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देवरिया

ई-कंटेंट ने खोली ज्ञान की नई दुनिया: तक्षशिला ई-लाइब्रेरी का उद्घाटन

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इरफान अली लारी की रिपोर्ट

भाटपार रानी । मदन मोहन मालवीय पी.जी. कॉलेज के केंद्रीय पुस्तकालय “तक्षशिला ग्रंथालय” में एक ऐतिहासिक अवसर पर तक्षशिला ई-लाइब्रेरी का उद्घाटन किया गया।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. डॉ. पूनम टण्डन ने कहा कि आज के युग में ई-कंटेंट ने पूरी दुनिया को हमारी मुट्ठी में ला दिया है। यह तकनीक न केवल छात्रों की बौद्धिक क्षमताओं को विस्तार दे रही है, बल्कि शिक्षकों के लिए भी उपयोगी साबित हो रही है।

प्रो. टण्डन ने बताया कि ई-लाइब्रेरी से अब शोध कार्यों को तेजी से निपटाया जा सकता है और दुर्लभ शोध सामग्री भी अब आसानी से उपलब्ध है। यह बदलाव शिक्षाविदों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है, क्योंकि उन्हें नवीनतम वैश्विक शोध से जुड़े रहने का मौका मिल रहा है।

उन्होंने बताया कि पहले जहां शोधकर्ताओं को अन्य स्थानों पर जाकर संसाधन जुटाने पड़ते थे, वहीं अब एक क्लिक से ही दुर्लभ शोध सामग्री प्राप्त की जा सकती है। इस तरह के ग्रंथालयों की आवश्यकता केवल छात्रों के लिए नहीं बल्कि शोधार्थियों और शिक्षकों के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है, ताकि वे नए ज्ञान और शोधों से अवगत रह सकें।

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संस्थान के प्रबंधक राघवेंद्र वीर विक्रम सिंह ने इस अवसर को संस्थान के गौरव का क्षण बताते हुए कहा कि तक्षशिला ई-लाइब्रेरी डिजिटल युग में छात्रों को नए आयामों से जोड़ने का काम करेगी। यह लाइब्रेरी विशेष रूप से मध्यवर्गीय परिवारों के छात्रों को घर बैठे ही देश-विदेश के ज्ञान-विज्ञान से जोड़ने में सहायक होगी।

 

इस अवसर पर संगोष्ठी के मुख्य वक्ता, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के ग्रंथालयी डॉ. विभाष कुमार मिश्र ने तक्षशिला ग्रंथालय को एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने बताया कि यह विश्वविद्यालय का पहला ग्रंथालय है जिसने डेलनेट की सदस्यता प्राप्त की है, जिससे यह 8904 से अधिक ग्रंथालयों से जुड़ गया है। अब पाठकों को ग्रंथालय तक पहुंचने की आवश्यकता नहीं, बल्कि ग्रंथालय उनके पास पहुंच रहा है।

विशिष्ट वक्ता डॉ. देवेन्द्र मणि पाण्डेय ने बताया कि यह क्षेत्र का पहला कॉलेज है जहां पिछले महीने ग्रंथालय पर गोष्ठी आयोजित की गई थी, और उसके तुरंत बाद इसे ई-लाइब्रेरी में परिवर्तित किया गया। यह नई शिक्षा नीति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसमें डिजिटल संसाधनों का अधिक से अधिक उपयोग किया जाना चाहिए।

कार्यक्रम के दौरान अतिथियों ने ग्रंथालय में स्थित संग्रहालय का भी अवलोकन किया, जहां भोजपत्र एवं ताम्र पत्र की प्राचीन पांडुलिपियां रखी गई थीं। ई-लाइब्रेरी के लिए मंगवाए गए कंप्यूटर सेटों का भी उद्घाटन किया गया। समारोह का संचालन डॉ. पवन कुमार राय ने किया, और प्राचार्य डॉ. सतीश चंद्र गौड़ ने अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किया।

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इस अवसर पर कई गणमान्य अतिथि मौजूद रहे, जिनमें प्रोफेसर कमलेश नारायण मिश्र, प्रोफेसर सुधीर कुमार शुक्ला, प्रोफेसर राम अवतार वर्मा, प्रोफेसर मनोज कुमार, मुस्ताक अहमद, उत्कर्ष नारायण राय और प्रवीण शाही प्रमुख थे।

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Author:

Kamlesh Kumar Chaudhary

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