इरफान अली लारी की रिपोर्ट
तारीख थी 31 जुलाई 2006, जब यूपी की आगरा पुलिस को खबर मिली कि लाल किले के पास एक कार बिजली के खंभे से टकरा गई है। टक्कर के बाद कार में आग लग गई और उसमें बैठे युवक की जलकर मौत हो गई। पुलिस ने केस दर्ज किया और गाड़ी के नंबर से पता चला कि मरने वाला युवक नोएडा के दनकौर में भट्टा पारसौल इलाके का रहने वाला अनिल चौधरी है, जिसकी उम्र लगभग 20 साल थी। पुलिस ने अनिल के परिजनों को खबर दी और सभी कागजी कार्रवाई पूरी करने के बाद लाश उनके हवाले कर दी। परिजन अनिल का अंतिम संस्कार करके उसे विदा कर देते हैं।
अनिल के नाम पर भारतीय जीवन बीमा निगम की 20 लाख रुपये की एक पॉलिसी थी। इस पॉलिसी में एक शर्त थी कि अगर पॉलिसी धारक की मौत किसी एक्सीडेंट में होती है, तो बीमा राशि का चार गुना मिलेगा। अनिल की मौत के बाद इंश्योरेंस की 80 लाख रुपये की रकम उसके पिता विजय पाल चौधरी को मिल जाती है। इस घटना को धीरे-धीरे 17 साल बीत जाते हैं। लेकिन, 17 साल बाद इस मामले में एक नया मोड़ आता है।
गुजरात में अहमदाबाद क्राइम ब्रांच को अपने मुखबिरों से खबर मिलती है कि शहर के निकोल इलाके में राजकुमार चौधरी नाम का एक व्यक्ति फर्जी नाम और पहचान के साथ रह रहा है। किसी बड़ी साजिश की आशंका के चलते, नवंबर 2023 में पुलिस इस राजकुमार चौधरी को गिरफ्तार कर लेती है। थाने लाकर जब जांच होती है, तो एक ऐसा राज खुलता है जिसे सुनकर पुलिस के अधिकारी भी चौंक जाते हैं। राजकुमार चौधरी असल में वही अनिल चौधरी निकला, जिसकी 17 साल पहले आगरा में कार हादसे में मौत हो चुकी थी। अब सवाल उठता है कि अगर ये अनिल चौधरी है, तो फिर वो कौन था जिसकी मौत कार हादसे में हुई थी?
पूछताछ में अनिल ने सारी कहानी खोलकर रख दी। इस कहानी की शुरुआत होती है 2004 से, जब अनिल के पिता विजय पाल चौधरी का टूर एंड ट्रेवल्स का बिजनेस बुरी तरह से घाटे में चला गया। घाटे से उबरने के लिए विजय पाल ने अपने बेटे अनिल और दो दोस्तों अभय सिंह और रामवीर के साथ मिलकर एक साजिश रची। विजय पाल ने अनिल के नाम पर जीवन बीमा पॉलिसी ली। पूरा प्लान था कि अनिल के जैसे दिखने वाले किसी व्यक्ति की हत्या करके बीमा राशि हासिल की जाएगी।
अनिल ने एक कार खरीदी और अपने जैसे दिखने वाले व्यक्ति की तलाश में जुट गया। आगरा में उसे एक मानसिक रूप से विक्षिप्त भिखारी मिला, जिसकी कद-काठी बिल्कुल अनिल जैसी थी। अनिल ने उसे खाना खिलाने का लालच देकर अपनी गाड़ी में बिठा लिया और फिर जहर देकर उसकी हत्या कर दी। इसके बाद गाड़ी को बिजली के खंभे से टकरा कर पेट्रोल छिड़क कर आग लगा दी, ताकि यह हादसा लगे।
प्लान के मुताबिक सबकुछ हो गया और इंश्योरेंस की रकम अनिल के पिता विजय पाल को मिल गई। अनिल गुजरात के अहमदाबाद चला गया और राजकुमार चौधरी बनकर रहने लगा। वहां उसने ऑटो रिक्शा किराए पर लेकर चलाना शुरू किया और बाद में टैक्सी चलाने लगा। 2014 में उसे पड़ोस में रहने वाली एक लड़की से प्यार हो गया और उससे शादी कर ली। उधर विजय पाल को इंश्योरेंस की रकम मिल गई और इधर अनिल की नई जिंदगी शुरू हो गई।
हालांकि, अहमदाबाद क्राइम ब्रांच के हाथ लगते ही बाप-बेटे का राज खुल गया।
अहमदाबाद पुलिस ने अनिल को आगरा पुलिस के हवाले कर दिया। 27 जून को इस मामले में तीसरे आरोपी रामवीर को भी गिरफ्तार कर लिया गया, जबकि चौथे आरोपी अभय सिंह की मौत हो चुकी है।
Author: samachar
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