हिमांशु नौरियाल की रिपोर्ट
देहरादून। उत्तराखंड के सिल्क्यारा में चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन को लेकर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अथॉरिटी के लेफ्टिनेंट जनरल सैयद हसनैन ने बताया है कि रेस्क्यू ऑपरेशन बेहद सुरक्षित तरीके से चल रहा है। टनल में फंसे श्रमिक ठीक हैं। कहा कि हिमालयन जियोलॉजी इतनी आसान नहीं है कि कुछ भी आसानी से बोला जा सके। देश भर से पब्लिक सेक्टर रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटा हुआ है और जल्द ही 41 श्रमिकों को सकुशल बाहर निकाल लिया जाएगा।
मीडिया को जानकारी देते हुए सैयद हसनैन ने कहा कि यह बेहद मुश्किल और चुनौतियों भरा रेस्क्यू ऑपरेशन है। यह किसी युद्ध से कम नहीं है। केंद्र सरकार का प्रयास है कि ऑपरेशन में कोई भी कमी ना रहे और सभी को सकुशल सुरक्षित बाहर निकाल लिया जाए। बताया कि ऑगर मशीन में आई दिक्कत के कारण कल ड्रिलिंग रोक दी गई थी। टनल में इतना मलबा भरा हुआ है कि आगे का कुछ पता नहीं चलता कि कहां पर क्या फंसा हुआ है।
सिलक्यारा सुरंग में 12 दिन से फंसे 41 श्रमिकों का तनाव दूर करने के लिए बचाव दल ने उन्हें ‘बोर्ड गेम’ और ताश उपलब्ध कराने की योजना बनाई है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
श्रमिकों को निकालने के अभियान में कई व्यवधान आ रहे हैं। बृहस्पतिवार देर रात सुरंग के मलबे के बीच से पाइप डालने के काम को रोकना पड़ा क्योंकि जिस प्लेटफॉर्म पर ड्रिलिंग मशीन टिकी हुई है, उसमें दरारें दिखने के बाद ड्रिलिंग रोक दी गई थी। ड्रिलिंग का काम शुक्रवार सुबह भी प्रारंभ नहीं हो सका।
बचाव स्थल पर मौजूद मनोचिकित्सक डॉ. रोहित गोंडवाल ने बताया, ‘‘हम उन्हें (फंसे हुए मजदूर) तनाव दूर करने में मदद के लिए लूडो, शतरंज और ताश उपलब्ध करवाने की योजना बना रहे हैं। अभियान में देरी हो रही है और ऐसा लगता है कि कुछ समय और लगेगा।” उन्होंने कहा कि सभी 41 श्रमिक ठीक हैं लेकिन उन्हें स्वस्थ और मानसिक रूप से ठीक रहने की जरूरत है। गोंडवाल ने कहा, ‘‘उन्होंने हमें बताया कि वे ‘चोर-पुलिस’ खेलते हैं, तनाव दूर करने के लिए रोजाना योग और व्यायाम करते हैं।” इन श्रमिकों के मानसिक स्वास्थ्य पर एक अन्य चिकित्सा विशेषज्ञ ने कहा कि उनका मनोबल ऊंचा रहना चाहिए और उन्हें आशावान रखना चाहिए। चिकित्सकों की एक टीम प्रतिदिन श्रमिकों से बात करती है और उनके स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति के बारे में जानकारी लेती है। बुधवार देर रात ‘ऑगर’ मशीन के रास्ते में आए लोहे के गर्डर को काटने में छह घंटे की देरी के बाद दिन में बचाव अभियान फिर से शुरू होने के कुछ घंटों बाद हालिया बाधा आई।
उत्तराखंड के चारधाम मार्ग में निर्माणाधीन सुरंग का एक हिस्सा ढह जाने के बाद 12 नवंबर को कई एजेंसियों द्वारा बचाव अभियान शुरू होने के बाद से यह तीसरी बार है कि जब ड्रिलिंग का कार्य रोका गया है। अधिकारियों ने कहा कि बचावकर्मी मलबे को 48 मीटर तक भेदने में कामयाब रहे हैं। हालांकि, फंसे हुए मजदूरों को निकालने के लिए 10 मीटर का रास्ता तय करना बाकी है। उत्तरकाशी और देहरादून के चिकित्सकों और मनोचिकित्सकों सहित एक दर्जन चिकित्सकों की एक टीम घटनास्थल पर मौजूद है। अधिकारियों ने कहा कि टीम के सदस्य फंसे हुए मजदूरों से नियमित रूप से सुबह कम से कम 30 मिनट और शाम के वक्त इतनी ही देर तक बात करते हैं।
