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श्रद्धांजलिस्मृति

डकैतों ने घेर लिया था पंडित नेहरू को… ये तो सच्चाई है लेकिन 5 वो झूठ का सच जो नेहरू जी के बारे में खूब कुप्रचारित किया जाता रहा है… 

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दुर्गेश्वर राय की खास रिपोर्ट

देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का निधन 27 मई 1964 को हुआ था। जवाहर लाल नेहरू न केवल भारत के पहले प्रधानमंत्री थे, बल्कि आज भारत जिस स्थिति में खड़ा है, उसके निर्माणकर्ता भी थे। 

उनके पिता मोतीलाल नेहरू थे, जो एक धनाढ्य परिवार के थे और माता का नाम स्वरूपरानी था। पिता पेशे से वकील थे। जवाहरलाल नेहरू उनके इकलौते पुत्र थे और 3 पुत्रियां थीं। पंडित जवाहरलाल नेहरू के कार्यकाल में लोकतांत्रिक परंपराओं को मजबूत करना, राष्ट्र और संविधान के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को स्थायी भाव प्रदान करना और योजनाओं के माध्यम से देश की अर्थव्यवस्था को सुचारू करना उनके मुख्य उद्देश्य रहे। 

नेहरू दूरगामी सोच रखने वाले कुशल राजनेता था। जाहिर सी बात है कोई व्यक्ति पूरी तरह सही नहीं होता। इतिहास में कुछ गलतियां नेहरू से भी हुईं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि उन्होंने भारत के लिए कुछ नहीं किया। 

दरअसल भारत जिस वक्त आजाद हुआ, उस समय हमारे पासे खाने तक को अनाज नहीं थे। उस समय नेहरू ने प्रधानमंत्री की कुर्सी संभाली। कई चुनौतियां थी, बावजूद नेहरू ने सभी चुनौतियों का सामना किया। साधारण शब्दों में कहें तो आज के भारत की नींव जवाहर लाल नेहरू ने ही रखी थी। ऐसे में जब आज उनकी पुण्यतिथि पर हम आपको नेहरू से जुड़ी एक कमाल की कहानी बताने जा रहे हैं।

डकैतों ने रोकी नेहरू की जीप

दरअसल ये कहानी तब कि है जब नेहरू चंबल के दौरे पर जा रहे थे। इस समय चंबल का पूरा इलाका संयुक्त प्रांत में आता था। यह बात आजादी से पहले की है। इस दौरान नेहरू देश के अलग-अलग हिस्सों में भ्रमण करते और अंग्रेजी शासन के खिलाफ भारतीयों को एकजुट करने का काम कर रहे थे। यह साल था 1937 का।

अपनी जीप से नेहरू चंबल के रास्ते से लौट रहे थे। इस दौरान उनकी जीप पर बीहड़ के डकैतों ने कब्जा कर लिया। पंडित नेहरू चंबल के बीहड़ों और यहां के डकैतों से अनजान नहीं थे। बता दें कि नेहरू की गाड़ी रोकने वाले डकैतों की संख्या 8-10 थी। सभी डकैत उनकी गाड़ी के आगे आकर खड़े हो गए। हालांकि डाकुओं को इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था कि उन्होंने किसकी गाड़ी पर कब्जा किया। 

डकैतों को हुई गलतफहमी, नेहरू को समझे धन्ना सेठ

डकैतों को लग रहा था कि जीप जा रहा शख्स कोई मोटी मालदार पार्टी है। दरअसल उस समय जीप केवल रईसों के पास होती थी। इसी कारण डाकुओं के मन में यह शंका उत्पन्न हुई।

इसी दौरान वहां की झाड़ियों से आवाज आता है कि कौन है… आवाज देने वाला शख्स, डाकुओं का सरदार था।

डकैत उसे कहते हैं कोई सेठ है। यह सुनकर जब डकैतों का सरदार बाहर आया। लेकिन अब तक नेहरू और उनेक साथ जीप में सवार लोग ये समझ चुके थे कि डकैतों ने उन्हें कोई मालदार सेठ समझ लिया है। इस मिथक को तोड़ना जरूरी था। इसलिए जवाहर लाल नेहरू खुद जीप से उतरकर डकैतों के सरदार के पास चले गए।

नेहरू को जब डकैत ने दिए पैसे

डकैतों के सरदार से मिलकर जवाहर लाल नेहरू ने कहा कि मैं पंडित जवाहर लाल नेहरू हूं। यह सुनकर बीहड़ में सन्नाटा फैल गया। इसके बाद सरदार की आंखे जो लूटपाट करने को लेकर लहलाहित थी, उनमें ग्लानि तैरने लगी। जवाहर लाल नेहरू ने उस डकैत से पूछा कि ‘जल्दी बताओं हमें क्या करना है, क्योंकि हमें दूर जाना है।’

