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अतर्राबांदा

पुस्तक ‘राष्ट्र साधना के पथिक’ का प्रथम संस्करण, आऊट आफ मार्केट, एक पखवाड़े में ही प्रतियां बिक चुकी 

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89 पाठकों ने अब तक पढा

दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट 

अतर्रा(बाँदा)। बेसिक शिक्षा के रचनाधर्मी शिक्षक-शिक्षिकाओं के मैत्री समूह शैक्षिक संवाद मंच द्वारा शिक्षक लेखन प्रकाशन योजना के तहत भारत वर्ष की आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर हालिया प्रकाशित पुस्तक ‘राष्ट्र साधना के पथिक’ के प्रथम संस्करण की सभी प्रतियां पंद्रह दिनों में बिक गयीं। यह जानकारी पुस्तक के प्रकाशक अभिषेक ओझा (रुद्रादित्य प्रकाशन, प्रयागराज) एवं संपादक प्रमोद दीक्षित मलय ने साझा करते हुए खुशी व्यक्त कर कहा कि यह पढ़ने की संस्कृति को बढ़ावा देने वाला और आजादी के संघर्ष में अपना सर्वस्व समर्पण करने वाले क्रांतिकारियों एवं अन्य नायकों से परिचित होने की पाठकों की जिज्ञासा का प्रकटीकरण है।

जानकारी देते हुए संग्रह ‘राष्ट्र साधना के पथिक’ के संपादक प्रमोद दीक्षित मलय ने बताया कि शैक्षिक संवाद मंच द्वारा आजादी के अमृत काल के अवसर पर देश के स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान देने वाले क्रांतिकारियों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर आधारित इस संग्रह में 49 क्रांतिकारियों एवं अन्य नायकों पर बेसिक शिक्षा में कार्यरत शिक्षक-शिक्षिकाओं ने शोधपूर्ण सामग्री प्रस्तुत की है। पाठक ऐसे क्रांतिकारियों से परिचित होते हैं जिनको देश के इतिहास में उचित स्थान नहीं मिल सका। यह पुस्तक इस कमी की भरपाई कर उन गुमनाम क्रांतिकारियों को श्रद्धा का समर्पण है।

परिचित क्रांतिकारियों के साथ ही पाठक जिन भूले-बिसरे क्रांतिकारियों से मिलते हैं उनमें शहीद बाबू बन्धू सिंह, ठाकुर जोधा सिंह अटैया, रानी तलाश कुंवरि, राजा हरिप्रसाद मल्ल, शहीद राजा नाहर सिंह, अज़ीमुल्ला खां, बिरसा मुंडा, अल्लूरी सीताराम राजू, राजा महेन्द्र प्रताप सिंह, राममूर्ति त्रिपाठी, विश्वनाथ शर्मा, हेमू कालाणी, राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी, भीकाजी कामा, उधम सिंह एवं लाला हरदयाल आदि हैं।

प्रकाशक ने बताया कि 500 प्रतियों का पहला संस्करण केवल पंद्रह दिनों में हाथोंहाथ बिक गया और अभी भी मांग बनी हुई है। शीघ्र ही संग्रह ‘राष्ट्र साधना के पथिक’ का दूसरा परिमार्जित संस्करण मुद्रित किया जायेगा।

संपादक प्रमोद दीक्षित मलय ने सभी शामिल रचनाकारों एवं पाठकों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए भविष्य में भी सहयोग बनाये रखने की आकांक्षा व्यक्त की है। आशा कुशवाहा (ललितपुर), श्रुति त्रिपाठी (बस्ती), डॉ. श्रवण कुमार गुप्त, कमलेश पांडेय (वाराणसी), धर्मानंद गोजे (छत्तीसगढ़), विजय प्रकाश जैन (राजस्थान), बुशरा सिद्दीकी, ऋतु श्रीवास्तव, डॉ. निधि माहेश्वरी (हापुड़ ), देवेश जोशी (उत्तराखंड), दुर्गेश्वर राय (गोरखपुर), डॉ. पूजा यादव (कानपुर), डॉ. रचना सिंह (उन्नाव), डॉ. शालिनी गुप्ता (सोनभद्र), शीला सिंह (गाजीपुर), अनीता मिश्रा (बलरामपुर) एवं डॉ. आदित्य त्रिपाठी आदि सुधी पाठकों एवं समीक्षकों ने पुस्तक की सराहना की है।

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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