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वो कौन सी वजह थी जिसके कारण लोकगायक चमकीला कि जान गई.. उनकी गीतें बनी वजह या इंडस्ट्री के किसी दुश्मन का था हाथ

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शिव कुमार की रिपोर्ट

पंजाब में लुधियाना से सटा एक गांव है- डुगरी। बात 1979 की है। उस दौर के जाने-माने लोक गायक सुरिंदर शिंदा अपने दफ्तर में बैठे थे। तभी, एक शख्स उनके दफ्तर में दाखिल हुआ। देखने में दुबला-पतला और कद करीब 5 फुट 10 इंच। उसने अपने लिए नौकरी मांगी। बताया कि उसे संगीत में दिलचस्पी है। ढोलक और हारमोनियम भी बजाना जानता है। सुरिंदर शिंदा ने पूछा- कुछ गाकर सुना सकते हो। शख्स ने हां में सिर हिलाया और एक गीत की कुछ लाइनें गाकर सुनाई। शिंदा को आवाज पसंद आई। पूछा- ये बोल किसके हैं। जवाब मिला, ‘मैंने खुद ये गीत लिखा है’। बस फिर क्या था। शिंदा ने उसे शागिर्द बनाकर अपनी टीम में शामिल कर लिया। इस शख्स का नाम था- धन्नी राम, जो कुछ ही दिनों में पंजाब का सबसे चहेता सिंगर अमर सिंह उर्फ चमकीला बन गया।

चमकीला के गाने लोगों की जुबां पर चढ़ गए। घर-घर में उनके बोल गुनगुनाए जाने लगे। आवाज का जादू ऐसा चला कि उस वक्त के मशहूर लोक गायक के. दीप और मोहम्मद सादिक के साथ चमकीला को स्टेज शेयर करने का मौका मिला। हालांकि, चमकीला पर आरोप भी लगे। कहा गया कि उनके गाने दोहरे अर्थ वाले हैं। इस बीच चमकीला ने अपनी अलग म्यूजिक कंपनी बना ली। उनके गाने हिट तो हो ही रहे थे। एक लोक गायिका सुरिंदर सोनिया के साथ मिलकर उन्होंने अपने गीतों का एक एल्बम लॉन्च कर दिया। एल्बम ने जलवा दिखाया और पंजाब में लोक गीतों के पूरे मार्केट को कैप्चर कर लिया। इसके बाद एक-एक कर उनके एल्बम आने लगे।

घर पर आने लगी थीं धमकी भरी चिट्ठियां

शोहरत मिली, तो चमकीला के दुश्मन भी बढ़ने लगे। घर पर धमकी भरी चिट्ठियां आने लगीं। चिट्ठियों में कहा गया कि जो गीत वो गाते हैं, अश्लील हैं… भद्दे हैं। खालिस्तान समर्थक संगठनों ने सीधे-सीधे चेतावनी दी, अगर ये गाने नहीं रोके तो अंजाम बहुत बुरा होगा। पंजाब की म्यूजिक इंडस्ट्री में भी चमकीला के दुश्मन कम ना थे। चमकीला स्टेज पर होते, तो उनके पास उन्हीं गीतों की डिमांड आती, जिन्हें रोकने के लिए उन्हें धमकियां मिल रही थीं। और फिर 8 मार्च 1988 का वो मनहूस दिन आया। चमकीला और उनकी पत्नी अमरजोत महसामपुर गांव में एक स्टेज शो के लिए पहुंचे। दोनों कार से उतरे ही थे कि अंधाधुंध फायरिंग शुरू हो गई। चमकीला और उनकी पत्नी ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। कुछ दिन तक इस हत्या पर हंगामा मचा, लेकिन फिर सब शांत हो गया। पुलिस ने केस को बंद कर दिया। हत्यारे कौन थे, ये सवाल आज भी सवाल ही है।

कैसे थे चमकीला के गाने?

अमर सिंह ‘चमकीला’ की हत्या का राज आज तक नहीं खुला। जो गीत वो गाते थे, उन्हें उनके श्रोता पंसद करते थे। और. इन्हीं गीतों पर उन्हें जान से मारने की धमकी मिलती थी। तो क्या चमकीला के गीतों ने ही उनकी जान ली। उनके सबसे ज्यादा लोकप्रिय गीत थे- ‘अट्टे वांगु गुं दिति बेगानी पुत ने…’, ‘ओ बंदा कहदा, कोहरी है जहान दा…’, ‘कांधे ना कांध झेरा भें दी नानन दा…’, ‘भें मेरी दे कुर्रियन कुर्रियन, की तकदीरां भेरीया जुर्रियान…’, ‘मार ला होर त्री वे इक वरी जीजा, भें सालिये तेरी नी हुं कंदम हो गई…’, ‘चसाका पै गिया साली दा…’।

एक दशक तक नहीं गाए गए ऐसे गाने

ऐसा नहीं था कि इस तरह के गानों को चमकीला ने ही जन्म दिया। पंजाबी लोकगीतों में रूमानियत हमेशा से रही है। लेकिन, कहा गया कि चमकीला ने लक्ष्मण रेखा को पार किया है। आरोप लगे कि उन्होंने सरेआम उन शब्दों को अपने गीतों में रखा, जो अभी तक पर्दे के पीछे थे। पंजाबी गीतों पर लेख लिखने वाले स्वर्ण तेहना ने कहा था, ‘चमकीला की हत्या के बाद करीब एक दशक तक किसी पंजाबी गायक ने कोई अश्लील गाना नहीं गाया। हालांकि, उस वक्त इंटरनेट नहीं था। चमकीला को केवल वे ही लोग सुन सकते थे, जो गांवों में उनके अखाड़ों (स्टेज शो) में जाते थे। आज उनसे कहीं ज्यादा अश्लील गाने गाए जा रहे हैं और इंटरनेट के जरिए घर-घर पहुंच भी रहे हैं।’

तो क्या शोहरत ही बनी चमकीला की जान की दुश्मन?

चमकीला की हत्या के पीछे एक वजह पंजाब की म्यूजिक इंडस्ट्री में उनकी प्रतिद्वंद्विता को भी माना गया। चमकीला ने अपना करियर स्टेज पर एक जाने-माने लोक गायक के ढोलकिए के तौर पर शुरू किया था। वो गीत लिखकर देते थे, लेकिन उन गीतों का चेहरा कोई और होता था। लेकिन, जब चमकीला को पहचान मिली, तो गीत भी उनके थे, आवाज भी उनकी और चेहरा भी वो खुद थे। एक दशक पूरा भी नहीं हुआ था, जब चमकीला लोक गायिकी के क्षेत्र में सबसे बड़ा चेहरा बन गए। बताया जाता है कि जिस वक्त दूसरे लोक गायकों को अखाड़े नहीं मिलते थे, उस वक्त चमकीला की डायरी अखाड़ों की तारीखों से भरी रहती थी। तो चमकीला की जान आखिर किसने ली? उनके गीतों ने, या इंडस्ट्री में उनके दुश्मनों ने… या फिर खालिस्तान समर्थक संगठनों ने? शायद इन सवालों के जवाब कभी ना मिल पाएं।

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'श्री कृष्ण मंदिर' लुधियाना, पंजाब का सबसे बड़ा मंदिर है, जो 500 वर्ग गज के क्षेत्र में बना है। यह मंदिर बहुत ही प्रसिद्ध धार्मिक स्थान है।

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