिहासिक गौरव को संजोते हुए आधुनिक विकास की ओर बढ़ रहा है।

स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए जिले में डे-केयर कैंसर सेंटर की स्थापना की जाएगी। कुपोषण से निपटने के लिए व्यापक योजना के तहत 2,300 कुपोषित बच्चों, 25 हजार किशोरियों और 14 हजार गर्भवती महिलाओं को पोषण सहायता दी जाएगी। शिक्षा के क्षेत्र में डिजिटल क्रांति की दिशा में कदम बढ़ाते हुए विद्यालयों को इंटरनेट से जोड़ा जाएगा।

कृषि क्षेत्र में 3.20 लाख किसानों के लिए ब्लॉक स्तर पर भंडारण सुविधाएं विकसित की जाएंगी। किसान क्रेडिट कार्ड की ऋण सीमा बढ़ाने से 80,890 किसानों को सरल ऋण सुविधा मिलेगी। ‘एक जिला एक उत्पाद’ योजना में मसूर की खेती को शामिल किए जाने से 36 हजार किसान लाभान्वित होंगे।

3,035 मत्स्य पालकों को विशेष सहायता प्रदान की जाएगी क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए श्रावस्ती एयरपोर्ट का विस्तार बगाही और एलहवा गांवों तक किया जाएगा, जिसके लिए 40.05 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण पूरा कर लिया गया है। पशुपालन क्षेत्र में 1.19 लाख पशुपालकों और 3,035 मत्स्य पालकों को विशेष सहायता प्रदान की जाएगी।

11 हजार युवाओं को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे महिला सशक्तिकरण पर विशेष ध्यान देते हुए 1.76 हजार महिलाओं के 11 हजार स्वयं सहायता समूहों को मजबूत किया जाएगा। थारू क्षेत्र की 46 ग्राम पंचायतों में रहने वाले 55 हजार से अधिक परिवारों को परंपरागत कार्यों को उद्योग के रूप में विकसित करने में सहायता मिलेगी। युवाओं के लिए स्टार्टअप और सूक्ष्म एवं लघु उद्योग स्थापित करने की सुविधाएं बढ़ाई जाएंगी, जिससे करीब 11 हजार युवाओं को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे।

जिले के 1,815 परिषदीय विद्यालयों व 169 माध्यमिक विद्यालयों को इंटरनेट से लैस करके स्मार्ट क्लास संचालित किया जाएगा। करीब तीन लाख विद्यार्थियों को बेहतर तरीके से शिक्षा की सुविधा मिलेगी। इसके साथ ही 25 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में इंटरनेट की सुविधा होने से व्यवस्था बेहतर होगी।

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