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November 26, 2024 4:03 pm

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इस लोकसभा सीट का इतिहास और समीकरण, फिर से कब्जे के लिए हर कोशिश में बीजेपी

26 पाठकों ने अब तक पढा

दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट

गोमती किनारे बसे सुल्तानपुर की सल्तनत पर लंबे समय तक कांग्रेस का कब्जा रहा है, लेकिन रायबरेली और अमेठी की तरह कभी इसे VVIP सीट की अहमियत नहीं मिल सकी।

इस सीट पर कांग्रेस से लेकर जनता दल, बीजेपी और बसपा जीत का परचम लहराने में कामयाब रही हैं, लेकिन समाजवादी पार्टी इस सीट पर कभी भी जीत दर्ज नहीं कर सकी है।

आगामी लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सभी राजनीतिक दलों की निगाहें इस पर हैं। हालांकि, अभी इस सीट से किसी में दल ने अपने प्रत्याशी के नाम का ऐलान नहीं किया है। वर्तमान में इसी सीट से बीजेपी की मेनका गांधी सांसद हैं। इससे पहले उनके पुत्र वरुण गांधी यहां से सांसद थे। 2024 के चुनाव में भी बीजेपी इस सीट को हर हाल में अपने पाले में रखना चाहती है।

2019 लोकसभा चुनाव का परिणाम-

2019 लोकसभा चुनाव की बात करें तो सुल्तानपुर लोकसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी मेनका गांधी को बसपा प्रत्याशी चंद्रभद्र सिंह सोनू से कड़ी टक्कर मिली थी। मेनका गांधी इस चुनाव में मात्र 10 हजार मतों से जीती थीं। चुनाव में तीसरे प्रत्याशी अमिता सिंह थीं। ऐसे में बीजेपी इस सीट को लेकर काफी संजीदा दिख रही है।

2014 लोकसभा चुनाव का परिणाम

लोकसभा चुनाव 2014 की बात करें तो इस सीट से मेनका गांधी के पुत्र और बीजेपी प्रत्याशी वरुण गांधी ने कब्जा जमाया था।

सुल्तानपुर में कांग्रेस 8 और बीजेपी 5 बार जीती चुनाव

लोकसभा सीट सुल्तानपुर में अब तक 17 चुनाव हो चुके हैं। जिसमें से सबसे अधिक सत्ता कांग्रेस के हाथ में रही। कांग्रेस ने आठ बार इस सीट पर जीत दर्ज की। जबकि बीजेपी को पांच बार सफलता मिली। इस सीट पर सपा का अब तक खाता नहीं खुला है। बसपा यहां से दो बार जीती है। जनता दल एक बार, जनता पार्टी एक बार और निर्दलीय एक बार जीते।

कांग्रेस को पहली बार मिली हार

सुल्तानपुर सीट पर 1977 में कांग्रेस को पहली हार का मुंह देखना पड़ा, जब जनता पार्टी के ज़ुलफिकुंरुल्ला कांग्रेस को हराकर सांसद बने। हालांकि, इस सीट पर 1980 में कांग्रेस ने एक बार फिर वापसी की और 1984 में दोबारा जीत मिली। लेकिन इसके बाद कांग्रेस को इस सीट पर जीत के लिए काफी सालों तक इंतजार करना पड़ा 2009 में कांग्रेस से संजय सिंह ने जीत का सूखा खत्म किया।

बीजेपी का खुला खाता

1989 में जनता दल से रामसिंह सांसद बने। 90 के दशक में राममंदिर आंदोलन के दौर में बीजेपी ने इस सीट पर कमल खिलाने में कामयाब रही थी। 1991 से लेकर 2014 के बीच बीजेपी ने चार बार जीत हासिल की है। 1991 और 1996 में विश्ननाथ शास्त्री जीते, 1998 में देवेन्द्र बहादुर और 2014 में वरुण गांधी। वहीं, बसपा इस सीट पर दो बार जीत हासिल की है, लेकिन दोनों बार सांसद अलग रहे हैं। पहली बार 1999 में जय भद्र सिंह और 2004 में मोहम्मद ताहिर खान बसपा से सांसद चुने गए।

सुल्तानपुर लोकसभा सीट का सामाजिक ताना-बाना

जिले की आबादी की बात करें तो यहां 80 प्रतिशत हिंदू और 20 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता हैं। सुल्तानपुर लोकसभा सीट पर 2011 के जनगणना के मुताबिक कुल जनसंख्या 2352034 है। इसमें 93.75 फीसदी ग्रामीण औैर 6.25 शहरी आबादी है। 

अनुसूचित जाति की आबादी इस सीट पर 21.29 फीसदी हैं और अनुसूचित जनजाति की आबादी .02 फीसदी है। इसके अलावा मुस्लिम, ठाकुर और ब्राह्मण मततादाओं के अलावा ओबीसी की बड़ी आबादी इस क्षेत्र में हार जीत तय करने में अहम भूमिका रही है। यह जिला फैजाबाद मंडल का हिस्सा है।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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