सुरंग में 12 दिन से फंसे 41 श्रमिकों को बचाने के कार्य में बृहस्पतिवार को फिर से अवरोध पैदा हुआ क्योंकि जिस प्लेटफॉर्म पर ड्रिलिंग मशीन टिकी हुई है, उसमें दरारें दिखने के बाद ड्रिलिंग रोक दी गई थी। बुधवार देर रात ‘ऑगर’ मशीन के रास्ते में आए लोहे के गर्डर को काटने में छह घंटे की देरी के बाद दिन में अभियान फिर से शुरू होने के कुछ घंटे पश्चात अवरोध पैदा हुआ।
बता दें कि उत्तराखंड के चारधाम मार्ग में निर्माणाधीन सुरंग का एक हिस्सा ढह जाने के बाद 12 नवंबर को विभिन्न एजेंसियों द्वारा बचाव अभियान शुरू होने के बाद से यह तीसरी बार है कि ड्रिलिंग कार्य रोका गया है।
पाइप में भी आई समस्या
वहीं टनल में जो पाइप रेस्क्यू के लिए डाले जा रहे हैं उसमें भी बेंड आ गया था, जिसको लगभग दो ढाई घंटे की मशक्कत के बाद काटा गया। वहीं लगातार चलने से ऑगर मशीन का बेस भी हिल गया था। इतनी वजनी मशीन के कंपन के कारण बेस के साथ मशीन के नट-बोल्ट भी ढीले हो गये थे। मशीन को दोबारा इंस्टॉल कर उसका बेस सेट किया गया और नट बोल्ट नए सिरे से कसे गए।
बेस को सेट करने में ही काफी समय लग जाता है। जिसके कारण ड्रिलिंग के काम में देरी हुई। उन्होंने बताया कि कल एक और डेवलपमेंट हुआ है कि ग्राउंड पैनल्टेटिंग रडार रेस्क्यू अभियान के साथ जुड़ गया है। यह रडार मिट्टी के अंदर 5 मीटर तक की स्थिति को देखने में सक्षम है। इससे यह पता चल जाएगा कि आगे कोई हर्डल तो नहीं है। यह एक पॉजिटिव डेवलपमेंट है, जिससे 5 मीटर तक आसानी से ड्रिलिंग की जाएगी। उसके बाद आगे इस रडार की सहायता से काम होगा।
मीडिया को भी सलाह
इसके साथ ही उन्होंने मीडिया को भी सलाह दी है कि ब्रेकथ्रू देने या ब्रेकिंग न्यूज़ देने पर कंट्रोल रखें। इस तरह बार-बार ब्रेकिंग देने से लोगों में गलतफहमियां हो रही हैं। उन्होंने बताया कि सुरंग के भीतर मलबे में ड्रिलिंग के साथ ही सुरंग के ऊपर से होरिजेंटल और वर्टिकल के साथ ही सीधी ड्रिलिंग पर भी विचार किया गया था। लेकिन इन विकल्पों पर अभी काम पूरी तरह से शुरू नहीं किया गया है। मशीन पहुंच रही हैं और संभवत: इन विकल्पों पर भी काम होगा।
हर एक राज्य का साथ
उन्होंने बताया कि उड़ीसा से छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली से लेकर उत्तरकाशी तक तमाम राज्य इस ऑपरेशन में शामिल हैं। ग्रीन कॉरिडोर बनाकर मशीनों को सिल्कयारा तक पहुंचाया गया है। जिसके लिए हर राज्य का सहयोग मिला है। वहीं टनल में फंसे मजदूरों को लेकर भी कई रिपोर्ट्स आ रही हैं। सभी मजदूर बिल्कुल ठीक हैं और उनको मानसिक रूप से मजबूत रखने के लिए डॉक्टरों से लेकर मनोविज्ञानी तक उनसे बात कर रहे हैं। समय-समय पर परिजनों से उनकी बातचीत करवाई जा रही है।
मजदूर भी बनाए रखें धैर्य
कहा कि यदि रेस्क्यू में समय लगता है तो इसको बर्दाश्त करने के लिए भी मजदूरों को तैयार रहना होगा। वहीं एनएएचआई के विशाल चौहान ने बताया कि टनल में फंसे लोगों की ही नहीं बल्कि रेस्क्यू में जुटे कर्मियों की भी सुरक्षा बेहद जरूरी है। फूड पाइप को भी पूरी तरह से सुरक्षित किया गया है।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."