google.com, pub-2721071185451024, DIRECT, f08c47fec0942fa0
बृंदावनमथुरा

…जहां एक-दूसरे से लिपटे पेड़ रात में करने लगते हैं महारास, देखने वालों का होता है ये हाल….

IMG-20250425-WA1484(1)
IMG-20250425-WA0826
IMG-20250502-WA0000
Light Blue Modern Hospital Brochure_20250505_010416_0000
IMG_COM_202505222101103700

ठाकुर धर्म सिंह ब्रजवासी की रिपोर्ट 

कहा जाता है कि निधिवन में आज भी भगवान श्रीकृष्ण गोपियों के साथ महारास करते हैं। महारास का वर्णन कई वेदों और पुराणों में देखने को मिलता है। इसका प्रमाण यह भी माना जाता है कि निधिवन में बने भगवान के रंगमहल में राधा जी के श्रृंगार के लिए रात्रि में रखे गए श्रृंगार के वस्तुए सुबह रंग महल खोलने पर देखते हैं तो रखा गया श्रृंगार के सामान इस्तेमाल मिलता है। शयन शैया की चादर एसी लगती है, जैसे कोई इस पर आकर आराम करके गया हो और पीने के लिए रखा हुआ पानी लोटे में कम या बिल्कुल नहीं मिलता है। रंगमहल वहीं स्थान है, जहां भगवान महारस के बाद अपनी थकान मिटने के लिए राधा रानी के साथ आराम किया करते थे।

​मिलते हैं चरणों के निशान

निधिवन में जितने भी पेड़ हैं, वे एक-दूसरे से इस तरह लिपटे हुए हैं, मानो एक-दूसरे को परस्पर अपनी बाहों में लिए हुए हो। कहा जाता है कि रात्रि में यही पेड़ कृष्ण और गोपियों का रूप धारण करते हैं और महारास करते हैं। निधिवन में आज भी भगवान के जगह-जगह चरण चिह्न देखने को मिलते हैं।

रात में किसी ने जाने की हिमाकत की तो वो हो गया दुनिया से विदा

निधिवन में पूरे देश-विदेश का केवल ऐसा मंदिर है, जहां राधा जी को बांसुरी बजाते हुए दिखाया है। इसके पीछे कि कथा यह है कि राधा जी को भगवान कि बांसुरी से जलन होने लगी थी तो उन्होंने भगवान की बांसुरी को चुरा कर उनसे दूर करना चाहा था, क्योंकि जब भगवान अपनी बांसुरी को बजाते थे तो सभी गोप-गोपिकाएं और गाय उस स्थान पर आ जाती थीं, जिससे जो राधा जी की कामना होती कि भगवान के साथ वह अकेले में कुछ क्षण बिताएं, इसलिए उन्होंने भगवान की बांसुरी को चुराकर ये देखना चाह कि यदि मैं भी इस बांसुरी को बजाऊं तो किया गोप-गोपियां आदि आते हैं या नहीं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ तो राधा जी ने स्वयं बांसुरी को भगवान से छमा मांगते हुए वापस कर दी।

रात के अंधेरे में लोगों का आना है बंद

भगवान श्री कृष्ण रात्रि के समय आकर महारास करते है। यहां भक्तों द्वारा इस वन में स्वयं साफ-सफाई करते हैं। झाडू लगाते हैं। भक्तों का मानना है कि जब रात्रि में भगवान यहां आकर महारास करें तो उनके पैरों में कहीं कांटे या कंकड़ न लग जाएं, इसलिए इस वन की सफाई करते हैं। इस महारास को अभी तक किसी ने नहीं देखा है और यदि किसी ने देखने की कोशिश की तो वह इस काबिल नहीं रहा कि वह किसी को इसके बारे में बता सके। इस महारास को देखने वाला पागल हो जाता है या फिर इस महारास को देखने के बाद मर जाता है। यही कारण है कि इस वन के आसपास बने मकानों के खिड़की महारास देखने के लिए बनाई गई थीं, लेकिन इसके परिणाम भयानक होने के कारण उन खिड़कियों को बंद करा दिया। इस महारास को देखने की हिम्मत इनसान तो दूर वरन यहां रहने वाले पशु-पक्षी भी नहीं करते हैं। यहां रहने वाले बंदर भी रात्रि में निकल जाते हैं, यदि गलती से भी कोई यहां रात्रि में रह जाता है तो उसे इसकी कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ती है।

आनंद के साथ झूमते गाते हैं भक्त

भले ही भगवान श्री कृष्ण ने द्वापर में यहां महारास किया हो, लेकिन भक्तों का मानना है कि आज भी यहां आकर भगवान महारास करते हैं। यही कारण है कि देश-विदेश से भक्त यहां आकर भगवान की लीलाओं का आनंद लेते हैं और भगवान कि भक्ति में झूम कर नाचते गाते हैं।

95 पाठकों ने अब तक पढा
samachardarpan24
Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

[embedyt] https://www.youtube.com/embed?listType=playlist&list=UU7V4PbrEu9I94AdP4JOd2ug&layout=gallery[/embedyt]
Tags

samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की
Back to top button
Close
Close