सर्वेश द्विवेदी की खास रिपोर्ट
समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव इन दिनों खराब तबीयत के चलते मुश्किल में हैं। वह गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती हैं। ताजा जानकारी के मुताबिक फिलहाल उनकी स्थिति में कुछ खास सुधार नहीं है। वह डॉक्टरों की निगरानी में हैं और परिवार के सदस्यों समेत पूरा देश उनके लिए दुआ कर रहा है।
इस बीच उनके बेहद करीबी माने जाने वाले और बचपन के दोस्त रहे पूर्व मंत्री तोताराम यादव ने ज़ी मीडिया से खास बातचीत में कई किस्से शेयर किए।
पहलवानी शुरू की तो बड़े-बड़ों को कर दिया चित्त
एक किस्सा याद करते हुए तोताराम यादव कहते हैं, मुलायम और मेरी उम्र में 5 महीने का अंतर है। मैं जून में पैदा हुआ और मुलायम नवंबर में। हम उम्र थे इसलिए दोस्ती भी अच्छी रही। ग्रेजुएशन के बाद मुलायम का ब्याह हो गया और ब्याह के बाद उसने पहलवानी की दुनिया में कदम रखा। तब उनकी कुश्ती देखकर नत्थू सिंह कहा करते थे कि मुलायम किसी को भी चित्त कर सकता है। बस वो यूं ही एक दिन मुलायम को कुश्ती करवाने ले आए और यहां मुलायम ने एक बड़े पहलवान को सच में ही चित्त कर दिया। नत्थू सिंह मुलायम पर बहुत भरोसा करते थे।
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मुलायम सिंह ऐसे बने पहली बार विधायक
तोताराम बताते हैं कि नत्थू सिंह मुलायम सिंह यादव के राजनीतिक गुरु थे। वह ही मुलायम को राजनीति में लेकर आए थे। नत्थू सिंह उन दिनों जसवंत नगर के विधायक हुआ करते थे। मुलायम सिंह की कुश्ती से वह इतने प्रभावित थे कि अगले चुनावों में जसवंत नगर सीट पर मुलायम को ही टिकट दे दी। 1967 में मुलायम चुनाव जीत कर जसवंत नगर सीट से विधायक बन गए। आगे की राह आसान नहीं थी मगर वह डटे रहे और मिसाल बनाते रहे।
जब बेटे अजीत सिंह की बजाय चरण सिंह ने मुलायम को बनाया वारिस
चरण सिंह के बेहद करीबियों में शामिल थे नत्थू सिंह। नत्थू सिंह के जरिए चरण सिंह को मुलायम के बारे में पता चला और वह भी उनसे काफी प्रभावित हुए। यह इस हद तक था कि जब चरण सिंह को अपना उत्तराधिकारी चुनना था तो उन्होंने अपने बेटे अजीत सिंह की बजाय मुलायम सिंह यादव को चुना. तोताराम यादव बताते हैं, ‘ ये मेरे सामने की ही बात है जब चरण सिंह ने कहा था कि अजीत मेरा बेटा है और मुलायम किसान का बेटा है और वही मेरी विरासत का सही हकदार है।’
जब मुख्यमंत्री बने थे मुलायम सिंह यादव
सन् 1989 में जनता दल सरकार में मुलायम सिंह यादव पहली बार यूपी के मुख्यमंत्री बने। तोताराम यादव उस माहौल को याद करते हुए बताते हैं, ‘ जब मुख्यमंत्री बनने के बाद मुलायम पहली बार सैफई आए तो हर आदमी ने उन्हें फूलों का हार पहनाकर उनकी पूजा की थी। ऐसा माहौल था कि हर आंख खुशी से भीगी हुई थी और वो सफलता मुलायम की नहीं पूरे गांव और प्रदेश की हो गई थी।’
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."