
डॉ. भीमराव अंबेडकर की 135वीं जयंती पर जानिए उनके जीवन से जुड़े 25 अनमोल और प्रेरणादायक तथ्य, जिनमें शामिल है उनका संघर्ष, शिक्षा, संविधान निर्माण में योगदान और सामाजिक आंदोलन।
1. संविधान जलाने की बात क्यों कही थी बाबासाहेब ने?
1953 में राज्यसभा की एक बहस के दौरान बाबासाहेब ने गुस्से में कहा था कि यदि यह संविधान अल्पसंख्यकों और दलितों के हितों की रक्षा नहीं करता तो इसे जलाने वाला पहला व्यक्ति मैं ही बनूंगा। दो साल बाद 1955 में उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर मंदिर में राक्षस आ जाएं तो उसे नष्ट करना पड़ता है। उनका आशय यह था कि अगर संविधान का दुरुपयोग हो, तो उसे बदलना ही पड़ेगा।
2. महात्मा गांधी से मतभेद क्यों थे?
डॉ. अंबेडकर और गांधी जी दोनों समाज सुधारक थे, लेकिन उनके दृष्टिकोण अलग थे। गांधी जी जातिव्यवस्था को छुआछूत रहित बनाना चाहते थे, जबकि अंबेडकर पूरी व्यवस्था को खत्म करना चाहते थे। अंबेडकर ने बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि वे गांधी को महात्मा नहीं मानते।
3. अपने जमाने के सबसे पढ़े-लिखे व्यक्ति
डॉ. अंबेडकर के पास 32 डिग्रियां थीं। उन्होंने कोलंबिया यूनिवर्सिटी से पीएचडी, लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से डीएससी किया और ‘ग्रेज इन’ से बैरिस्टर की डिग्री ली। वह एक असाधारण बुद्धिजीवी थे।
4. किताबों के प्रति अपार प्रेम
1938 में उनके पास लगभग 8000 किताबें थीं, जो उनके देहांत तक 35000 से अधिक हो गईं। यह दर्शाता है कि वे ज्ञान के कितने भूखे थे।
5. बागबानी का शौक
बाबासाहेब को बागबानी बहुत पसंद थी। उनका बगीचा उनकी सादगी और संवेदनशीलता का प्रतीक था। उन्हें अपने कुत्ते से भी बेहद लगाव था।
6. 14 संतानों में अकेले पढ़ने का अवसर
उनके पिता ब्रिटिश आर्मी में सूबेदार थे, जिससे उन्हें शिक्षा का अवसर मिला। उस समय दलित बच्चों को स्कूल में बैठने और पानी पीने तक की इजाजत नहीं थी।
7. प्रेरणा के स्रोत
बाबासाहेब कबीर, फुले और गौतम बुद्ध से अत्यधिक प्रभावित थे। ये तीनों संत सामाजिक समता और न्याय के समर्थक थे।
8. असली नाम क्या था?
उनका मूल नाम “अंबावडेकर” था। एक ब्राह्मण शिक्षक ने स्नेहवश उनका नाम “अंबेडकर” लिख दिया, जो बाद में उनकी पहचान बन गया।
9. बाल विवाह का शिकार
1906 में मात्र 15 वर्ष की आयु में उनका विवाह 9 वर्षीय रमाबाई से हुआ। यह विवाह सामाजिक रीति-रिवाजों के अनुसार था।
10. अमेरिका में पढ़ाई कैसे हुई संभव?
बड़ौदा के गायकवाड़ शासक सयाजीराव तृतीय ने उन्हें छात्रवृत्ति दी, जिससे वे विदेश जाकर उच्च शिक्षा ग्रहण कर सके।
11. दुनिया के संविधानों का गहन अध्ययन
संविधान बनाने से पहले उन्होंने अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस जैसे देशों के संविधानों का अध्ययन किया। इस कारण भारतीय संविधान व्यापक और समावेशी बना।
12. प्रेस और आंदोलनों के माध्यम से आवाज उठाई
‘बहिष्कृत भारत’, ‘मूक नायक’ जैसे पत्र निकालकर अंबेडकर ने दलितों के अधिकारों की बात की। उन्होंने मनुस्मृति दहन और सत्याग्रह जैसे आंदोलनों का नेतृत्व किया।
13. लेबर पार्टी का गठन और चुनावों में भागीदारी
1936 में लेबर पार्टी बनाई और 1952 व 1954 में लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। बाद में राज्यसभा से सांसद बने।
14. अंग्रेजों को तुरंत भारत छोड़ने के पक्ष में नहीं थे
उनका मानना था कि दलितों के अधिकारों की रक्षा अंग्रेजों की उपस्थिति में बेहतर हो सकती है। वे वाइसराय की काउंसिल में भी सदस्य रहे।
15. हिंदू कोड बिल और इस्तीफा
1951 में उन्होंने संसद में हिंदू कोड बिल पेश किया, जो महिलाओं को समान अधिकार देने वाला था। इसे पास न होते देख उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
16. बीमारियों से भी लड़े
डॉ. अंबेडकर मधुमेह, उच्च रक्तचाप, गठिया और अन्य बीमारियों से ग्रस्त थे। फिर भी उन्होंने सामाजिक संघर्ष से कभी मुंह नहीं मोड़ा।
17. हिंदू धर्म का त्याग और बौद्ध धर्म ग्रहण
14 अक्टूबर 1956 को उन्होंने और लाखों अनुयायियों ने बौद्ध धर्म अपना लिया। यह एक सामाजिक क्रांति थी जो आज भी प्रेरणा देती है।
18. संविधान की सफलता का रहस्य
उन्होंने कहा था कि संविधान चाहे जितना अच्छा हो, वह तब तक सफल नहीं हो सकता जब तक इसे चलाने वाले लोग अच्छे न हों।
19. शांतिवन संग्रहालय
नागपुर के चिचोली गांव में स्थित शांतिवन में उनकी निजी वस्तुएं और अस्थियां रखी गई हैं। यह एक प्रेरणा स्थल है।
20. लोकसभा चुनाव में दो बार हार
1952 और 1954 में लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन जीत नहीं पाए। बावजूद इसके, उनका प्रभाव भारतीय राजनीति और समाज पर बना रहा।
21. अंबेडकर जयंती पर अवकाश की स्थिति
14 अप्रैल को भारत सरकार सार्वजनिक अवकाश घोषित करती है। हालांकि, यह राष्ट्रीय अवकाश नहीं होता और राज्य सरकारें अलग से फैसला करती हैं।
22. अस्पृश्यों के नाम परिवर्तन का विरोध
1938 में कांग्रेस द्वारा प्रस्तावित नाम परिवर्तन बिल का अंबेडकर ने विरोध किया। उनका मानना था कि नाम बदलने से स्थिति नहीं बदलेगी।
23. महापरिनिर्वाण दिवस
6 दिसंबर को उनकी पुण्यतिथि ‘महापरिनिर्वाण दिवस’ के रूप में मनाई जाती है। इस दिन देशभर में उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है।
24. बोधिसत्व की उपाधि
1954 में काठमांडू में बौद्ध भिक्षुओं ने उन्हें ‘बोधिसत्व’ की उपाधि दी। उन्हें यह उपाधि जीवित रहते ही दी गई, जो अद्वितीय है।
25. भारतीय रिज़र्व बैंक की स्थापना में योगदान
भारतीय रिज़र्व बैंक की स्थापना बाबासाहेब की सिफारिश पर बनी हिल्टन यंग कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर की गई थी।
➡️संजय सिंह राणा की प्रस्तुति