यत्र गाव: प्रसन्नाः स्युः प्रसन्नास्तत्र सम्पदः । यत्र गावो विषण्णाः स्युर्विषण्णास्तत्र सम्पदः ॥
विकास पुरोहित की रिपोर्ट
जहां गाय सुखी रहती हैं, वहां समृद्धि का वास होता है। जहां गाय दु:ख में होती हैं, वहां विपत्तियों का वास होता है।
आज हम आपको दो व्यक्तियों की खास सेवा भाव और विशेषताओं की पोल खोलने जा रहे हैं।
पहले हम चलते हैं हरियाणा के झज्जर जिले में जहाँ एक नौजवान की गो सेवा के साथ समाज सेवा की भावना से हम प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके। इस नौजवान का नाम है जोगेंदर सिंह। 27-28 की उम्र में आजकल के अधिकांश नौजवान जहाँ दुनिया की आधुनिकता के रंग में रंगे हुए नजर आ जाते हैं वहीं यह किसान परिवार का नौजवान गौसेवा और समाज सेवा में अपनी खास दिलचस्पी रखते हैं। काबिल ए तारीफ ये है कि बिना किसी अर्थ लाभ भाव से यह युवक निज खर्च कर इस प्रकार की सेवा करता आ रहा है।
उक्त युवक की चर्चा बिना एक संत की चर्चा के पूर्ण नहीं हो सकती इसलिए हमें यहाँ एक नौजवान संत धर्मदास महाराज की भी चर्चा आवश्यक रूप से करनी पड़ेगी।
ब्रजवासी गौशाला समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में संत धर्मदास का नाम हमारे सामने दो साल पहले सुनाई दिया था।
जन अर्द्धांगिनी फाउंडेशन के बैनर तले ब्रजवासी गौशाला की शुरुआत सन 2022 को आरंभ किया गया। संत धर्मदास जिन्हें हम ठाकुर धर्म सिंह ब्रजवासी के नाम से भी जानते हैं। ना तो इनकी कोई विशिष्ट शिक्षा ऐसी है जिसकी वजह से हम उनके बारे में कुछ लिखने के लिए बाध्य हुए हैं और ना ही उनमें कुछ ऐसी आधुनिक युग के अनुसार कोई खास प्रभाव है जिसे जगजाहिर किया जाता। लेकिन सबसे बड़ी बात उनमें ये है कि जीव सेवा की ऐसी उत्कट भावना और सोच है उनमें जिसका कोई और सानी नहीं। आज कम से कम समय में ब्रजवासी गौशाला का विस्तार देश के कोने कोने में इस द्रुतगति से हो रहा है कि सचमुच इनकी ईमानदार भावना से किए जा रहे कार्य का फल ही है।
अनादिकालसे मानवजाति गोमाता की सेवा कर अपने जीवन को सुखी, समृद्ध, निरोग, एश्वर्यवान एवं सौभाग्यशाली बनाती चली रही है। गोमाता की सेवा के महात्मय से शास्त्र भरे पड़े हैं। ऐसे में हमें गौ सेवा को महत्व देना चाहिए।
तीर्थ स्थानों में जाकर स्नान दान से जो पुण्य प्राप्त होता है, ब्राह्मणों को भोजन कराने से जिस पुण्य की प्राप्ति होती है, संपूर्ण व्रत-उपवास, तपस्या, महादान तथा हरि की आराधना करने पर जो पुण्य प्राप्त होता है, संपूर्ण पृथ्वी की परिक्रमा, संपूर्ण वेदों के पढ़ने तथा समस्त यज्ञों के करने से मनुष्य जिस पुण्य को पाता है, वही पुण्य बुद्धिमान पुरुष गौ माता को घास खिलाकर प्राप्त कर लेता है।
कार्य विस्तार के क्रम में इन्होंने जोगेंदर सिंह की जिम्मेदारी में झज्जर हरियाणा में गौसेवा का प्रभार ब्रजवासी गौशाला के लिए दिया गया। जोश और जुनून की हद है कि जोगेंदर सिंह को अल्पावधि में ही पूरे हरियाणा प्रदेश का जिम्मा दे दिया गया।
आध्यात्मिक योग्यता और कृष्ण चेतना
“जो व्यक्ति जीवन के भौतिकवादी तरीके को त्याग देता है और कृष्ण चेतना को अपनाने की कोशिश करता है, उसके हृदय की शुद्धि इतनी मजबूत होती है कि वह तुरंत भगवान की लीलाओं के बारे में सुनने की रुचि विकसित कर लेता है।” – श्रील प्रभुपाद, भगवद गीता यथारूप
हमें गाय का दूध और अन्य प्राप्त भोज्य सामग्री जो गोवंशीय उपहार से कम नहीं है मानव जीवन के लिए, बड़ी सहजता से मिले तो उसके लिए गौवंशीय संरक्षण की आवश्यकता है और इसके लिए गौसेवा की सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसी को ध्यान में रखकर इस युवक ने इस सेवा को अपने जीवन का परम लक्ष्य बना लिया है।
ज्योतिषशास्त्र में गाय का महत्व
सूर्य, चन्द्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु, केतु के साथ-साथ वरुण, वायु आदि देवताओं को यज्ञ में दी हुई प्रत्येक आहुति गाय के घी से देने की परंपरा है। जिससे सूर्य की किरणों को विशेष ऊर्जा मिलती है। यही विशेष ऊर्जा वर्षा का कारण बनती है और वर्षा से ही अन्न, पेड़-पौधों आदि को जीवन प्राप्त होता है। वैतरणी पार करने के लिए गौ दान की प्रथा आज भी हमारे देश में मौजूद है। श्राद्ध कर्म में भी गाय के दूध की खीर का प्रयोग किया जाता है क्योंकि इसी खीर से पितरों को तृप्ति मिलती है। पितर, देवता, मनुष्य सभी को शारीरिक बल गाय के दूध और घी से ही मिलता है।
