दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस एक साथ आ गई है। सपा और कांग्रेस के बीच यूपी में गठबंधन का ऐलान कर गणित ठीक करने की कोशिश तो हुई है, लेकिन नीचे से लेकर नेतृत्व तक अभी ‘केमेस्ट्री’ हल होनी बाकी है।
बुधवार को गठबंधन के ऐलान के लिए बुलाई गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में दोनों ही पार्टियों के नेताओं की बॉडी लैंग्वेज और शब्दावली भी इसका इशारा थी। कांग्रेस के प्रभारी अविनाश पांडेय ने जब सीटों का आंकड़ा साझा किया तो अपनी 17 सीटों के बाद बची 63 के लिए ‘सपा और I.N.D.I.A. गठबंधन के अन्य दल’ शब्द का इस्तेमाल किया।
वहीं, समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम ने साफ शब्दों में कहा कि 63 पर सपा के उम्मीदवार उतरेंगे।
सपा के राष्ट्रीय सचिव राजेंद्र चौधरी और प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने गठबंधन का श्रेय अखिलेश यादव एवं मल्लिकार्जुन खरगे तक सीमित रखा। इसलिए, अविनाश पांडेय को खास तौर पर कहना पड़ा कि राहुल गांधी की न्याय यात्रा का गठबंधन पर सकारात्मक असर हुआ है और प्रियंका गांधी ने अहम भूमिका निभाई है।
सवाल एक, समाधान अलग-अलग
स्वामी प्रसाद मौर्य जैसे चेहरों पर कांग्रेस का जवाब विकल्प खुले रखने जैसा था तो सपा का दरवाजे बंद करने जैसा। कांग्रेस का कहना था कि विशेष जाति या क्षेत्र के कई दल इंडिया गठबंधन का हिस्सा हैं, उचित समय पर भागीदारी तय की जाएगी।
सपा ने कहा 63 सीट पर सारे उम्मीदवार अखिलेश तय करेंगे। 17 सीटों का अविनाश पांडेय सबके भाषण के बाद बताने वाले थे। लेकिन, नरेश उत्तम के संबोधन के दौरान ही सुनील सिंह यादव ने पर्ची पहुंचाई और उत्तम खुद ही सीटें गिना गए।
सपा के राष्ट्रीय सचिव राजेंद्र चौधरी का कहना था, ‘हम गठबंधन की बात लखनऊ में कर रहे हैं लेकिन भारत को बचाने का संदेश पूरे देश में जा रहा है।’ हालांकि, इस ‘संदेश’ को आगे बढ़ाना दोनों दलों के नेतृत्व ने मुनासिब नहीं समझा।
प्रेस कान्फ्रेंस के करीब तीन घंटे बाद इस ‘बहुप्रतीक्षित’ गठबंधन को लेकर अखिलेश यादव का पोस्ट आया। इसमें उन्होंने सौहार्दपूर्ण गठबंधन की सबको शुभकामनाएं दी हैं। जबकि, मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी का एक्स हैंडल मौन रहा।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."