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November 22, 2024 5:24 pm

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देवीपाटन मंदिर ; यहां त्रेता युग से जल रही अखंड ज्योति, चैत्र नवरात्र में अद्भुत छटा दिखती है यहां 

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दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट

बलरामपुर: देश-विदेश में मां शक्ति के 51 शक्तिपीठों में से एक देवीपाटन शक्तिपीठ है। यहां पर हर वर्ष चैत्र मास में एक महीने का मेला लगता है। यहां पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं और मां पाटेश्वरी के दर्शन करते हैं। 22 मार्च से शुरू हो रहे चैत्र नवरात्रि पर लगने वाला उत्तर प्रदेश का प्रसिद्ध राजकीय मेला देवीपाटन की तैयारी प्रशासन के द्वारा पूरी की जा चुकी है। सुरक्षा के दृष्टिगत समूचा मंदिर और मेला परिसर सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में रहेगा। साफ-सफाई सुरक्षा को लेकर प्रशासन द्वारा व्यापक व्यवस्था की गई है। श्रद्धालुओं के आवागमन को लेकर मेला स्पेशल ट्रेन, अतिरिक्त रोडवेज और प्राइवेट बसें चलाई जाएंगी। मेले में ट्रैक्टर ट्राली से श्रद्धालुओं के आवागमन को रोकने के लिए पुलिस को निर्देश दिए गए हैं।

51 शक्तिपीठों में प्रसिद्धि पीठ है मंदिर देवीपाटन

शक्तिपीठ मंदिर देवीपाटन 51 शक्तिपीठों में शुमार है। यहां पूरे वर्ष देश के कोने-कोने के अलावा दूसरे देशों से भी श्रद्धालु पहुंचते हैं। मान्यता है कि यहां माता सती का वाम स्कंध पट सहित गिरा था। पट सहित गिरने से यहां आदिशक्ति को माता पाटेश्वरी के नाम से पूजन किया जाता है। माता पाटेश्वरी के नाम पर ही इस क्षेत्र का नाम देवीपाटन है। यही के नाम पर मंडल का नाम भी देवीपाटन है। यहां पूरे वर्ष देश के कोने-कोने सहित दूसरे देशों से भी श्रद्धालुओं का आवागमन होता है। प्रत्येक वर्ष चैत्र नवरात्रि में एक माह का विशाल मेला लगता है। मंदिर की ऐतिहासिकता को देखते हुए प्रदेश सरकार के द्वारा लगने वाले मेले को राजकीय मेले का दर्जा प्राप्त है। इंडो-नेपाल सीमा के सुहेलवा वन के समीप यह शक्तिपीठ होने के चलते सुरक्षा के दृष्टिगत जिला प्रशासन के द्वारा यहां सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त रहते हैं। देवीपाटन मंदिर की व्यवस्था और देखरेख गोरक्षनाथ मंदिर, गोरखपुर के द्वारा की जा रही है। गोरक्ष पीठाधीश्वर सीएम योगी आदित्यनाथ मंदिर की व्यवस्थाओं को लेकर स्वयं समीक्षा करते रहते हैं।

देवीपाटन शक्तिपीठ का महत्व और महात्म्य

देश के 51 शक्तिपीठों मे एक विश्व-विख्यात आदि शक्ति मां पाटेश्वरी देवी पाटन मंदिर में चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन से ही देश-विदेश से आए दर्शनार्थियों का तांता लगा रहता है। देवीपाटन मंदिर में स्थित जगदमाता पाटेश्वरी अपने अलौकिक इतिहास को समेटे हुए है। युगों-युगों से ऋषि-मुनियों के तप और वैराग्य का साक्षी रहा यह स्थल अपने अतीत की गौरव गाथा खुद बयां करता है। यह ऐतिहासिक मंदिर उत्तर भारत में नेपाल सीमा से सटे बलरामपुर जिले के जनपद मुख्यालय से लगभग तीस किलोमीटर तुलसीपुर तहसील के सूर्या (सिरिया) नदी के तट पर पाटन गांव में स्थित है। नगर पंचायत तुलसीपुर के देवीपाटन वार्ड के प्राकृतिक छटा के बीच में स्थित मां पाटेश्वरी देवी का यह मंदिर हजारों वर्षो से भक्तों के आस्था व विश्वास का केन्द्र बना हुआ है।

