दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
अतर्रा(बांदा)। प्राथमिक विद्यालय पचोखर-2 क्षेत्र महुआ द्वारा आयोजित जल यात्रा में ग्रामवासियों को जल के महत्व से परिचित कराते हुए जल संरक्षण के प्रति जागरूक कर जल संरक्षण को नैतिक दायित्व बताया गया। जल व्यर्थ न बहाने एवं जल स्रोतों को निर्मल-स्वच्छ बनाये रखने का संकल्प लिया गया। जल यात्रा के प्रति ग्रामीणों में उत्साह और नयी जानकारियां प्राप्त करने की ललक देखी गयी। यात्रा पश्चात विद्यालय में बच्चों एवं शिक्षकों के साथ जल-गोष्ठी का आयोजन किया गया।
प्राथमिक विद्यालय पचोखर-2 द्वारा आयोजित जल यात्रा के बारे में जानकारी देते हुए प्रधानाध्यापक शिक्षक साहित्यकार प्रमोद दीक्षित मलय ने बताया कि जल स्रोतों, जलाशयों तथा जल के संरक्षण एवं समुचित उपयोग करने सम्बंधी विभागीय निर्देश पर खंड शिक्षा अधिकारी, महुआ श्री विनोद कुमार पटैरिया के मार्गदर्शन में 22 सितम्बर की सुबह ग्राम पचोखर में प्रभात फेरी के रूप में जल यात्रा निकाली गयी जिसमें शिक्षक-शिक्षिकाओं, शिक्षामित्रों, रसोईयों एवं बच्चों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
जल के महत्व, संरक्षण, समुचित उपयोग करने एवं जल व्यर्थ न बहाने सम्बंधी नारे लगाते हुए जल यात्रा गलियों से गुजरते हुए गांव का भ्रमण किया और ग्रामीणों को जागरूक किया। जल यात्रा वापस आकर विद्यालय में जल-गोष्ठी के रूप में परिवर्तित हो गयी।
गोष्ठी में बच्चों को जल के महत्व से परिचित कराते हुए प्रधानाध्यापक प्रमोद दीक्षित मलय ने कहा कि पृथ्वी पर केवल 3 प्रतिशत शुद्ध जल है जिसमें मात्र 1 प्रतिशत पेयजल के रूप में नदियों, झीलों में उपलब्ध है। शेष जल खारा और उपयोग लायक नहीं है। हम उतना जल लें जिसे उपयोग कर सकें, व्यर्थ फेंकना न पड़े। मोटर और सबमर्सिबल पम्प जरूरत भर का चलायें। शिक्षक महेंद्र गुप्ता ने कहा कि कुआं खत्म हो गये, तालाब भी असुरक्षित हैं।
राकेश द्विवेदी ने कहा कि वर्षा जल की एक-एक बूंद को बचाने की जरूरत है। संचालन करते हुए नीलम कुशवाहा ने कहा कि जल पृथ्वी में अमृत के समान है। जल से ही सभी जरूरतें पूरी होती हैं चाहे अनाज का उत्पादन हो या फिर उद्योग।
शिक्षामित्र ज्योति उपाध्याय और उर्मिला कुशवाहा ने जलगीत प्रस्तुत किया। बच्चों ने भी अपने अनुभव सुनाये। इस अवसर पर जल संरक्षण का संकल्प भी लिया गया।
Author: samachar
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