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19 January 2025 8:43 am

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कालिंजर दुर्ग पहाड़ी जंगल में लगी आग की लपटें धीरे धीरे बढ़ रही है ; सुरक्षा के उपाय नदारद, भारी नुक्सान का मंडराता खतरा

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दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट

बांदा,  जिले के कालिंजर दुर्ग के पहाड़ी क्षेत्र के जंगल में आग लग गई। आग धीरे-धीरे बढ़ रही है और दोपहर बाद तक वन विभाग को इसकी जानकारी ही नहीं हुई। दुर्ग घूमने वालों की नजर दूर जंगल में आग की लपटों पर पड़ी तो खबर फैल गई। इसी तरह आग बढ़ती रही तो जल्द दुर्ग के नजदीक पहुंच सकती है। कालिंजर वन विभाग के डिप्टी रेंजर लालजी ने बताया कि हमें कोई जानकारी नहीं है। अभी फारेस्ट गार्डों को भेज रहा हूं। कयास है कि महुआ बीनने के लिए या शहद निकालने वालों की लापरवाही से आग लगी है।

दुर्ग से सटे पहाड़ियां हैं। हर वर्ष यहां पर गर्मी के दिनों में आग लगती है। इलाकाई लोग महुआ बीनने के लिए जंगल में जाते हैं और सूखे पत्तों में आग लगा देते हैं। संभावना है कि इसी वजह से जंगल में आग लगी। आग काफी बड़े क्षेत्र में फैलती जा रही है। यही  रफ्तार रही तो शाम तक बड़े क्षेत्रफल को अपनी चपेट में ले सकती है। आग का दायरा दुर्ग की ओर बढ़ रहा है।

कालिंजर दुर्ग के जंगलों में प्रत्येक वर्ष गर्मियों में आग से भारी नुकसान होता चला आ रहा है । इसके बावजूद भी वन विभाग के द्वारा कोई उपाय नहीं किए गए हैं । पिछले वर्ष मार्च के महीने में आग ने कालिंजर दुर्ग के सात किलोमीटर के क्षेत्र के जंगल को पूरी तरह से नष्ट कर दिया था। जिसमें वन संपदा को भारी नुकसान हुआ था। दुर्ग के ऊपर जंगल में पाई जाने वाली औषधियों के पेड़ एवं वन जीवों को भारी नुकसान हुआ था। गत वर्ष लगभग एक सप्ताह तक दुर्ग के आसपास आग लगी रही थी।

ऊंचाई पर होने की वजह से दमकल दस्ते की बड़ी गाड़ियां ऊपर नहीं पहुंच पाती हैं। छोटी गाड़ियों का ही सहारा होता है। पानी की भी घोर किल्लत है। ट्रैक्टर के जरिए टैंकर ऊपर पहुंचाए जाते हैं जो नाकाफी होते हैं। यही वजह के आग विकराल रूप ले लेती है। पिछले साल भी दमकल की कई छोटी गाडियां आग पर काबू पाने के लिए लगी रहीं लेकिन घने जंगल और पानी की कमी एवं दुर्ग की ऊंचाई ज्यादा होने के कारण आग पर काबू पाने में बेहद कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। इस वर्ष भी यदि समय रहते आग पर काबू नहीं पाया गया तो कालिंजर दुर्ग  के आसपास जंगलों को भारी नुकसान होना तय है।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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