इसके बाद बागियों के सरदार ने अपने कोट की जेब में हाथ डाला और मुट्ठी भरकर नोट निकाले और नेहरू को दे दिए। इस दौरान डाकुओं के सरदार ने कहा कि आपका बहुत नाम सुना था। आज दर्शन भी हो गए। सुराज (स्वराज) के काज के लिए हमारी छोटी सी भेंट स्वीकार करें। इसके बाद चंबल में यह खबर आग की तरह फैली थी कि जवाहर लाल नेहरू की मुलाकात एक डकैत से हुई थी। 

नेहरू के बारे में फैलाए जाने वाले 5 झूठ और उसकी सच्चाई

सोशल मीडिया पर नेहरू के दादा को मुस्लिम बताए जाने, गांधी जी की हत्या में शामिल होने से लेकर उन्हें इतिहास में सबसे अय्याश आदमी बताए जाने को लेकर कई तरह के खबरें चलाई जाती हैं। नेहरू की जयंती पर जानते हैं नेहरू से जुड़े 5 झूठ और उनके सच के बारे में।

  1. नेहरू के दादा मुसलमान थे

सोशल मीडिया पर अक्सर इस तरह की खबरें मिल जाएंगी कि नेहरू के दादा मुस्लिम थे। उनका नाम गियासुद्दीन गाजी था। गाजी मुगलों के कोतवाल थे। बाद में उन्होंने अपना नाम बदलकर गंगाधर नेहरू रख लिया था। जबकि बीआर नन्दा की किताब ‘द नेहरूज’ में जवाहर लाल नेहरू की वंशावली का जिक्र गया है। इसमें जवाहर लाल के पूर्वजों का मूल उपनाम ‘कौल’ था। मोतीलाल नेहरू के पूर्वज कश्मीर से आकर दिल्ली में बस गए थे। नेहरू के दादा गंगाधर 1857 विद्रोह के समय दिल्ली में पुलिस ऑफिसर थे। कौल उपनाम की जगह नेहरू उपनाम अपनाने को लेकर कई बातें कही जाती हैं। शशि थरूर की किताब ‘नेहरू’ के अनुसार जवाहरलाल के पुरखे एक नहर के बगल में रहते थे इसलिए उनके नाम के आगे नेहरू जुड़ गया।

इतिहास के मान्य और स्थापित तथ्यों से अलग कोई बात जब बताई जाती है, तो वह इंटरनेट पर काफी पढ़ी जाती है। नेहरू के बारे में कई आपत्तिजनक और भ्रामक बातें दशकों से चलन में हैं।

निशांत शाह, डिजिटल मीडिया स्कॉलर

  1. सबसे अय्याश थे नेहरू

सोशल मीडिया पर कई ऐसे वीडियो और फोटो मिल जाएंगे जिसमें नेहरू को सबसे अय्याश आदमी बताने की कोशिश की गई है। सोशल मीडिया नेहरू के कई स्त्रियों से प्रेम संबंध की बात कही जाती है। अमेरिका के राष्ट्रपति कैनेडी की पत्नी और मृणालिनी साराभाई के साथ उनकी तस्वीरों का इस्तेमाल देश के प्रथम प्रधानमंत्री की छवि को धूमिल करने के लिए किया जाता है। हवाईअड्डे पर एक महिला को गले लगाते नेहरू की तस्वीर हो या फिर एक महिला के सिगरेट को जलाने में मदद करते नेहरू की तस्वीर। उस तस्वीर में नेहरू तत्कालीन डेप्युटी ब्रिटिश हाई कमिश्नर की पत्नी का सिगरेट जला रहे हैं। इस तस्वीर का गलत इस्तेमाल कर उन्हें अय्याश साबित करने की कोशिश की जाती है। नेहरू को चूमने वाली महिला की जो तस्वीर सोशल मीडिया पर अक्सर दिखती है। उस फोटो में महिला कोई विदेशी नहीं बल्कि नेहरू की बहन विजय लक्ष्मी पंडित की दूसरी बेटी नयनतारा सहगल है। नेहरू के एडिवना से संबंधों को लेकर भी तरह-तरह की बातें कही जाती हैं। इस संबंध में इतिहास की प्रोफेसर मृदुला मुखर्जी का कहना है कि नेहरू को लेकर जितनी भी गंभीर जीवनी हैं उनमें नेहरू और एडिवना के संबंधों को प्लेटोनिक (निष्काम या अशरीरी) बताया गया है।

