हरदोई के संडीला क्षेत्र में गुमटी संचालक अमन गुप्ता ने पुलिसिया उत्पीड़न का गंभीर आरोप लगाया है। कताई मिल चौकी पर तैनात सिपाही शुभम सोनकर और एक अन्य व्यक्ति द्वारा धमकी, गाली-गलौज और मानसिक उत्पीड़न किए जाने पर पीड़ित ने पुलिस अधीक्षक से सुरक्षा और न्याय की गुहार लगाई है।
ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट
हरदोई/संडीला। उत्तर प्रदेश के हरदोई जनपद स्थित संडीला तहसील क्षेत्र के ग्राम मुरादनगर मजरा सोम के निवासी अमन गुप्ता ने पुलिस प्रशासन के खिलाफ एक गंभीर शिकायत दर्ज कराई है। अमन ने पुलिस अधीक्षक हरदोई को लिखित रूप में प्रार्थनापत्र भेजकर आरोप लगाया है कि वह एक साधारण गुमटी चलाता है, लेकिन पुलिसकर्मी की दबंगई और स्थानीय दबंगों की मिलीभगत के चलते उसे रोजाना मानसिक प्रताड़ना झेलनी पड़ रही है।
धमकी और गाली-गलौज का आरोप
प्राप्त जानकारी के अनुसार, पीड़ित अमन गुप्ता ने आईजीआरएस पोर्टल के माध्यम से अपनी शिकायत दर्ज कराते हुए बताया कि उसकी गुमटी सड़क किनारे स्थापित है, जिसे हटवाने की नीयत से कताई मिल चौकी पर तैनात सिपाही शुभम सोनकर तथा मुरार नगर के निवासी अमित गुप्ता लगातार उसे धमका रहे हैं। अमन का आरोप है कि ये दोनों उसे आए दिन गंदी-गंदी गालियां देते हैं और गुमटी न हटाने की स्थिति में गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी भी देते हैं।
चौकी पर जबरन बुलावा और धमकी
अमन गुप्ता ने बताया कि उक्त सिपाही शुभम सोनकर की शह पर अमित गुप्ता उसे बार-बार चौकी बुलवाता है। वहां सिपाही उसे धमकी देता है कि अगर उसने गुमटी नहीं हटाई तो उस पर झूठा मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया जाएगा। अमन के मुताबिक, अब तक दो बार डायल 112 पुलिस मौके पर पहुंचकर दोनों पक्षों को समझा चुकी है, मगर इसके बावजूद शुभम सोनकर और अमित गुप्ता अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं।
मानसिक उत्पीड़न से परेशान पीड़ित
पीड़ित अमन गुप्ता ने बताया कि अब वह डर और मानसिक तनाव की स्थिति में जी रहा है। उसे हर समय यह भय बना रहता है कि कहीं पुलिस उसकी गैर मौजूदगी में उसके खिलाफ कोई फर्जी कार्रवाई न कर दे। उसने कहा कि वह सिर्फ अपना छोटा-मोटा व्यवसाय करके रोजी-रोटी चला रहा है, लेकिन पुलिसिया उत्पीड़न ने उसका जीवन संकट में डाल दिया है।
निष्पक्ष जांच की मांग
अमन ने पुलिस अधीक्षक से मांग की है कि पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच कराई जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई हो, ताकि आम जनता का पुलिस पर से भरोसा न उठे। साथ ही, उसने यह भी अनुरोध किया है कि उसे पुलिस के अनावश्यक दबाव और धमकी से मुक्त कराया जाए।
एक ओर उत्तर प्रदेश सरकार ‘जन सुनवाई’ और ‘जनहित में पुलिस’ की बात करती है, वहीं दूसरी ओर जमीनी हकीकत में कुछ पुलिसकर्मियों की दबंगई और पक्षपातपूर्ण रवैये के कारण आम नागरिकों को न्याय पाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। अमन गुप्ता की शिकायत एक ऐसा ही मामला उजागर करती है, जो प्रशासनिक पारदर्शिता और उत्तरदायित्व की गंभीर परीक्षा है।