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20 January 2025 2:28 pm

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भीख मांगना अपराध और भीख देना…भिखारियों की संख्या में निरंतर हो रही बृद्धि…..किस ओर इशारा है ये… ❓❓ 

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दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट

लखनऊः उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के चौराहों के साथ ही बस अड्डों, रेलवे स्टेशनों सहित अन्य भीड़भाड़ वाले स्थानों पर भीख मांगने वाली महिलाओं की संख्या बीते 10 वर्ष में तेजी से बढ़ी है। 

साल 2013 में भिखारियों की बढ़ती संख्या को लेकर शहर के मुख्य चौराहों पर चाइल्ड लाइन की टीम ने एक सर्वे किया था। इसमें पॉलिटेक्निक चौराहा, रेलवे स्टेशन से लेकर बस अड्डों के बाहर भिखारियों का ब्योरा जुटाया गया। 

बच्चों को लेकर भी भीख मांगने वाली महिलाओं से बातचीत की गई। इसमें भीख मांगने के सिंडिकेट की कड़ी चिनहट में बब्बन तक पहुंची थी। काफी प्रयास के बावजूद चाइल्ड की टीम बब्बन तक नहीं पहुंच सकी। इसके बाद पूरी रिपोर्ट शासन को भेज दी गई, जो आज तक समाज कल्याण मुख्यालय में धूल खा रही है।

बब्बन का नाम सामने आने के बाद करीब एक महीने तक टीम चिनहट में उसकी तलाश करती रही। इस दौरान बब्बन के कुनबा का पता चला। टीम रिपोर्ट तैयार कर डीएम कार्यालय से लेकर शासन स्तर तक भेजी थी। हालांकि रिपोर्ट पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। जबकि रिपोर्ट में भीख मांगने वालों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए बब्बन की धर-पकड़ की सलाह दी गई थी। लेकिन किसी विभाग ने ध्यान नहीं दिया। 

समाजसेवी संगीता शर्मा ने बताया कि जब भिखारी का सर्वे हुआ था उस वक्त चाइल्डलाइन की मैं डायरेक्टर थी। भिखारी के सर्वे के दौरान यह पूरी कड़ी चिनहट के बब्बन तक पहुंची थी।

भिखारियों के सिंडिकेट का खुलासा होने के बाद नगर निगम ने सर्वे शुरू करवा दिया है। हालांकि ‘तू डाल-डाल मैं पात-पात’ की तर्ज पर भिखारी दो कदम आगे चल रहे हैं। चौराहों सहित अन्य स्थानों पर भीख मांगने वालों की संख्या कम होने के साथ ही काम का तरीका भी बदल गया है। 

भीख मांगने वाली महिलाएं अब चौराहों पर पेन, टिशू पेपर और खिलौने बेचने लगी हैं। ज्यादातर जगह से बच्चे गायब हो चुके हैं। सर्वे करने वाली टीम की आंख में धूल झोंकने के लिए भिखारी हर हथकंडा अपना रहे हैं। 

हजरतगंज चौराहे पर भीख मांगने वाली महिलाएं दारुलशफा के आसपास पहुंच चुकी हैं। इसी तरह इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान चौराहे पर भीख मांगने वाली महिलाओं ने डीएलएफ आईपैड रोड को ठिकाना बना लिया है। 

हर दो से तीन घंटे के अंतराल पर महिलाएं चौराहे पर आती हैं। इस दौरान पुलिस या लाल-नीली बत्ती लगी गाड़ी देखते ही फिर खिसक जाती हैं।

नगर निगम की टीम चौराहों पर आईटीएमएस डेटा रेकॉर्ड के आधार पर सर्वे कर रहा है। 

पिछले साल आईटीएमएस कैमरों की मदद से शहर के 77 चौराहों और बाजारों में भीख मांगने वाली महिलाओं को चिह्नित किया था। इनमें से ज्यादातर की गोद में बच्चे थे। अब तस्वीर के आधार पर भीख मांगने वाली महिलाओं का सर्वे शुरू हुआ है। इसके साथ ही हाल फिलहाल में आईटीएमएस कैमरे के रेकॉर्ड के आधार पर चिह्नित भिखारियों का डेटा तैयार होगा। सामने आई संख्या के आधार पर भिक्षावृत्ति से जुड़े लोगों को समाज के मुख्य धारा से जोड़ने के लिए केंद्र सरकार से फंड मांगा जाएगा। यह फंड ऑपरेशन स्माइल के तहत मुहैया करवाया जाता है।

नगर निगम ने 2022 से 2024 के बीच भीख मांगने वालों के उत्थान के लिए काम करने वाली उम्मीद संस्था को करीब 96 लाख रुपये का भुगतान किया। हालांकि भिखारियों के हित में किए गए कामों पर हुए खर्च के बिल या रसीद की जगह संस्था ने केवल अपने पैड पर ही ब्योरा भेजा था। इसका खुलासा एक आरटीआई में हुआ है। मामला उजागर होने के बाद अब फाइनेंस ऑफिस से पूरी रिपोर्ट मांगी गई है। इसे लेकर चीफ फाइनेंस ऑफिसर एनआर कुरील का कहना है कि संस्था ने लेटर पैड पर ही खर्च का ब्योरा भेजा था, ऐसे में भुगतान गलत है। अगर ऐसा हुआ है तो जांच करवाई जाएगी। इसके साथ ही ग्राम विकास उत्थान संस्था से भी खर्च का रेकॉर्ड मांगा जाएगा।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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