परवेज़ अंसारी की रिपोर्ट
नई दिल्ली। जनजातीय कार्य मंत्रालय निम्नलिखित योजनाओं को क्रियान्वित कर रहा है जिसके लिए राज्य सरकार से प्राप्त प्रस्तावों के आधार पर राज्य सरकार को फंड जारी किए जाते हैं।
प्री मैट्रिक और पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना।
- संविधान के अनुच्छेद 275(1) के तहत अनुदान।
एससीए से टीएसएस जिसे अब प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना के रूप में नया नाम दिया गया है।
- विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) के लिए अनुदान।
टीआरआई को मदद
प्री और पोस्ट मैट्रिक योजनाएं मांग आधारित योजनाएं हैं। इसके तहत प्रत्येक एसटी छात्र, जिसकी पारिवारिक आय 2.5 लाख रुपये तक है, पूरे भारत में कक्षा IX से पोस्ट डॉक्टरेट तक की शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति का हकदार है। राज्य वित्तीय वर्ष के दौरान अनुमानित व्यय के लिए पिछले वर्षों में किए गए व्यय के आधार पर प्रस्ताव भेजते हैं और राज्यों को केंद्रीय हिस्से का 50% तक अग्रिम राशि जारी कर दी जाती है। राज्य द्वारा छात्रों को छात्रवृत्ति वितरित करने और यूसी जमा करने के बाद, शेष राशि राज्य को जारी की जाती है, बशर्ते राज्य ने अपना हिस्से का योगदान कर दिया हो।
अनुच्छेद 275(1), एससीए से टीएसएस और पीवीटीजी योजना के तहत अनुदान के संबंध में, राज्य को राज्य स्तरीय कार्यकारी समिति (एसएलईसी) द्वारा अनुमोदित प्रस्तावों को प्रस्तुत करना आवश्यक होता है। जनजातीय कार्य सचिव की अध्यक्षता में परियोजना अनुमोदन समिति द्वारा प्रस्तावों की जांच की जाती है, जिसके बाद वित्त विभाग द्वारा उस पर सहमति व्यक्त की जाती है। प्रत्येक राज्य को इन 3 योजनाओं में उस राज्य की जनसंख्या के मानदंड और भौगोलिक क्षेत्र के आधार पर हिस्सा आवंटित किया गया है।
पिछले वर्षों में जारी किए गए फंडे में से बच गई राशि, फंडों के उपयोग की स्थिति और आदिवासी अनुदान प्रबंधन प्रणाली (एडीआईजीआरएएमएस) पर प्रस्तुत भौतिक प्रस्ताव रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए राज्य को धनराशि जारी की जाती है। इन राज्यों से प्राप्त प्रस्तावों और स्वीकृत परियोजनाओं का विवरण जनजातीय कार्य मंत्रालय की वेबसाइट (tribal.nic.in) पर देखा जा सकता है। लंबित उपयोगिता प्रमाणपत्रों और परियोजनाओं की प्रगति का विवरण मंत्रालय द्वारा विकसित डैशबोर्ड (dashboard.tirbal.gov.in) पर “स्टेट इन ए ग्लांस” मॉड्यूल में देखा जा सकता है, जिसे हर महीने के पहले दिन अपडेट किया जाता है।
टीआरआई को अनुदान की योजना, टीआरआई को अनुसंधान परियोजनाओं, प्रशिक्षण, सांस्कृतिक आदान-प्रदान, त्योहारों के आयोजन, शिल्प मेला, पेंटिंग और अन्य प्रतियोगिताओं आदि जैसी विभिन्न गतिविधियों के लिए उनसे प्राप्त प्रस्तावों के आधार पर फंड दिया जाता है। टीआरआई भवन, संग्रहालय और जनजातीय स्मारकों आदि जैसे बुनियादी ढांचे के उन्नयन/निर्माण के लिए टीआरआई को फंड जारी किया जाता है। इन राज्यों से प्राप्त प्रस्तावों और अनुमोदित परियोजनाओं का विवरण मंत्रालय की वेबसाइट (tribal.nic.in) पर देखा जा सकता है। परियोजनाओं का विवरण मंत्रालय द्वारा विकसित ऑनलाइन पोर्टल जैसे tri.tribal.gov.in और adiprashikshan.tribal.gov.in पर देखा जा सकता है।
