हिमांशु नौरियाल की रिपोर्ट
उत्तराखंड में चुनावी माहौल के बावजूद प्रदेश की राजनीति में एक नया विवाद उभरकर सामने आया है, जो धार्मिक मुद्दों से जुड़ा है। इस विवाद का केंद्र केदारनाथ धाम से जुड़ा हुआ है, जहां दिल्ली में केदारनाथ मंदिर की प्रतिकृति का निर्माण हो रहा है। कांग्रेस इस मंदिर निर्माण का जोरदार विरोध कर रही है, जबकि भाजपा और सरकार इससे पूरी तरह से इनकार कर रही हैं।
दिल्ली के बुराड़ी में एक ट्रस्ट केदारनाथ मंदिर की प्रतिकृति का निर्माण कर रहा है। इस ट्रस्ट ने सरकार के किसी भी प्रकार के हस्तक्षेप से इनकार किया है, और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी स्पष्ट किया है कि इस निर्माण से सरकार का कोई संबंध नहीं है। बावजूद इसके, कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर विरोध कर रही है।
कांग्रेस ने ‘केदारनाथ बचाओ’ के नाम से हरिद्वार से एक पदयात्रा शुरू की है, जो केदारनाथ में समाप्त होगी। कांग्रेस का आरोप है कि दिल्ली में बन रहे इस मंदिर के निर्माण से सनातनी परंपरा की पहचान को खतरा है और यह धार्मिक व्यवसायीकरण का हिस्सा है।
इस विवाद में भाजपा का तर्क है कि दिल्ली में बनने वाला मंदिर सिर्फ एक प्रतीक है और इसका केदारनाथ धाम से कोई सीधा संबंध नहीं है। मुख्यमंत्री धामी ने कहा है कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल इस मुद्दे को राजनीतिक लाभ के लिए भुना रहे हैं। वहीं, कांग्रेस का कहना है कि यह यात्रा भाजपा के धार्मिक एजेंडे के खिलाफ है और सनातन धर्म की रक्षा के लिए है।
इस बीच, केदारनाथ धाम के तीर्थ पुरोहित भी इस मुद्दे पर धरना-प्रदर्शन कर चुके हैं, हालांकि मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद उन्होंने अपना धरना समाप्त कर दिया। कांग्रेस के विरोध और राजनीतिक गतिविधियों के चलते इस विवाद ने एक नया मोड़ ले लिया है।
यह मामला न केवल धार्मिक बल्कि राजनीतिक रंग भी ले चुका है, खासकर जब कांग्रेस ने हाल के उपचुनावों में भाजपा को हराकर दो महत्वपूर्ण सीटें जीती हैं और केदारनाथ सीट पर भी अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रही है।
कुल मिलाकर, यह विवाद उत्तराखंड की सियासत में एक महत्वपूर्ण मोड़ ला रहा है, जिसमें धार्मिक मुद्दों के साथ-साथ राजनीतिक रणनीतियों का भी खेल चल रहा है।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."