विभाजन के बाद और खासकर गांधी की हत्या के बाद, नेहरू इस बात को लेकर पुख्ता कोशिशें कर रहे थे कि भारत किसी भी हाल में हिंदू पाकिस्तान ना बने। उन्होंने RSS को एक खतरे के तौर पर देखा। उसके बहुसंख्यकवादी विचारों के कारण नेहरू ने सार्वजनिक रूप से संघ की बार-बार आलोचना की।

रामचंद्र गुहा, इतिहासकार

  1. नेहरू ने गांधी को मारा था

RSS के पूर्व सरसंघचालक केएस सुदर्शन ने दावा किया था कि नेहरू ने गांधी की हत्या की थी। सीनियर बीजेपी लीडर सुब्रमण्यम स्वामी ने भी गांधी की मौत को लेकर सवाल खड़े थे। स्वामी का कहना था कि गांधी की मौत के बाद उनके शव का पोस्टमार्टम क्यों नहीं कराया गया। 

हालांकि, सामने आया था कि गांधी जी का परिवार नहीं चाहता था कि उनके शव का पोस्टमार्टम हो। यहीं वजह थी कि उनकी मौत के बाद गांधी जी के शव को बिड़ला हाउस में रखवा दिया गया था। वहीं, गांधीजी के सबसे छोटे बेटे देवदास गांधी से मुलाकात में गोड़से ने कहा था कि मेरी वजह से आपने अपने पिता को खो दिया।

4. नेहरू और पटेल में दुश्मनी थी?

सोशल मीडिया पर कई ऐसी खबरें और पोस्ट मिल जाएंगी जिसमें नेहरू और पटेल को एक दूसरे का दुश्मन बताया जाता है। आरएसएस और बीजेपी की तरफ से इस संबंध में बातें कही जाती हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार करते समय, पीएम मोदी ने दावा किया था कि जवाहरलाल नेहरू 1950 में मुंबई में सरदार वल्लभभाई पटेल के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हुए थे। न्यूज सेंट्रल 24×7 ने नेहरू के उस बयान का उल्लेख किया है जो उन्होंने संसद में दिया था। नेहरू ने कहा था कि वे (पटेल को) स्वतंत्रता के संघर्ष में हमारी सेनाओं के एक महान कप्तान के रूप में, मुसीबत के समय और जीत के क्षणों में हमें अच्छी सलाह देने वाले, एक मित्र और सहकर्मी के रूप में, जिस पर कोई हमेशा भरोसा कर सकता है, एक मीनार के रूप में याद किया जाएगा। यहां एक वीडियो है जो सरदार पटेल के अंतिम संस्कार में नेहरू जी की उपस्थिति को दर्शाता है।

  1. नेहरू ने जनरल थिमैया का अपमान किया था

नेहरू को लेकर एक और बात सामने आती है कि उन्होंने जनरल थिमैया का अपमान किया था। पीएम मोदी ने भी अपने एक भाषण में इसको लेकर सवाल उठाए थे। पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा था कि कर्नाटक वीरता का पर्याय है, लेकिन कांग्रेस सरकारों ने फील्ड मार्शल करिअप्पा और जनरल थिमैया के साथ कैसा व्यवहार किया? 

पीएम ने कहा था कि इतिहास में इस बात का सबूत है कि 1948 में पाकिस्तान को हराने के बाद जनरल थिमैया का पीएम नेहरू और रक्षा मंत्री कृष्ण मेनन ने अपमान किया था। जबकि सच्चाई ये है कि जनरल थिमैया 1957 में सेना प्रमुख बने। वहीं, वीके कृष्ण मेनन भी 1957 में रक्षा मंत्री बने थे। 

शिव कुमार वर्मा की किताब 1962 The War That Wasn’t में जनरल थिमैया के 1959 में इस्‍तीफा देने की घटना का विस्‍तार से जिक्र किया गया है। किताब बताया गया है कि थिमैया ने रक्षा मंत्री मेनन से मुलाकात के बाद इस्तीफा दे दिया था।

इस जानकारी के बाद प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने तत्‍काल उनको अपने पास बुलाया था। उन्होंने लंबी बातचीत के बाद देश हित में चीनी खतरे को देखते हुए इस्‍तीफा वापस लेने का आग्रह किया था। इसके बाद जनरल थिमैया ने इस्‍तीफा वापस ले लिया था।

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हटो व्योम के मेघ पंथ से स्वर्ग लूटने हम आते हैं

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