ये खास बातें

विश्व प्रसिद्ध मंदिर को कई पौराणिक कथाओं के साथ सिद्धपीठ होने का गौरव प्राप्त है। यहां देश-विदेश से आने वाले भक्तों का तांता 12 महीने लगा रहता है। साल में दो बार चैत्र और शारदीय नवरात्र पर यहां विशेष उत्सव के साथ मेला लगा रहता है। इस समय माता के दर्शनार्थियों और उनके आशीषाभिलासियों की विशाल भीड़ रहती है। 51 शक्तिपीठों में से एक मां सती और सीता की शक्तियों से परिपूर्ण देवीपाटन मंदिर अपने गौरवमयी इतिहास को समेटे हुए है। लोगों की श्रद्धा है कि यहां विद्यमान महाभारत के कर्ण के द्वारा स्थापित सूर्यकुंड, त्रेतायुग से जल रहा अखंड धूना और अखंड ज्योति में मां दुर्गा के शक्तियों का वास है और इतिहास गवाह है कि सिद्ध रत्ननाथ (नेपाल) और गुरु गोरखनाथ को सिद्धि भी यहीं प्राप्त हुई थी। कण-कण में देवत्व का वास होने से इस मंदिर पर देश-विदेश (विशेष रूप से नेपाल) से लाखों श्रद्धालु मनोकामना पूर्ण करने के लिए अनुष्ठान व्रत एवं पूजन करते हैं।

एक माह तक चलेगा देवीपाटन मेला

चैत्र नवरात्रि पर लगने वाला देवी पाटन मेला एक माह तक चलता है। इस मेले में देश के कोने-कोने से और नेपाल सहित अन्य देशों के श्रद्धालु भी आते हैं। नवरात्रि की पंचमी के दिन प्रसिद्ध पीर रतननाथ योगी की धार्मिक यात्रा हजारों श्रद्धालुओं के साथ नेपाल से पैदल पहुंचती है। नवरात्रि के अष्टमी के दिन बाराबंकी, सीतापुर, बहराइच सहित अन्य जनपदों से भुर्जी समाज के लोग अपने कुल देवी की पूजन के लिए हजारों की संख्या में पैदल धार्मिक यात्रा देवीपाटन पहुंचते हैं। मेला में लगने वाले आकर्षक झूला और अन्य मनोरंजन के साधन दर्शनार्थियों को खूब लुभाती है।

इंडो-नेपाल सीमा पर स्थित देवीपाटन

देवीपाटन मंडलायुक्त एमपी अग्रवाल अधिकारियों के साथ पहले ही देवीपाटन पहुंचकर सुरक्षा व्यवस्था सहित विभिन्न व्यवस्थाओं का जायजा ले रहे हैं। डीएम डॉ. महेंद्र कुमार को आदेश दिया है। इंडो-नेपाल सीमा पर स्थित होने से शक्तिपीठ मंदिर देवीपाटन की महत्व और मेले की ऐतिहासिकता को देखते हुए मंदिर के साथ पूरे मेला परिसर सीसीटीवी के नजर में रहेगा। मंदिर के चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात रहेगी। इसको लेकर अन्य जनपदों से पुलिस टीम देवीपाटन पहुंचने लगी है। पूरे मेला में 12 सौ से अधिक पुलिस सहित सुरक्षा के अन्य बल लगाएं जाएंगे। डीएम महेंद्र कुमार ने बताया कि देवीपाटन मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था अभेद रहेगी।

मेले और शक्तिपीठ की व्यवस्था के बारे पर बोले महंत

देवीपाटन पीठाधीश्वर मिथलेश नाथ योगी ने बताया कि मंदिर और जिला प्रशासन के द्वारा मंदिर पहुंच रहे श्रद्धालुओं के आवागमन उनके सुविधाओं को लेकर लगातार बेहतर किया जा रहा है। मेला को लेकर पूरी तैयारी की जा चुकी है। वह स्वयं सीसीटीवी कैमरे के माध्यम से पूरा मेला और मंदिर पर नजर बनाए रहते हैं। जहां कोई कमी दिखती है तत्काल दुरुस्त कराया जाता है।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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