मोहन द्विवेदी की खास रिपोर्ट
निर्मला सीतारमण का बजट आम तौर पर संतुलित माना जा रहा है, जिसमें मध्यम वर्ग और नौकरीपेशा लोगों को कुछ राहत मिलने की उम्मीद है। हालांकि, इस बजट को लेकर कुछ असंतोष भी व्यक्त किया गया है।
निदा फाज़ली की गज़ल की पंक्तियाँ, “कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता, कहीं ज़मीन कहीं आसमाँ नहीं मिलता,” इस बजट की मिश्रित प्रतिक्रिया को बखूबी व्यक्त करती हैं।
सीतारमण ने मंगलवार को प्रस्तुत बजट में आयकर मोर्चे पर मध्यम वर्ग और नौकरीपेशा लोगों को राहत देने का ऐलान किया है। इसके अलावा, अगले पांच साल में रोजगार सृजन के लिए 2 लाख करोड़ रुपये के आवंटन की घोषणा की गई है। ग्रामीण विकास के लिए भी 2.66 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जिसे ग्रामीण असंतोष और बेरोजगारी की समस्या को ध्यान में रखते हुए रखा गया है।
बजट में कोरोना काल के दौरान शुरू की गई मुफ्त राशन योजना को अगले पांच वर्षों के लिए बढ़ा दिया गया है। कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के लिए 1.52 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान भी किया गया है। इसके तहत 32 फसलों के लिए 109 नई किस्में लॉन्च की जाएंगी और डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर का लाभ किसानों को मिलेगा। लगभग छह करोड़ किसान फार्मर एंड लैंड रजिस्ट्री के दायरे में आएंगे।
प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना के तहत एक करोड़ परिवारों को हर महीने 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली प्रदान की जाएगी। युवाओं के लिए भी तीन प्रमुख योजनाओं की घोषणा की गई है, जिनमें पांच साल की इंटर्नशिप, स्किल लोन और मॉडल स्किल लोन शामिल हैं। इसके अलावा, बिहार में तीन एक्सप्रेस वे बनाने के लिए 26 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जिससे वहां के युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे।
सोने और चांदी पर कस्टम ड्यूटी घटाकर 6 प्रतिशत करने से इनकी कीमतों में कमी आई है। कैंसर की दवाओं पर कस्टम ड्यूटी हटाने से भी मरीजों को राहत मिलेगी।
इस बजट में किसान, मजदूर, युवा, छात्र, महिला, उद्यमी और अन्य वर्गों के लिए कई योजनाएं और प्रावधान किए गए हैं, जो लोगों के व्यक्तिगत और सामुदायिक हितों को सकारात्मक रूप से प्रभावित करने के लिए हैं।
बजट के प्रावधानों पर अक्सर पक्ष और विपक्ष के बीच तर्क-वितर्क होते हैं। विपक्ष आमतौर पर बजट में खामियों और पक्षपात को उजागर करने का प्रयास करता है। हाल ही में प्रस्तुत बजट को लेकर भी विपक्ष ने सरकार की आलोचना की है। बजट के पेश होने के बाद संसद के दोनों सदनों में हंगामा हुआ और विपक्ष ने राज्यसभा से बहिर्गमन किया।
विपक्ष की मुख्य आपत्ति बिहार और आंध्र प्रदेश के लिए विशेष आबंटन को लेकर है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार ने इन राज्यों को विशेष आर्थिक पैकेज देकर अन्य राज्यों के साथ भेदभाव किया है। उनका कहना है कि सरकार को जद (एकी) और तेदेपा जैसे गठबंधन सहयोगियों को खुश रखने की कोशिश की गई है, जिसके कारण देश के अन्य हिस्सों की जरूरतों की अनदेखी की गई है।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इसका जवाब देते हुए कहा कि सभी राज्यों को कुछ न कुछ प्रावधान किया गया है, हालांकि यह बजट में विशिष्ट रूप से उल्लेखित नहीं है।
इस बार विपक्ष की स्थिति मजबूत है, और इसलिए सरकार को अधिक आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। पिछली बार राजग सरकार के दो कार्यकाल में विपक्ष की कमजोरी के कारण बजट पर बहसें कम हुई थीं, लेकिन इस बार विपक्ष के सशक्त होने के कारण बजट पर गहरी चर्चा हो रही है।
बिहार और आंध्र प्रदेश की राज्य सरकारों ने लंबे समय से विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की है। केंद्र ने उन्हें विशेष राज्य का दर्जा देने से मना कर दिया, लेकिन बजट में उन्हें भारी आर्थिक पैकेज दिया गया। इन राज्यों को विशेष दर्जा देने का आश्वासन केंद्र ने पहले ही दिया था जब झारखंड और तेलंगाना नए राज्य बने थे, लेकिन वह आश्वासन पूरा नहीं हो सका।
केंद्र सरकार का यह दायित्व है कि सभी राज्यों को समान विकास के अवसर प्रदान करे और हर राज्य में स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार जैसी सुविधाओं की सृजन सुनिश्चित करे।
हालांकि, यह देखा गया है कि केंद्र की सरकारें अक्सर वित्तीय आबंटन में पक्षपात करती हैं, जिससे राज्यों के बीच असंतोष और विरोध पैदा होता है। इस तरह का रवैया देश के समग्र विकास को प्रभावित कर सकता है। केंद्र और राज्यों के बीच टकराव की स्थितियां उत्पन्न होती हैं, और अगर कुछ राज्यों या वर्गों की विशेष जरूरतों को नजरअंदाज कर दिया जाए, तो इसका असर पूरे देश के संतुलित विकास पर पड़ता है।
राजग सरकार के सामने वर्तमान में स्थायित्व का संकट है, इसलिए वह अपने प्रमुख सहयोगी दलों की मांगों को नजरअंदाज नहीं कर सकती। फिर भी, सरकार से अपेक्षा की जाती है कि वह सभी राज्यों और वर्गों की वास्तविक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए एक संतुलित और समावेशी बजट प्रस्तुत करे।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."