हमें यह बताते हुए भी कम गर्व नहीं हो रहा है कि संत धर्मदास महाराज विगत दो साल से समाचार दर्पण परिवार के साथ समर्पित भाव से सक्रिय हैं और जोगेंदर सिंह ने भी विगत तीन महीने के कार्यकाल में समाचार दर्पण परिवार को हरियाणा प्रदेश में काफी तेजी से विकास की बुनियाद रखने का काम कर रहे हैं।
हमें ऐसे सेवी भाव रखनेवाले युवकों को प्रोत्साहित करने के साथ समय समय पर ऐसी प्रतिभाओं को सम्मान भी देते रहना होगा।
जन अर्धांगिनी फाउंडेशन का कार्य किस प्रकार किया
जन अर्धांगिनी फाउंडेशन को 18/5/18 को चालू किया था इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष संत धर्म दास महाराज, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सपना देवी, राष्ट्रीय सचिव ठाकुर साहब सिंह, राष्ट्रीय महासचिव ठाकुर वीरेन्द्र सिंह तरकर राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष विजय सिंह चौधरी, राष्ट्रीय मंत्री राम पाठक सक्रिय सदस्य अवशेक, सक्रिय सदस्य योगेश सिंह तरकर आदि थे।
इसका कार्यालय न्यू बस स्टैंड विहारी लाल प्लाजा में खुला था। चार महीने बाद नरसी पुरम टाउसिप मथुरा में कार्यालय खोला। इसमें निशुल्क सिलाई प्रशिक्षण शिविर चालू किया था। इसमें बीस सिलाई प्रशिक्षण शिविर चालू किये।
इसमें जयसिंह पुरा, राया, जैहसा,जावरा, तरौली आदि अन्य गांवों में चलाया। कोरोनावायरस के कारण बंद कर दिया।
उसके बाद कोरोना खत्म होने पर फरह क्षेत्र के गांव मुस्तफाबाद में सिलाई और पढ़ाई प्रशिक्षण शिविर कैम्प चालू किया। इसमें 60 बच्चियों ने सिलाई प्रशिक्षण सिखा और 50 छात्राओं ने पढ़ाई प्रशिक्षण किया। निशुल्क सेवा चलाई गई।
तथा सन् 2023 में जटवारी गांव तहसील नौहझील में वीरेन्द्र सिंह मास्टर के स्कूल में सिलाई प्रशिक्षण शिविर चालू किया इसमें 60 बच्चियों ने सिलाई कढ़ाई सीखा।
जन अर्धांगिनी फाउंडेशन द्वारा संचालित ब्रजवासी गौ शाला को दिनांक 23/12/2022 को ग्राम पंचायत सचिव सरिता छत्रपति और ग्राम प्रधान राजेश कुमार मौर्य ने दस रुपए के स्टाफ पर आजीवन चलाने की अनुमति दी। इसमें ब्रजवासी गौ शाला के राष्ट्रीय अध्यक्ष संत धर्म दास महाराज, राष्ट्रीय सचिव डॉ दिनेश कुमार सेंगर, राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी ठाकुर संजय सिंह तोमर, राष्ट्रीय सलाहकार वकील खेरागढ़ तहसील और अन्य कार्यकर्ता रहें।
ब्रजवासी गौ शाला का उद्घाटन एक जनवरी को हुआ इसमें खेरागढ़ विधायक भगवान सिंह कुशवाहा के साथ अन्य कार्यकर्ताओं ने पहुंचकर भाग लिया। जिस समय उद्घाटन समारोह आयोजित हुआ उस समय गौशाला में एक गौ माता थी। उसके बाद संत धर्म दास महाराज ने मेहनत कर के 120गौ वंश हो गए।
मई के महिने में एक गौ शाला सरकार द्वारा संचालित और हुई जब गौशाला अच्छी तरह चलने लगी तो प्रधान राजेश कुमार मौर्य और सचिव सरिता छत्रपति के मन में गौ माता के पैसे को हड़पने की इच्छा जागरूक हुई और संत धर्म दास महाराज को गौ शाला से हटा दिया। संत धर्म दास महाराज ने कहा कि जो कार्यकर्ता ने गौ शाला में काम किया उनके पैसे दो। बी डी ओ ने कहा करा देंगे लेकिन सच्चाई यह है कि जो गौ माता के पैसे को खाते है उनका सर्वनाश होता है। संत धर्म दास महाराज ने कुछ नहीं कहा और गौ माता को सिर नवाकर चले गये।
उसके बाद संत धर्म दास महाराज आपने गुरु आश्रम विजय गड़ी टुंडला पहुंचे। गुरु देव महंत चंदन दास महाराज और बाबा गुरू श्री श्री 1008 श्री बालमुकुंद दास महाराज अयोध्या पीठाधीश्वर के आदेश से ब्रजवासी गौ रक्षक सेना संगठन चालू कर दिया। उसी दिन से गौ रक्षक बन कर भारत देश के सभी राज्यों में गौ माता की रक्षा और सेवा करने में लगे हैं तथा जीवन गौ माता को दान कर दिया।
उन्होंने बताया कि जब तक गौ माता को राष्ट्रीय गौ माता दर्जा नहीं मिल जाता तब तक नंगें पैर रहूंगा।आज चार महीने से नंगें पैर गौ माता की रक्षा और सेवा करने में लगे हैं धन्य है ऐसे संत समाज जो केवल निस्वार्थ भाव से गौ भक्ती में लगे हैं।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."