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November 22, 2024 10:28 pm

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‘जाति देखकर मारा गया “मंगेश” ; गैंगस्टर के एनकाउंटर पर भडके अखिलेश के इस बयान का विस्तार जानिए 👇

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चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में गैंगस्टर मंगेश यादव के एनकाउंटर को लेकर सियासत तेज हो गई। यूपी पुलिस ने ज्वैलर्स की दुकान में डकैती के आरोपी को गुरुवार को एनकाउंटर में मार गिराया था। जिसके कुछ ही घंटों बाद अखिलेश यादव ने एनकाउंटर पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि नकली एनकाउंटर, आरोपी को उसकी जाति देखकर मारा गया। अपनी पोस्ट में सपा प्रमुख ने दावा किया आरोपी मंगेश यादव की गलत तरीके से हत्या की गई। जबकि मामले का मुख्य आरोपी पहले ही सरेंडर कर चुका है।

उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स के अतिरिक्त महानिदेशक अमिताभ यश ने गुरुवार को मीडिया को बताया कि 28 अगस्त को सुल्तानपुर में एक आभूषण की दुकान में डकैती के दो बदमाश बाइक से हनुमान गंज बाईपास के पास से निकल रहे थे, तभी सीओ डीके शाही की अगुआई में एसटीएफ व कोतवाली देहात पुलिस ने बदमाशों को घेर लिया। दोनों तरफ से कई राउंड गोलियां चली। मुठभेड़ के दौरान एक बदमाश भाग निकला। डकैती के आरोपी मंगेश एनकाउंटर में मारा गया। मंगेश पर कई आपराधिक मामले दर्ज थे। साथ ही उसके ऊपर एक लाख रुपये का इनाम घोषित था। 

मंगेश यादव 28 अगस्त को सुल्तानपुर में एक आभूषण की दुकान में दिनदहाड़े हुई लूट के मामले में संदिग्ध था। दुकान मालिक द्वारा पुलिस में दर्ज कराई गई शिकायत के अनुसार, हथियारबंद लुटेरे ने 1.5 करोड़ रुपये की नकदी और आभूषण लूटकर ले गए। मंगलवार को पुलिस ने स्टोर में लगे सीसीटीवी में कैद तस्वीरों के आधार पर तीन लोगों – पुष्पेंद्र, त्रिभुवन और सचिन को गिरफ्तार करने का दावा किया। तीनों को कथित तौर पर मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार किया गया और उनके पैरों में गोली लगी।

गुरुवार (5 सितंबर) की घटना के तुरंत बाद एक्स पर एक पोस्ट में अखिलेश ने सत्ता पक्ष और मुख्य आरोपी के बीच सांठगांठ का आरोप लगाया और कहा कि यादव की हत्या उसकी जाति के कारण की गई।

अखिलेश यादव ने क्या कहा?

अखिलेश यादव ने लिखा, ‘लगता है सुल्तानपुर की डकैती में शामिल लोगों से सत्ता पक्ष का गहरा संपर्क था, इसीलिए तो नक़ली एनकाउंटर से पहले ‘मुख्य आरोपी’ से संपर्क साधकर सरेंडर करा दिया गया और अन्य सपक्षीय लोगों के पैरों पर सिर्फ़ दिखावटी गोली मारी गयी और ‘जाति’ देखकर जान ली गयी।’

सपा प्रमुख ने कहा कि जब मुख्य आरोपी ने सरेंडर कर दिया है तो लूट का सारा माल भी पूरा वापस होना चाहिए और सरकार को मुआवज़ा अलग से देना चाहिए क्योंकि ऐसी घटनाओं का जो मानसिक आघात होता है उससे उबरने में बहुत समय लगता है, जिससे व्यापार की हानि होती है, जिसकी क्षतिपूर्ति सरकार करे।

यादव ने आगे कहा कि नक़ली एनकाउंटर रक्षक को भक्षक बना देते हैं। समाधान नक़ली एनकाउंटर नहीं, असली क़ानून-व्यवस्था है। भाजपा राज अपराधियों का अमृतकाल है। जब तक जनता का दबाव व आक्रोश चरम सीमा पर नहीं पहुंच जाता है, तब तक लूट में हिस्सेदारी का काम चलता रहता है और जब लगता है जनता घेर लेगी तो नक़ली एनकाउंटर का ऊपरी मरहम लगाने का दिखावा होता है। जनता सब समझती है कि कैसे कुछ लोगों को बचाया जाता है और कैसे लोगों को फँसाया जाता है। घोर निंदनीय!

मेडिकल रिपोर्ट बदलवाने का दबाव डाला जा रहा’

एक अन्य पोस्ट में अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि दो दिन पहले जिसको उठाया और एनकाउंटर के नाम पर बंदूक़ सटाकर गोली मारकर हत्या की गयी। अब उसकी मेडिकल रिपोर्ट बदलवाने का दबाव डाला जा रहा है। इस संगीन शासनीय अपराध का सर्वोच्च न्यायालय तुरंत संज्ञान ले, इससे पहले की सबूत मिटा दिये जाएं।

सुल्तानपुर पुलिस अधीक्षक ने क्या कहा?

सपा प्रमुख के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर सुल्तानपुर के पुलिस अधीक्षक सोमेन बर्मा ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि डकैती का मास्टरमाइंड और गिरोह का सरगना विपिन सिंह, जो अमेठी जिले का रहने वाला है और उसके खिलाफ करीब 30 आपराधिक मामले दर्ज हैं। उसने डकैती के एक दिन बाद 29 अगस्त को स्थानीय कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया था। बर्मा के अनुसार, इस मामले में कुल 14 आरोपी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इनमें से एक ने कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया है, तीन को एक दिन पहले मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार किया गया था और एक को आज मुठभेड़ में मार गिराया गया।

28 अगस्त को क्या हुआ था?

बता दें, 28 अगस्त को सुल्तानपुर शहर में चौक क्षेत्र के ठठेरी बाजार में भरत जी सर्राफा के यहां दिनदहाड़े करोड़ों की लूट हुई थी। बदमाशों ने महज कुछ ही मिनट में ये डकैती की थी और मौके से भाग निकले थे। जिसके बाद गुरुवार की सुबह इस मामले में फरार चल रहा 1 लाख का फरार इनामी बदमाश एसटीएफ के साथ मुठभेड़ में ढेर हो गया। यह एनकाउंटर देहात कोतवाली के हनुमानगंज बाईपास पर हुआ था।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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