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मऊ

सेहत पर कमीशन भारी, कब हटेगी ये कालाबाजारी ; सरकारी अस्पतालों में ऐसा गंदा खेल…अधिकारी को क्यों नहीं है पता ❓ 

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जगदंबा उपाध्याय की रिपोर्ट

मऊ जिले में स्वास्थ्य विभाग से जुड़ा एक बेहद गंभीर मामला सामने आया है, जिसने प्रशासन और जनता दोनों को चिंतित कर दिया है। यहां महिला जिला अस्पताल के कर्मचारियों और निजी अस्पतालों के बीच कमीशनबाजी का एक खेल एक वायरल वीडियो के जरिए उजागर हुआ। वीडियो में देखा गया कि अस्पताल की दो नर्सें कमीशन के मामले पर बहस कर रही थीं, जिसके बाद मऊ प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की एक टीम तुरंत भीटी स्थित एक निजी अस्पताल में जांच के लिए पहुंची।

जांच के दौरान यह पाया गया कि यह अस्पताल बिना किसी मानचित्र के संचालित हो रहा था, और इसलिए मकान मालिक को नोटिस जारी किया गया। इस बीच, टीम को अस्पताल में कोई डॉक्टर नहीं मिला, और पता चला कि डॉक्टर गाजीपुर गए हुए थे। इस स्थिति ने मामले को और गंभीर बना दिया, क्योंकि यह दर्शाता है कि अस्पताल में आवश्यक चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध नहीं थीं।

इस मामले की जड़ में एक महिला, पूजा, का प्रसव पीड़ा का मामला है। जब पूजा को जिला अस्पताल में ले जाया गया, तो वहां के डॉक्टर ने उसे एक हफ्ते की देरी में डिलीवरी होने की बात कहकर वापस भेज दिया। लेकिन घर लौटने के बाद, एक अन्य महिला उसे अस्पताल में भर्ती कराने के लिए राजी कर ले गई। इसके बाद पूजा का ऑपरेशन किया गया। यह सब कमीशन के चक्कर में हुआ, जिसके चलते दो महिलाओं, शीला और सीमा, के बीच झगड़ा हुआ। इस झगड़े का वीडियो वायरल हो गया, जिससे प्रशासन को कार्रवाई करने के लिए प्रेरित किया गया।

सिटी मजिस्ट्रेट विजेंद्र कुमार ने बताया कि इस अस्पताल में कमीशन के खेल की जानकारी मिलने के बाद उनकी टीम यहां आई थी। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है और सभी संबंधित कागजात एकत्रित किए गए हैं। अगर कोई भी दोषी पाया गया, तो उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।

इस स्थिति ने मऊ जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। कई ऐसे अस्पताल बिना डॉक्टर के चल रहे हैं, जिनमें से एक अपेक्स अस्पताल भी है। कमीशन के खेल में एंबुलेंस ड्राइवर और सरकारी अस्पताल के कर्मचारी मरीजों को इन अस्पतालों में भेजते हैं, जिससे लोगों की जान जोखिम में पड़ती है।

यह चिंता की बात है कि इस तरह के अस्पताल स्वास्थ्य विभाग की मिलीभगत से संचालित हो रहे हैं। इन अस्पतालों की बिल्डिंग और चिकित्सा स्टाफ मानक के अनुरूप नहीं हैं, फिर भी ये धड़ल्ले से चल रहे हैं।

विभागीय सूत्रों के अनुसार, इन अस्पतालों के संचालन के लिए अधिकारियों और कर्मचारियों को बड़ा बजट मिलता है, लेकिन इस सबके बीच लोगों की जिंदगी का कोई मोल नहीं है।

इस तरह की गतिविधियों ने मऊ जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था पर एक बड़ा प्रश्न चिह्न लगा दिया है।

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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