परवेज़ अंसारी की रिपोर्ट
राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा समर्थन जुटाने शनिवार को जम्मू-कश्मीर पहुंचे। यहां उन्होंने फारूक अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती समेत कई नेताओं के साथ बैठक की। इस बैठक में पूर्व मुख्यमंत्रियों फारूक अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती समेत कई नेता शामिल हुए।
बैठक के दौरान सिन्हा ने फारूक अब्दुल्ला समेत बैठक में शामिल तमाम नेताओं को देश का सबसे बड़ा राष्ट्रवादी बताया। अब इस पर सोशल मीडिया पर लोग तरह-तरह के तंज कस रहे है। इसी क्रम में फिल्ममेकर अशोक पंडित ने भी टिप्पणी की है।
अशोक पंडित ने किया ट्वीट: फिल्म निर्माता और एक्टिविस्ट अशोक पंडित ने ट्विटर पर फारूक अब्दुल्ला, महबूबा के साथ यशवंत सिन्हा की तस्वीर शेयर करते हुए लिखा कि गयी भैंस पानी में ! इस पर पूर्व बीजेपी सांसद और मशहूर एक्टर परेश रावल ने अशोक पंडित के ट्वीट को रीट्वीट करते हुए अपनी प्रतिक्रिया दी है। परेश रावल ने चुटकी लेते हुए लिखा कि ये भैंस तो पहले से ही डूबी हुई है!
लोगों ने दी प्रतिक्रियाएं: फिल्ममेकर अशोक पंडित के इस ट्वीट पर यूजर्स अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। विपुल नाम के यूजर लिखते हैं कि इनके आगे भैंस भी बदनाम हो जाएगी। अतुल नाम के यूजर लिखते हैं कि यह लोग राष्ट्रपति चुनाव जीतने के लिए आवश्यक संख्या गिनने का सरल गणित करने में असमर्थ हैं और इन्हें कश्मीर आज़ाद करानी है।
अरुन नाम के यूजर लिखते हैं कि अभी तो ममता दी भैंस को पूरा डुबो देगी जब वह स्वयं भी द्रौपदी मुर्मू को समर्थन दे देगी। इनको तो बंगाल में भी प्रचार करने से रोक दिया गया है। झारखंड में इनको समर्थन मिलना नहीं है। भैंस पक्का डूब जाएगी।
अशोक पंडित ने किया ट्वीट: इस पर द कश्मीर फाइल फिल्म डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री ने लिखा कि जब कश्मीर जल रहा था, आतंकवाद चरम पर था, हिंदुओं को खुलेआम मारा दिया गया, घर जलाए दिए गए, मंदिरों को नष्ट कर दिया गया, 18 जनवरी (19 जनवरी की अंधेरी रात से ठीक एक दिन पहले) को इस्तीफा देना और लंदन भाग जाना सबसे बड़ी देशभक्ति की बात है। क्या कर सकते हैं।
बता दें नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष और सांसद डॉ फारूक अब्दुल्ला ने अपने गुप्कर आवास पर समान विचारधारा वाले राजनीतिक दलों की बैठक बुलाई थी। बैठक में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा भी शामिल हुए। उन्होंने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे जो भी लोग यहां बैठे हैं, फारूक साहब और महबूबा जी को मिला कर…इनसे बड़ा कोई राष्ट्रभक्त नहीं है। अगर ये राष्ट्रवादी नहीं हैं तो फिर देश में कोई राष्ट्रभक्त नहीं है।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."