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दुर्गबिलासपुर

बंदूक की जगह कलम ने दिखाई ताकत ; “छू लो आसमान” की प्रतीज्ञा में नक्सल क्षेत्र के 55 छात्रों ने रचा इतिहास

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हरीश चन्द्र गुप्ता की रिपोर्ट

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में माओवाद प्रभावित क्षेत्र होने के बावजूद, युवा पीढ़ी ने शिक्षा के माध्यम से अपने भविष्य को संवारने का नया रास्ता चुना है। राज्य सरकार की ‘छू लो आसमान’ पहल के तहत, 55 छात्रों ने नीट और जेईई की परीक्षाओं में सफलता प्राप्त की है, जिनमें से 39 छात्र ड्रॉपआउट थे। यह पहल युवाओं को शिक्षा और मार्गदर्शन प्रदान कर उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए शुरू की गई थी। इन छात्रों की यह असाधारण उपलब्धि उनके कठिन परिश्रम और राज्य सरकार की सहायता का परिणाम है। यह सफलता इस क्षेत्र के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी और आगे भी शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने में मदद करेगी।

दरअसल, माओवाद से प्रभावित दंतेवाड़ा में परिवर्तनकारी यात्रा 31 मार्च, 2011 को शुरू हुई। जब चौधरी ने जिला कलेक्टर का पदभार संभाला। संघर्ष-ग्रस्त क्षेत्र और कुशल जनशक्ति की कमी की दोहरी चुनौतियों का सामना करते हुए चौधरी ने शैक्षिक अंतर को पाटने के लिए ‘छू लो आसमान’ परियोजना शुरू की।

पर्याप्त सुविधाओं के बिना हासिल की उपलब्धि

शहरी केंद्रों की तुलना में दंतेवाड़ा में संसाधनों और सुविधाओं की बहुत कमी है। इसके बावजूद इन छात्रों की सफलता विशेष रूप से और महत्वपूर्ण हो जाती है। वहीं, शिक्षा की इस पहल ने छात्रों को एक महत्वपूर्ण जीवन रेखा प्रदान की है। यहां चलाई जा रही ‘छू लो आसमान’ पहल के तहत उन्हें गहन कोचिंग और प्रतिष्ठित राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगी परीक्षाओं में मौका दिया है।

ड्रॉपआउट स्टूडेंट्स ने किया कमाल

इस बार के नीट और जेईई रिजल्ट में 12वीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ने वाले 39 छात्रों ने उल्लेखनीय वापसी की है। इनमें से 39 में से 21 ड्रॉपआउट लड़कियां और 32 में से 16 ड्रॉपआउट लड़के NEET के लिए क्वालिफाई हुए। जबकि चार ड्रॉपआउट में से दो लड़के JEE में सफल हुए। वहीं, 12वीं कक्षा की रेगुलर क्लास लेने वाली 50 छात्राओं में से कोई भी नीट के लिए क्वालिफाई नहीं हुई। हालांकि 6 लड़किया जेईई में जरूर क्वॉलिफाई हुईं हैं। वहीं, रेगुलर क्लास लेने वाले लड़कों की बात की जाए तो 37 लड़कों में से केवल 4 लड़कों ने ही नीट क्वॉलिफाई की है। वहीं, जेईई की रेगुलर क्लास लेने वाले 35 स्टूडेंट्स में 6 ने सफलता हासिल की है।

ड्रॉपआउट्स को अपना सपना पूरा करने का मौका

दंतेवाड़ा के पूर्व कलेक्टर विनीत नंदनवार, जिन्होंने ‘छू लो आसमान’ पहल को ‘सेकंड चांस’ कार्यक्रम के साथ विस्तारित किया। उन्होंने ड्रॉपआउट को अपने सपनों को पूरा करने का एक और अवसर देने की ओर जोर दिया। इसी के चलते छात्रों को NEET और JEE के लिए चार साल की कोचिंग मिलती है। जिसमें ड्रॉपआउट के लिए समर्पित एक विशेष बैच होता है, जो उन्हें तैयारी के लिए एक अतिरिक्त वर्ष प्रदान करता है।

कोटा के टीचर्स से मिला स्पेशल ट्यूटोरियल

एजुकेशन को बढ़ावा देने के साथ ही स्टूडेंट्स को मोटिवेट करने के लिए विशेष तैयारी की गई। सबसे पहले पूरे दंतेवाड़ा से छात्रों को जिला मुख्यालय लाया गया। इसके बाद कोटा के शिक्षकों द्वारा विशेष ट्यूटोरियल प्रदान किए गए। ये वे टीचर्स थे जो कोटा शहर में अपनी प्रमुख कोचिंग कक्षाओं के लिए जाना जाते है।

ड्रॉपआउट स्टूडेंट्स की संख्या में आई कमी

छू लो आसमान पहल के चलते ही जिले के जवांगा में दंतेवाड़ा एजुकेशन सिटी है। जहां लगभग 15 संस्थान हैं। जिनमें एक इंजीनियरिंग कॉलेज, एक औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान, एक खेल विद्यालय, एक आदिवासी बालिका विद्यालय और नक्सली हिंसा में अनाथ हुए बच्चों के लिए एक आवासीय विद्यालय शामिल है। इस शैक्षिक केंद्र ने ड्रॉपआउट रेट में काफी कमी आई है। जहां पहले कभी प्रायमरी कक्षाओं में 45 हजार छात्रों ड्रॉपआउट होते थे अब उनके हायर एजुकेशन में पहुंचने तक ड्रॉपआउट होने का आंकड़ा 6 हजार से भी कम रह गया है।

दंतेवाड़ा के जिला कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी ने कहा, हमने NEET और JEE परीक्षाओं से पहले छात्रों के लिए क्रैश कोर्स की व्यवस्था की। हम इस आवासीय सुविधा में छात्रों के लाभ के लिए इस पहल को जारी रखेंगे।

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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