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उन्नाव

‘लर्निंग बाई डूइंग’ कार्यशाला का उद्घाटन: करके सीखने पर जोर

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ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट

जनपद उन्नाव में बेसिक शिक्षा परिषद विभाग द्वारा समग्र शिक्षा अभियान के तहत पहली ‘लर्निंग बाई डूइंग’ (एलबीडी) कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस पहल का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को व्यावहारिक ज्ञान के जरिए विभिन्न क्षेत्रों जैसे इंजीनियरिंग, ऊर्जा, पर्यावरण, कृषि, और स्वास्थ्य में प्रशिक्षित करना है।

कार्यक्रम का शुभारंभ और उद्देश्य

यह कार्यशाला बिछिया ब्लॉक के उच्च प्राथमिक विद्यालय इछौली में आयोजित की गई। एलबीडी लैब का निर्माण शिक्षक हरिओम प्रताप सिंह और प्रधान शिक्षिका अंजना मिश्रा के प्रयासों से हुआ। कार्यशाला का उद्घाटन खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) विनोद कुमार पांडे और शिक्षक प्रदीप वर्मा ने फीता काटकर किया। इस मौके पर समेकित शिक्षा जिला समन्वयक रुचि मिश्रा और शशि प्रभा ने कार्यशाला के उद्देश्यों को स्पष्ट करते हुए छात्रों को संचार कौशल, नेतृत्व क्षमता और समय प्रबंधन के गुर सिखाए। एआरपी शशांक चौहान ने ‘लर्निंग बाई डूइंग’ से अर्जित कौशलों को व्यवहारिक रूप से लागू करने की जानकारी दी।

व्यावहारिक मॉडल और प्रदर्शन

कार्यशाला में छात्रों ने विभिन्न मॉडलों और प्रोजेक्ट्स का प्रदर्शन किया। कक्षा 8 के छात्र लकी ने ऐसिटिलीन गैस बनाकर उसका प्रयोग करते हुए खेतों से जानवरों को दूर रखने वाली ध्वनि विस्तारक गन का सफल प्रदर्शन किया। छात्र राजन ने वेस्ट बॉटल ट्री प्रोटेक्टर बनाया, वहीं अमर सिंह ने स्मार्ट यूरिनल मैनेजमेंट मॉडल प्रस्तुत किया। बीईओ विनोद पांडे ने इस मॉडल की सराहना की और अन्य विद्यालयों में इसके उपयोग को बढ़ावा देने की बात कही।

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इसके अलावा, छात्राओं आंशिक, गुड़िया, कल्पना, सुमित, प्रिया और दिव्या ने तापमापी, हृदय संरचना, और अन्य विज्ञान आधारित मॉडलों का प्रदर्शन किया।

विशेषज्ञों का मार्गदर्शन

कार्यक्रम में विश्व संस्कृति एवं पर्यावरण संरक्षण आयोग के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रदीप वर्मा ने छात्रों को व्यावहारिक सीखने के महत्व और इसके धरातल पर उपयोग की जानकारी दी। विज्ञान शिक्षक हेमंत ने छात्रों को विज्ञान में आने वाली चुनौतियों और उनके समाधान समझाए।

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के सपनों को साकार करने की पहल

कार्यशाला का उद्देश्य छात्रों को केवल सैद्धांतिक ज्ञान तक सीमित न रखते हुए, उनके भीतर रचनात्मकता और समस्या-समाधान की क्षमता को विकसित करना है। यह पहल पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के ‘करके सीखने’ के सिद्धांत को साकार करने की दिशा में एक सार्थक कदम है।

कार्यशाला के सफल आयोजन से स्पष्ट है कि व्यावहारिक शिक्षण के जरिए विद्यार्थी न केवल ज्ञान अर्जित कर रहे हैं, बल्कि उसे वास्तविक जीवन में उपयोग करने की दिशा में भी अग्रसर हैं।

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Author: samachardarpan24

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