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चित्रकूट

आबकारी विभाग की छापेमारी बनी अवैध वसूली का जरिया, मामला ऐसा जो आपको झकझोर दे… 

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संजय सिंह राणा की रिपोर्ट

चित्रकूट। सरकार द्वारा अवैध शराब के कारोबार पर लगाम लगाने के लिए सख्त निर्देश जारी किए गए हैं। इसी क्रम में आबकारी विभाग और पुलिस की संयुक्त टीम द्वारा समय-समय पर अवैध शराब की रोकथाम के लिए छापेमारी अभियान चलाया जाता है। लेकिन, इस अभियान का असली उद्देश्य क्या है? यह सवाल अब बड़ा होता जा रहा है।

ताजा मामला चित्रकूट जिले के लक्ष्मणपुरी क्षेत्र से सामने आया है, जहां आबकारी विभाग की टीम ने गुरुवार, 6 फरवरी 2025 की सुबह करीब 7 बजे अवैध शराब की बिक्री रोकने के नाम पर छापेमारी की। इस दौरान दो महिलाओं और दो पुरुषों को हिरासत में लिया गया और आबकारी विभाग के कार्यालय ले जाया गया।

आरोपियों से अवैध वसूली कर छोड़ा, मुकदमा तक दर्ज नहीं किया गया

सूत्रों के मुताबिक, पकड़े गए आरोपियों में से तीन के घरों से अवैध शराब बरामद की गई, जबकि एक आरोपी के घर से कोई भी शराब नहीं मिली। इसके बावजूद, चारों को पूरे दिन हिरासत में बैठाए रखा गया और छोड़ने के बदले पैसों की मांग की गई।

बताया जा रहा है कि आबकारी विभाग की टीम ने प्रत्येक आरोपी से 1-1 लाख रुपये की मांग की थी, लेकिन बाद में 40-40 हजार रुपये लेकर उन्हें छोड़ दिया गया।

एक आरोपी के पिता ने 15,000 रुपये मौके पर ही दिए, जबकि बाकी राशि की भरपाई के लिए एक व्यक्ति को जिम्मेदार बनाया गया।

छापेमारी का असली मकसद – कार्रवाई या अवैध वसूली?

सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि इस छापेमारी में पकड़े गए आरोपियों के खिलाफ कोई कानूनी कार्यवाही नहीं की गई, न ही उनके खिलाफ कोई मुकदमा दर्ज किया गया।

सवाल यह उठता है कि जब अवैध शराब बरामद हुई थी, तो फिर आरोपियों को कानूनी प्रक्रिया के तहत जेल क्यों नहीं भेजा गया?

क्या आबकारी विभाग की छापेमारी महज दिखावा है और इसका असली मकसद सिर्फ अवैध वसूली करना है?

आबकारी निरीक्षक ने भी स्वीकार किया मामला

जब इस पूरे मामले पर आबकारी निरीक्षक से सवाल किया गया, तो उन्होंने स्वीकार किया कि छापेमारी में अवैध शराब बरामद हुई थी। लेकिन, वरिष्ठ अधिकारियों ने आरोपियों के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की और अवैध वसूली कर उन्हें छोड़ दिया गया।

यह खुलासा आबकारी विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

क्या जिला प्रशासन करेगा जांच या फिर जारी रहेगा अवैध वसूली का खेल?

अब यह देखने वाली बात होगी कि जिला प्रशासन आबकारी विभाग की इस कथित अवैध वसूली की जांच कर कोई ठोस कार्रवाई करता है या फिर इस गड़बड़ी को अनदेखा कर दिया जाएगा।

यदि इस तरह की घटनाओं पर लगाम नहीं लगाई गई, तो यह सवाल बना रहेगा कि आबकारी विभाग का असली उद्देश्य अवैध शराब पर रोक लगाना है या फिर कार्यवाही का डर दिखाकर अवैध वसूली करना?

यह मामला सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचाने और जनता के साथ अन्याय करने का एक बड़ा उदाहरण बन चुका है। ऐसे में अब देखना होगा कि क्या प्रशासन इस मामले की निष्पक्ष जांच करवाकर दोषियों के खिलाफ सख्त कदम उठाएगा या फिर यह खेल यूं ही जारी रहेगा।

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samachardarpan24
Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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