ओमप्रकाश पाण्डेय की रिपोर्ट
मऊ, नाम-मारिया एला सलदुआ, जन्म स्थान – फिलीपींस, वर्तमान पता- गाढ़ा मुहल्ला मऊ उत्तर प्रदेश। समस्या – ससुराल में कोई उसकी भाषा नहीं समझता जिसकी वजह से उसे खाने की दिक्कत है। एसा मामला मऊ पुलिस के पास फिलीपींस दूतावास के जरिए सामने आया तो पुलिस ने फिलीपींस की महिला से बात की तो पता चला कि ससुरालीजन उसे प्रताड़ित कर रहे हैं।
कोपागंज कस्बा के एक युवक की कुवैत में कमाने के दौरान संपर्क में आई फिलीपींस की युवती के साथ रजामंदी से दोनों की शादी हो गयी। चार वर्ष में दो बच्चे भी हुए। विदेशी महिला के साथ युवक अपने गांव गाढ़ा में रहने लगा। इधर कुछ माह पूर्व वह फिर कमाने के लिए कुवैत चला गया। इधर दो दिन पूर्व विदेशी महिला ने अपने देश के राजदूत को मैसेज कर ससुरालीजनों पर मारने-पीटने का आरोप लगाया। इसके बाद सक्रिय पुलिस ने महिला से पूछताछ की। पुलिस ने छानबीन किया तो पता खाने-पीने में हो रही दिक्कतों का चला। अब पुलिस एनजीओ के माध्यम से महिला को उसके हमवतन भेजने की तैयारी में है।
गाढ़ा मोहल्ला निवासी फैयाज चार वर्ष पूर्व कुवैत कमाने गया था। इसी बीच उसकी मुलाकात फिलीपींस निवासी मारिया एला सलदुआ से हुई। कुछ दिन बाद दोनों कुवैत में ही शादी कर लिए। इससे उनके दो बच्चे हुए। युवक जब घर आने की बात अपनी विदेश पत्नी से कहा तो तो पत्नी मारिया ने एक बच्चे को वहीं बेंच दिया। यहां घर आने पर कुछ दिन तो मामला सही चला। इसी बीच युवक जब कुवैत कमाने चला गया तो विदेशी महिला की समस्या बढ़ने लगी। ससुरालीजन विदेशी बहू की भाषा नहीं समझ पाते। इसके चलते महिला को खाने-पीने में दिक्कतें आने लगी।
इसी बीच दो दिन पूर्व विदेशी महिला ने एक मैसेज फिलीपींस के राजदूत को किया। मैसेज में उसने घरवालों पर मारने-पीटने का आरोप लगाया। वहां से लेटर पुलिस प्रशासन को आने के बाद उच्चाधिकारियों ने कोपागंज पुलिस को लेटर भेजकर मामले से अवगत कराते हुए कार्रवाई के आदेश दिए। पुलिस जब युवक के घर गयी तो पता चला कि वह कमाने कुवैत चला गया है। इससे महिला परेशान थी। पुलिस ने जब विदेशी महिला से पूछताछ किया तो वह दो बच्चो में से एक बच्चा अपनी मर्जी से कुवैत में बेचने की बात बतायी। कोपागंज पुलिस ने अपने उच्चाधिकारियों को मामले से अवगत कराते हुए महिला को एनजीओ के माध्यम से उसके हमवतन भेजने की तैयारी में है।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."