राज्य को प्रत्येक वित्तीय वर्ष के लिए नए सिरे से प्रस्ताव भेजना आवश्यक होता है। राज्यों से प्राप्त सभी प्रस्तावों को फंड की उपलब्धता और पिछले वर्षों में स्वीकृत इसी तरह की परियोजनाओं में राज्य के अंतराल विश्लेषण और प्रदर्शन को देखते हुए नई परियोजना की आवश्यकता के आधार पर एक ही वित्तीय वर्ष में अनुमोदित या अस्वीकार कर दिया जाता है।
वित्त चक्र 2021-26 के लिए, कई मौजूदा योजनाओं को एक-दूसरे के साथ मिला दिया गया है, उन्हें सुधार कर नया रूप दिया गया है और उनके दायरे को बड़ा कर दिया गया है। आदिवासियों के समग्र विकास के लिए बनाई गई 3 योजनाएं इस प्रकार हैं।
प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना
एससीए से टीएसएस की मौजूदा योजना का दायरा बढ़ा दिया गया है, जिसमें ‘प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना’ के तहत 36,428 गांवों को आदर्श ग्राम के रूप में विकसित करने के लिए संबंधित मंत्रालयों के साथ मिलकर इन गांवों का व्यापक विकास किया जाएगा। इन गांवों में आदिवासियों की आबादी 500 से अधिक और कुल संख्या की 50% तक है। 1354 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है जिसका उपयोग जनजातीय कल्याण कार्यक्रमों के लिए विभिन्न मंत्रालयों को उनकी संबंधित योजनाओं के लिए आवंटित किए गए 87,524 करोड़ रुपये के एसटीसी घटक के अलावा गैप फिलिंग व्यवस्था के रूप में किया जाएगा। अगले पांच वर्षों के लिए 7276 करोड़ रूपये की धनराशि को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है।
प्रधानमंत्री जनजातीय विकास मिशन
इस मिशन का लक्ष्य वन धन समूहों के गठन के माध्यम से अगले पांच वर्षों में आजीविका संचालित आदिवासी विकास हासिल करना है। इन वन धन समूहों को वन धन केंद्रों के रूप में संगठित किया गया है। आदिवासियों द्वारा एकत्रित एमएफपी को इन केंद्रों में संसाधित किया जाएगा और वन धन निर्माता उद्यमों के माध्यम से इनका विपणन किया जाएगा। “आत्म-निर्भर भारत अभियान” के हिस्से के रूप में अगले 5 वर्षों में नए हाट बाजार और माल गोदाम विकसित किए जाएंगे। इस योजना को लागू करने के लिए ट्राइफेड नोडल एजेंसी होगी। वन उत्पादों का विपणन ट्राइब इंडिया स्टोर्स के माध्यम से किया जाएगा। मिशन के तहत अगले पांच वर्षों के लिए 1612 करोड़ रुपये की राशि निर्धारित की गई है।
एसटी के लिए वेंचर कैपिटल फंड
‘अनुसूचित जनजातियों के लिए उद्यम पूंजी कोष (वीसीएफ-एसटी)’ की नई योजना के लिए 50 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है, जिसका उद्देश्य एसटी समुदाय के बीच उद्यमिता को बढ़ावा देना है। वीसीएफ-एसटी योजना एसटी उद्यमिता को बढ़ावा देने और एसटी युवाओं द्वारा स्टार्ट-अप की सोच को विकसित करने और उनका समर्थन करने के लिए सामाजिक क्षेत्र की एक पहल होगी।
यह जानकारी जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने आज लोकसभा में दी। (पत्र सूचना कार्यालय से प्राप्त विज्ञप्ति)
Author: samachar
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